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________________ गीता दर्शन भाग-500 जीवन को सदा इस दृष्टि से सोचें और सदा इस दृष्टि से पूछे | कृष्ण के प्रति गदगद वाणी से बोला। कि उस पूछने से आपके लिए क्या हो सकेगा? मैं भगवान हूं या ___ कंप रहा है अर्जुन। जो देखा है, उससे उसका रोआं-रोआं कंप नहीं हूं, इससे आपको क्या हो सकेगा? इससे क्या परिणाम होगा? गया है। भविष्य की झलक बड़ी खतरनाक हो सकती है। शायद आपकी जिंदगी कैसे इससे बदलेगी? सदा अगर कोई इतना खयाल इसीलिए प्रकृति हमें भविष्य के प्रति अंधा बनाती है। नहीं तो जीना रख सके, तो उसकी जिज्ञासा सार्थक, अर्थपूर्ण हो जाती है, बहुत मुश्किल हो जाए। उपयोगी हो जाती है। आप देखते हैं, तांगे में जुता हुआ घोड़ा चलता है, उसकी आंखों __ अकारण कुछ मत पूछते रहें। इतना तो खयाल निश्चित ही रखें | पर दोनों तरफ से पट्टी लगी होती है। अगर वह पट्टी न लगी हो, कि इसके उत्तर से आपको क्या होगा? आप इस उत्तर का क्या | तो घोड़ा सीधा नहीं चल पाता। वह पट्टी खुली हो, तो दोनों तरफ उपयोग करेंगे? यह आपकी जिंदगी को कहां से बदलेगा? आपकी | उसे दिखाई पड़ता है। उसकी वजह से अड़चन खड़ी होती है। फिर जिंदगी के लिए किस तरह औषधि बन सकेगा? वही प्रश्न पूछे, | वह सीधा नहीं चल पाता। तो दोनों तरफ से उसकी आंखें हम अंधी जो आपके लिए औषधि बन जाए। अन्यथा प्रश्नों का कोई अर्थ | | कर देते हैं। बस, सिर्फ वह आगे देख पाता है दो कदम। बस, एक . नहीं है। | सीधी रेखा में चलता रहता है। इसलिए मैं इस प्रश्न को टाल रहा था इतने दिन तक, और सोच | ठीक हम भी अंधे आदमी हैं। हमें भविष्य दिखाई नहीं पड़ता। रखा था, जिस दिन नहीं पूछेगे मित्र, उस दिन जवाब दे दूंगा। क्यों | भविष्य दिखाई पड़े, तो हम बड़ी मुश्किल में पड़ जाएं। आप किसी ऐसा सोच रखा था कि नहीं पूछेगे उस दिन जवाब दूंगा? इसीलिए | स्त्री को प्रेम कर रहे हैं और उससे कह रहे हैं कि तेरे बिना मैं जी न कि शायद इतने दिन सुनकर बुद्धि थोड़ी आ जाए और न पूछे। और | सकूँगा। और आपको दिखाई भी पड़ रहा हो कि दो दिन बाद यह इतनी भी बुद्धि न आए, तो फिर उत्तर भी समझ में नहीं आएगा। मर जाएगी-न केवल मैं जीऊंगा, दूसरी शादी भी करूंगा। अगर इसलिए रुक गया था। यह भी आपको दिखाई पड़ रहा हो, तो किस मुंह से कह सकिएगा आज उन्होंने नहीं पूछा है, मान लेता हूं-डर तो यह है कि | कि तेरे बिना जी न सकूगा? मुश्किल हो जाएगा। जब दिख रहा हो शायद वे न भी आए हों लेकिन मान लेता हूं कि उन्हें थोड़ी समझ | | कि दो दिन बाद यह स्त्री मरेगी और मैं जीऊंगा। और न केवल आई होगी कि इन बातों के पूछने का कोई भी अर्थ नहीं है। जीऊंगा, कोई और स्त्री से शादी करूंगा। और उस स्त्री से भी मैं कौन भगवान है, कौन नहीं है, इससे क्या लेना-देना! एक बात | | यही कहूंगा कि तेरे बिना कभी न जी सकूँगा। का पता लगाइए कि आप भगवान हैं या नहीं हैं। बस, उसकी फिक्र ___आपको भविष्य दिखता नहीं है। बच्चा पैदा हो और उसको में लग जाइए। उसका पूरा भविष्य दिख जाए, कैसी मुश्किल हो जाए! जीना और जिस दिन आपको पता चल जाए कि आप भगवान हैं, उस बिलकुल असंभव हो जाए। एक-एक कदम चलना मुश्किल हो दिन डरिए मत, छिपाइए मत, खबर करिए। हो सकता है, आपकी | | जाए। आपको पता नहीं है, इसलिए अंधे की तरह शान से चले खबर से किसी के कान में भनक पड़ जाए और उसे भी खयाल | | जाते हैं। क्या कर रहे हैं, कोई फिक्र नहीं है। क्या हो रहा है, कोई आने लगे कि अगर यह आदमी भगवान हो सकता है, तो मुझमें | | फिक्र नहीं है। क्या परिणाम होगा, कोई फिक्र नहीं है। ऐसी क्या अड़चन है ? मैं भी थोड़ी चेष्टा करूं। शायद आपके गीत | । अतीत भूलता चला जाता है, भविष्य दिखाई नहीं पड़ता, को सुनकर किसी और को भी गीत गाने का खयाल आ जाए। इसलिए आप जी पाते हैं। अतीत भूले न, भविष्य दिखाई पड़ने शायद कोई और भी गुनगुनाने लगे। शायद आपको नाचता देखकर लगे, आप यहीं ठप्प हो जाएं। इंचभर हिलने का उपाय न रह जाए। किसी के पैरों में थिरकन आ जाए, शायद कोई और भी नाचने लगे। | आपको दिखाई पड़ जाए कि आप मरने वाले हैं, चाहे सत्तर साल अब हम सूत्र को लें। बाद सही; साफ दिखाई पड़ जाए कि फलां तिथि को मरने वाले हैं, इसके उपरांत संजय बोला कि हे राजन्! केशव भगवान के इस सत्तर साल बाद। लेकिन ये बीच के सत्तर साल बेकार हो गए। अब वचन को सुनकर मुकुटधारी अर्जुन हाथ जोड़े हुए, कांपता हुआ, | | आप जी न सकेंगे। नमस्कार करके, फिर भी भयभीत हुआ प्रणाम करके, भगवान, अब आप किस इरादे से मकान बनाएंगे? किसी और के रहने 13701
SR No.002408
Book TitleGita Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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