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ॐ अज्ञेय जीवन-रहस्य ॐ
पश्चिम के मनीषियों ने, जिन्हें कृष्ण ने परम वचन कहा है, उन्हीं गया; और नास्तिक के तर्क इतने प्रभावशाली सिद्ध हुए कि सुबह वचनों को नानसेंस, उन्हीं वचनों को व्यर्थ वचन कहा है। ए.जे. | | होते-होते आस्तिक नास्तिक हो गया। गांव की मुसीबत जारी रही! अय्यर ने बड़ी मेहनत की है यह बात सिद्ध करने की कि कुछ वचन | | गांव में एक महाआस्तिक और एक महानास्तिक बना रहा। ऐसे हैं, जो अर्थहीन हैं, मीनिंगलेस हैं, नानसेंस हैं।
अब तक जितने भी वक्तव्य आस्तिकों और नास्तिकों ने दिए हैं, उन वचनों को अय्यर ने अर्थहीन कहा है, जिनको न तो हम सत्य उनसे कुछ भी सिद्ध नहीं होता। न तो यह सिद्ध होता है कि ईश्वर सिद्ध कर सकें, और न असत्य। जिनके पक्ष में भी कोई प्रमाण न है; और न यह सिद्ध होता है कि ईश्वर नहीं है। और ऐसी कोई दिया जा सके और जिनके विपक्ष में भी कोई प्रमाण न दिया जा कसौटी नहीं है, जिस पर जांचा जा सके कि कौन सही है। इसलिए सके। जैसे कोई आदमी कहता है कि ईश्वर है। अय्यर, अय्यर और उनके साथी दार्शनिक कहते हैं कि ये वक्तव्य नानसेंस विगिंस्टीन और रसेल कहेंगे कि यह वचन अर्थहीन है। क्योंकि | | हैं। इन वक्तव्यों से कुछ अर्थ नहीं निकलता, ये अर्थहीन हैं। तो ईश्वर है, यह भी अब तक सिद्ध नहीं किया जा सका; और नहीं है, | | अय्यर कहता है कि न तो ईश्वर है, यह सत्य वचन है और न यह यह भी सिद्ध नहीं किया जा सका। और आदमी के पास कोई भी | असत्य वचन है। यह दोनों नहीं है। यह व्यर्थ वचन है। उपाय नहीं है इस वचन की सत्यता या असत्यता को परखने के । कृष्ण इसी वचन को परम वचन कहते हैं। तो थोड़ा समझना लिए। वेरीफिकेशन के लिए कोई उपाय नहीं है। ' पड़ेगा कि कृष्ण का प्रयोजन क्या है? अगर अय्यर और . तो जिस वक्तव्य की जांच का कोई उपाय ही न हो, उस वक्तव्य विगिंस्टीन सही हैं, तो कृष्ण का वचन अर्थहीन वचन है। लेकिन को न तो सत्य कहा जा सकता है. और न असत्य। क्योंकि असत्य कष्ण उसे परम वचन कहते हैं। और अर्जन से वे कहते हैं कि मैं का अर्थ हआ कि जांचा और पाया कि गलत है। सत्य का अर्थ हआ तुझे तेरे प्रेम के कारण और तेरे हित की दृष्टि से कुछ परम वचन कि जांचा और पाया कि सत्य है।
कहूंगा, तू उन्हें सुन। . लेकिन ईश्वर है, इस वक्तव्य के पक्ष या विपक्ष में कोई भी इसे हम ऐसा बांट लें। सत्य वचन उसे कहते हैं, जिसके लिए प्रमाण आज तक इकट्ठे नहीं किए जा सके। आस्तिक कहे चले जाते यथार्थ से प्रमाण उपलब्ध हो जाएं। अगर मैं कहूं, आग हाथ को हैं, ईश्वर है; नास्तिक कहे चले जाते हैं, ईश्वर नहीं है। आस्तिकों | जलाती है, तो यह सत्य वचन है। क्योंकि आप आग में हाथ की दलीलों का नास्तिकों पर कोई प्रभाव नहीं है; और नास्तिकों की डालकर देख सकते हैं और प्रमाण मिल जाएगा कि आग जलाती दलीलों का आस्तिकों पर कोई प्रभाव नहीं है। और कभी-कभी | | है या नहीं जलाती है। अगर मैं कहूं, आग शीतल है, तो आप हाथ ऐसा भी होता है कि आस्तिक नास्तिक हो जाते हैं, नास्तिक डालकर देख सकते हैं कि यह वचन असत्य है। क्योंकि आग आस्तिक हो जाते हैं। लेकिन वक्तव्य वैसे के वैसे ही खड़े रहते हैं। शीतल नहीं है, इसका प्रमाण मिल जाता है; वचन के अतिरिक्त
खलील जिब्रान ने एक छोटी-सी कहानी लिखी है। लिखा है, प्रमाण उपलब्ध हो जाता है। एक गांव में एक महाआस्तिक और एक महानास्तिक था। सारा अय्यर कहता है कि एक तीसरे तरह का वचन है, और समस्त गांव परेशान था उनके कारण। क्योंकि आस्तिक लोगों को समझाता | | धार्मिक वचन, मेटाफिजिकल स्टेटमेंट्स अय्यर के हिसाब से व्यर्थ था कि ईश्वर है; नास्तिक समझाता था कि नहीं है। आखिर गांव ने | हैं, क्योंकि उनका कोई भी प्रमाण नहीं मिलता। कृष्ण के हिसाब से उन दोनों से कहा कि तुम निर्णय पर पहुंच जाओ कुछ, ताकि हमारी | वे वचन परम हैं, क्योंकि उनका इस जगत के अनुभव में तो कोई परेशानी कम हो।
प्रमाण नहीं मिलता, लेकिन अगर दूसरे जगत में कोई प्रवेश करने .. पूर्णिमा की एक रात, गांव ने विवाद का आयोजन किया और को तैयार हो, तो उनका प्रमाण मिलता है। अप्रमाणित वे नहीं हैं। नास्तिक और आस्तिक ने प्रबल प्रमाण दिए। आस्तिक ने ऐसे एक अंधे आदमी के लिए, प्रकाश है, यह अप्रमाणित वचन प्रमाण दिए, जिनका खंडन मुश्किल था। नास्तिक ने ऐसा खंडन होगा। क्योंकि अंधे के सामने कोई भी प्रमाण नहीं जुटाया जा किया कि आस्तिकता के पैर डगमगा जाएं। रातभर विवाद चला | | सकता कि प्रकाश है या नहीं है। अंधा अय्यर के साथ राजी हो
और विवाद बड़ा परिणामकारी रहा। आस्तिक के प्रमाण इतने | जाएगा और कहेगा कि यह वचन व्यर्थ है, क्योंकि न तो इसके पक्ष प्रभावशाली सिद्ध हुए कि सुबह होते-होते नास्तिक आस्तिक हो में तुम कोई प्रमाण दे सकते हो, और न विपक्ष में। क्योंकि अंधा