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3 ईश्वर अर्थात ऐश्वर्य
आपका मन कुछ भी न कर रहा हो, कहीं भी न जा रहा हो, गोइंग __गुरु आंख बंद करके अपने ध्यान में चला गया। वे चारों बड़ी नो व्हेयर, वहीं रह गया हो जहां आप हैं।
| मुश्किल में पड़े! कुछ करने को दे देता, तो ठीक था। कुछ करने तो कृष्ण कहते हैं, निश्चल ध्यान योग द्वारा मेरे में ही एकीभाव को नहीं दिया, और चुप बैठे रहना! एक दो-चार मिनट ही बीते से स्थित होता है। जैसे ही यह निश्चल ध्यान फलित होता है, वैसे होंगे, उनमें से एक ने कहा कि रात हो गई और दीया अब तक जला ही व्यक्ति मुझ में एकीभाव से स्थित हो जाता है। तब उसमें और नहीं। दूसरे ने कहा कि क्या कर रहा है! मौन के लिए कहा है! तीसरे मुझमें जरा भी फासला नहीं है। तब उसके और मेरे बीच जरा भी | | ने कहा कि दोनों नासमझ हो। मौन तोड़ दिया। नसरुद्दीन अब तक दूरी नहीं है।
| चुप था, वह खिलखिलाकर हंसा और उसने कहा कि सिर्फ मुझे इसका मतलब हुआ, दौड़ ही दूरी है। जितना आप दौड़ते हैं, | छोड़कर और कोई भी मौन नहीं है! उतना ही आप दूर हैं। इसका अर्थ हुआ, रुक जाना ही पहुंच जाना | एक क्षण चुप रहना भी बहुत मुश्किल है। कोई बहाना मिल ही है। इसका अर्थ हुआ, ठहर जाना ही मंजिल है। जैसे ही कोई शांत | जाएगा। एक क्षण ठहरना मुश्किल है, दौड़ का कोई कारण मिल ठहर जाता है, अचानक द्वार खुल जाता है। उस ठहरेपन में ही, उस ही जाएगा। एक क्षण ठहरना मुश्किल है, कोई न कोई वासना वेग शांत क्षण में ही, वह एक हो जाता है परमात्मा से। द्वैत टूट जाता |
बन जाएगी और आपको उडाले जाएगी। इसलिए जब मैं कह रहा है, दुई मिट जाती है।
था, तब मैं आपकी आंखों में देख रहा था, तब मुझे खयाल आया एकीभाव से स्थित होता है, इसमें कुछ भी संशय नहीं है। | कि यह कृष्ण को बार-बार कहना पड़ता है, इसमें कुछ भी संशय
कृष्ण को न मालूम कितनी बार गीता में अर्जुन से कहना पड़ता | | नहीं है। ये बेचारे अर्जुन को बार-बार देखकर समझते होंगे कि है, इसमें कुछ भी संशय नहीं है। अर्जुन की आंख में संशय दिखाई | | संशय आ रहा है, अब इसकी पकड़ के बाहर हुई जा रही है बात। पड़ता होगा बार-बार, इसलिए वे कहते हैं, इसमें कुछ भी संशय तब उन्हें बलपूर्वक कहना पड़ता है कि अर्जुन, इसमें कोई संशय नहीं है। यह अर्जुन के बाबत खबर है। क्योंकि कृष्ण इसे दोहराएं, नहीं है। ऐसा करेगा, तो ऐसा हो ही जाएगा। बुद्ध ने बहुत बार कहा यह सार्थक नहीं है। इसको बार-बार कहने की कोई जरूरत नहीं है है, ऐसा करो और ऐसा होगा ही। ऐसा मत करो, और ऐसा कभी कि इसमें कोई संशय नहीं है। लेकिन अर्जुन की आंख में संशय | नहीं होगा। दिखाई पड़ता होगा।
जीवन भी एक गहन कार्य-कारण है, एक गहरी काजेलिटी है। अभी जब मैं कह रहा था, अगर उस वक्त आपकी आंखों के | अगर कोई ठहर जाए, तो परमात्मा से मिलन होगा ही। यह हो चित्र पकड़े जा सकें, जब मैं कह रहा था कि दौड़ें मत, ठहर जाएं; सकता है कि कभी सौ डिग्री पर पानी भाप न बने, और यह भी हो एक क्षण को मन बिलकुल रुक जाए, तो आप परमात्मा के साथ | | सकता है कि कभी आपको ऊपर की तरफ फेंक दें और जमीन का एक हो जाएंगे; उस वक्त अगर आपकी आंख के चित्र लिए जा | | गुरुत्वाकर्षण काम न करे, जगत के सब नियम भला टूट जाएं, एक सकें, तो मुझे भी कहना पड़ेगा कि इसमें कोई भी संशय नहीं! | नियम शाश्वत है कि जिसका मन ठहरा, वह परमात्मा से तत्क्षण क्योंकि आपकी आंख बता रही है कि यह नहीं होने वाला। यह कैसे | | एक हो जाता है। उसमें कुछ भी संशय नहीं है। लेकिन वह ठहरना होगा! इतनी सरल बात कह रहे हैं आप!
दुरूह और कठिन बात है। लेकिन यह बहुत कठिन है, यह रुकना हो नहीं सकता। मन तो | ___ मैं ही संपूर्ण जगत की उत्पत्ति का कारण हूं और मेरे से ही सब चलता ही रहेंगा, मन तो चलता ही रहेगा, वह रुकेगा ही नहीं। और | | जगत चेष्टा करता है। इस प्रकार तत्व से समझकर, श्रद्धा और भक्ति उसके चलने के ढंग इतने अजीब हैं, जिसका हिसाब नहीं है! | | से युक्त हुए बुद्धिमानजन मुझ परमेश्वर को ही निरंतर भजते हैं। ___ मुल्ला नसरुद्दीन अपने तीन मित्रों के साथ एक गुरु के पास गया | | आखिरी बात। मैं ही कारण हूं समस्त अस्तित्व का, मुझसे ही था ध्यान सीखने। तो गुरु ने कहा कि एक काम करो, ध्यान तो बहुत | | सारा जगत चेष्टा करता है, मैं ही गति हूं, इस प्रकार तत्व से समझ दूर की बात है; सांझ हो गई है, सूरज ढल गया है, तुम एक घड़ीभर | | कर, श्रद्धा और भक्ति से युक्त हुए बुद्धिमानजन मुझ परमेश्वर को के लिए चुप बैठ जाओ चारों। एक घंटेभर तुम बिलकुल चुप | निरंतर भजते हैं। रहना। फिर मैं तुमसे पीछे बात कर लूंगा।
अभी मैंने कहा कि हम राम-राम, कृष्ण-कृष्ण, हरि-हरि, कुछ
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