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ॐ अहंकार घाव है
यह आपके भीतर बीमारी पैदा करेगी।
| लेकिन अनुभव के पहले इनकार कर देना अज्ञान है। बहुत लोग ज्ञान से बीमार हैं। उनको ज्ञान का अपच हो गया है। तो ईश्वर को, आत्मा को, मुक्ति को, आनंद को, अद्वैत को काफी सुन लिया है, पढ़ लिया है, चारों तरफ से इकट्ठा कर लिया | बिना अनुभव के इनकार कर देना अज्ञान है। अनुभव का एक मौका है और पचाने की उन्हें कोई सुध-बुध नहीं है। वे भूल ही गए कि अपने को दें। अब तक जिसने भी अनुभव किया, वह इनकार नहीं पचाना भी है। अब वह सब पत्थर की तरह उनकी छाती पर बैठ कर पाया। और जिन्होंने इनकार किया, उन्होंने अनुभव नहीं किया, गया है। उससे तो बेहतर है सुनना ही मत, पढ़ना ही मत। जब लगे सिर्फ तर्क से ही बात चलाई है। कि पचाने की तैयारी है, तो!
तर्क बड़े खतरनाक हो सकते हैं और गलत चीजों के पक्ष में भी बुद्धि भीतर ले जाने का द्वार है। भाव पचाने की व्यवस्था है। दिए जा सकते हैं। सही चीजों के विपरीत भी दिए जा सकते हैं। सुनें, बुद्धि से समझें, और भाव तक पहुंचने दें।
मैंने सुना है कि मुल्ला नसरुद्दीन अपने लड़के का विवाह करना निश्चित ही, बुद्धि दो तरह के काम कर सकती है। या तो भाव चाहता था। एक धनी लड़की थी—कुरूप, बेडौल, बदशक्ल। तक पहुंचने दे और या बाहर ठेलने की कोशिश करे, भीतर न आने | मुल्ला का इरादा धन पर था। तो अपने लड़के को कहा कि सुना दे। अगर आप सिर्फ तर्क का ही भरोसा करते हों, तो आपकी बुद्धि तूने, सुलताना से तेरे विवाह की बात चलाई है। चीजों को बाहर धक्का देना शुरू कर देगी। क्योंकि जो बात तर्क | लड़के ने कहा, सुलताना! क्या मतलब? गांव के नगरसेठ की की पकड़ में नहीं आएगी, बुद्धि कहेगी, भीतर मत लाओ। और लड़की? उससे? लेकिन उसे तो कम दिखाई पड़ता है! जितनी कीमती बातें हैं, कोई भी तर्क की पकड़ में नहीं आतीं। मुल्ला ने कहा, अभागे, अपने को भाग्यवान समझ। पत्नी को क्योंकि तर्क की पकड़ में वही बात आ सकती है, जो केवल तर्क कम दिखाई पड़ता हो, इससे ज्यादा अच्छी बात पति के लिए और हो। अनुभव की कोई भी बात तर्क की पकड़ में नहीं आ सकती। | क्या हो सकती है! तू सदा स्वतंत्र रहेगा। जो भी करना हो कर। तर्क और अनुभव का कहीं मेल नहीं होता।
पत्नी को कुछ दिखाई भी नहीं पड़ेगा। ___एक अंधा आदमी है; उसको प्रकाश नहीं दिखाई पड़ता। आप लड़का थोड़ा चौंका। उसने कहा, लेकिन मैंने सुना है कि वह उसको कितना ही तर्क करिए, समझ में नहीं आ सकता। वह तुतलाती भी है, हकलाती भी है! इनकार करता चला जाएगा। वह तर्क देगा; आपको गलत सिद्ध मुल्ला ने कहा, अगर मुझे शादी करनी होती दोबारा, तो मैं ऐसी करेगा। उसकी बुद्धि अगर तर्क से ही चले...।
ही स्त्री से शादी करता। यह तो भगवान का वरदान समझ। क्योंकि हम सब भी ऐसा ही कर रहे हैं परमात्मा के संबंध में। तर्क से स्त्री अगर तुतलाए, हकलाए, तो ज्यादा बोलने की हिम्मत नहीं ही चलते हैं, इनकार करते चले जाते हैं। इनकार का एक अवरोध जुटाती। पति शांति से जीता है! खड़ा हो जाता है। फिर कोई चीज भीतर प्रवेश नहीं करती। तर्क । उसके लड़के ने कहा, लेकिन मैंने तो सुना है कि वह बहरी भी पहले ही कह देता है, बेकार है। गणित में नहीं आती। अनुभव की | है! उसे ठीक सुनाई भी नहीं पड़ता! बात रहस्य मालूम पड़ती है। यह अपनी सीमा नहीं। तर्क कह देता नसरुद्दीन ने कहा कि नालायक, मैं तो सोचता था तुझमें थोड़ी है, इसे बाहर छोड़ो।
बुद्धि है। अरे, पत्नी बहरी हो, इससे बेहतर और क्या। तू गाली दे, बुद्धि दूसरा काम कर सकती है कि द्वार बन जाए। जो अनुभव | चिल्ला, नाराज हो, वह कुछ भी नहीं समझ पाएगी। में आने योग्य हो, चाहे तर्क की समझ में न भी आता हो, उस पर लड़के ने आखिरी बार हिम्मत जुटाई। उसने कहा, यह भी सब भी प्रयोग करने की हिम्मत सदबुद्धि है। नहीं तो बुद्धि दुर्बुद्धि हो ठीक। लेकिन उसकी उम्र मुझसे बीस साल ज्यादा है! जाती है। तर्क कुतर्क हो जाता है। नहीं, मुझे अनुभव में नहीं है, ___ मुल्ला ने कहा, एक छोटे-से दोष के लिए कि वह बीस साल लेकिन मैं प्रयोग करके देखूगा।
| पहले पैदा हुई, इतना महान अवसर चूकता है! इतनी-सी छोटी-सी हजार चीजें हैं, जो आपके अनुभव में नहीं हैं। लेकिन आप बात को नाहक शोर-गुल मचाता है। ऐसी सुंदर स्त्री तेरे लिए ढूंढ़ प्रयोग करके देखें, तो आपका अनुभव बढ़ सकता है। और अनुभव रहा हूं और तू छोटी-सी बात कि बीस साल ज्यादा है! तो दुनिया में चीजें आ सकती हैं। और न आएं अनुभव में, तो मत मानना। में पूर्णता तो कहीं भी नहीं होती।
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