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________________ ॐ गीता दर्शन भाग-500 सदी–प्रतिबिंब वाली बुद्धि, रिफ्लेक्टेड इंटलेक्ट। निश्चित ही, मोड़ना पड़ता और तकलीफ देनी पड़ती। इतनी बुद्धिमान सदी कभी नहीं थी जमीन पर। लेकिन इतनी। लेकिन एक मजे की बात हुई। सम्राट ने कहा कि इस आदमी को बुद्धिहीन सदी भी खोजनी मुश्किल है। यही उलटापन है। न इतनी ले जाओ, क्योंकि अब आगे बात करनी ठीक नहीं है। शिक्षा थी, न इतने शास्त्र थे, न इतने विचार थे, लेकिन आदमी हम कैसे देखते हैं, कहां से देखते हैं, किस बिंदु से देखते हैं, हमसे ज्यादा बुद्धिमान था। इस पर सब निर्भर करता है। निश्चित ही, अगर बुद्ध को हम मैट्रिक की परीक्षा में बिठाएं, तो नसरुद्दीन बैठा है अपने स्कूल में। उसका छोटा मदरसा है, मैं नहीं मानता कि अगर वे चोरी वगैरह करें, तब तो बात अलग, जिसमें वह बच्चों को पढ़ाता है। और एक बच्चे को कहता है कि स नहीं हो सकते। सीधे तो पास नहीं हो सकते। नकल जाकर कएं से इस घडे में पानी भर ला। और जैसे ही वह बच्चा वगैरह कर लें, तब तो बुद्ध भी पास हो रहे हैं, बुद्ध भी हो जाएंगे! घड़ा लेकर जाने लगता है, उसे वापस बुलाता है, कान पकड़कर नहीं तो फेल होना निश्चित है। और हमारे तथाकथित बुद्धिमान दो चांटे उसे रसीद करता है और कहता है कि सम्हलकर, घड़े को आदमी अगर बुद्ध से विवाद करने जाएं, तो निश्चित जीत जाएंगे; फोड़ मत डालना! बुद्ध हार जाएंगे। लेकिन फिर भी बुद्ध बुद्धिमान हैं और हम जिसको एक आदमी मेहमान की तरह मिलने आया था, वह हैरान हो बुद्धिमान कह रहे हैं, वह केवल उलटा है। गया। दुनिया में उसने बहुत तरह के दंड देखे थे। लेकिन कसूर बुद्धि का एक और रूप भी है। जब तक हम मन के पार न उठे, | करने के पहले दंड उसने कभी नहीं देखा था। अभी लड़का घड़ा तब तक वह सीधा रूप हमें दिखाई नहीं पड़ेगा। हमारी झील से लेकर गया ही नहीं, गिराने का तो सवाल ही नहीं है! उसने आंख उठे, तब हमें दिखाई पड़ेगा कि कोई आदमी झील पर खड़ा नसरुद्दीन से कहा कि और सब तो ठीक है, लेकिन यह उलटी बात है, उसके पैर नीचे हैं, सिर ऊपर है। और प्रतिबिंब में पैर ऊपर हैं | | मेरी समझ में नहीं आती। अभी लड़के ने घड़ा गिराया ही नहीं और और सिर नीचे है। तब हमें पता चलेगा कि प्रतिबिंब उलटा था। आपने उसको दो चांटे मार दिए! लेकिन जिन्होंने प्रतिबिंब ही देखा है...! | नसरुद्दीन ने कहा, घड़ा गिरा दे, फिर चांटा मारने से फायदा क्या सुना है मैंने कि मुल्ला नसरुद्दीन की काफी बदनामी हो गई थी। | है? नसरुद्दीन ने कहा, यह देखने-देखने की बात है। यह उलटी बदनामी ऐसी कि गांव के पंडितों ने, पुरोहितों ने जाकर सम्राट को नहीं है; यह सीधी है। घड़ा गिरा दे, फिर चांटा मारने से फायदा? कहा कि यह आदमी इस तरह की बातें कर रहा है कि लोग च्युत | | अब न तो घड़ा गिरेगा और न चांटा मारने की आगे जरूरत पड़ेगी। हो जाएंगे मार्ग से। यह आदमी खतरनाक है, यह आदमी उलटी | उलटा और सीधा सापेक्ष हैं, रिलेटिव हैं। लेकिन अगर दोनों बातें करता है लोगों से। तो सम्राट ने उसे बुलाया दरबार में। मुल्ला बातें हमारे खयाल में हों। एक ही बात हमारे खयाल में हो, तो अपने घर से निकला, अपने गधे पर बैठा और दरबार की तरफ सीधे-उलटे का सवाल ही नहीं उठता। जो होता है, उसे हम सीधा चला। लेकिन एक भीड़ उसके साथ चलने लगी और लोग उस पर मानकर चलते हैं। हंसी-मजाक करने लगे, क्योंकि वह गधे पर उलटा बैठा हुआ था। हम मन में ही देखे हैं छबि अभी अपनी संभावना की। मन में लेकिन उसने अपनी गंभीरता कायम रखी। | हमने प्रतिबिंब देखा है, उसको हम बुद्धि समझते हैं। और उसको जब वह दरबार में पहुंचा, तो सम्राट ने खुद देखकर उसे कहा ही हम शिक्षित करते हैं विश्वविद्यालयों में। ट्रेन करते हैं, प्रशिक्षित कि नसरुद्दीन, तुम गधे पर उलटे क्यों बैठे हुए हो? नसरुद्दीन ने | | करते हैं, उसी प्रतिबिंब को। हमारा बड़े से बड़ा बुद्धिमान प्रतिबिंब कहा कि महाराज, अपनी-अपनी नजर की बात है। मैं तो समझता | से ज्यादा नहीं है। हूं कि गधा उलटा खड़ा है; हम तो सीधे ही बैठे हैं। आप जरा गधे । । एक और बुद्धिमत्ता है, कृष्ण उसकी बात कर रहे हैं। वे कहते की तरफ देखें! नसरुद्दीन ने कहा, इट डिपेंड्स। यह निर्भर करेगा हैं, जब कोई ध्यान को उपलब्ध होता है और जब कोई मुझमें डूब कुछ बातों पर कि कौन उलटा है। मैं तो बिलकुल सीधा बैठा हूं। जाता है,.तब उसे बुद्धियोग, तब पहली दफा उसे बुद्धिमत्ता का पता गधा इसी तरफ मुंह किए हुए खड़ा था; मैं सीधा बैठ गया। अगर चलता है कि बुद्धि क्या है। जिसको आप सीधा कहते हैं, वैसा मैं बैठता, तो गधे को मुझे हमारी जो बुद्धि है, वह हमें ही नुकसान पहुंचाती है। कभी 158
SR No.002408
Book TitleGita Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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