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________________ ॐ परम गोपनीय-मौन था कि कभी तुमने सोचा सिकंदर, कि अगर तुम पूरी दुनिया जीत क्रांति घटित नहीं होती, जब तक कोई आदमी अपने को पागल लोगे, तो फिर क्या करोगे? तो डायोजनीज की यह बात सुनकर | जानना शुरू नहीं करता। और जब कोई आदमी यह जान लेता है सिकंदर उदास हो गया था। और उसने कहा कि इससे मुझे बड़ी | | कि मेरी पूरी जिंदगी, जिसको मैंने अब तक जिंदगी कहा, एक लंबा चिंता होती है, क्योंकि दूसरी तो कोई दुनिया नहीं है। अगर मैं यह | पागलपन है, उसी दिन उसकी जिंदगी में क्रांति होनी शुरू हो जाती जीत लूंगा, तो सच ही फिर मैं क्या करूंगा? अभी जीती नहीं थी | | है। जब तक आप दूसरों पर हंसते हैं, तब तक समझना, आप व्यर्थ उसने दुनिया। लेकिन यह पूरी दुनिया भी जीत लेगा, तो भी वासना | | हंसते हैं। जिस दिन आपको अपने पर हंसी आ जाए, समझना कि उदास हो गई। अभी जीती भी नहीं है, अभी सिर्फ सोचकर कि पूरी | रास्ता बदला। अब यात्रा आपकी कुछ और हुई। दुनिया जीत लूंगा तो–सच डायोजनीज, तुम मुझे उदास करते | क्या है? आप क्या कर रहे हैं? लोग आपको अच्छा कहें, इसके हो-फिर मैं क्या करूंगा? दूसरी तो कोई दुनिया नहीं है, जिसको | लिए जिंदगी गंवा रहे हैं। कोई आपके मकान को बड़ा कहे, इसलिए मैं जीतने निकल जाऊं! | जिंदगी गंवा रहे हैं। कोई आपकी तिजोड़ी को देख ले और उसकी यह आदमी मरते वक्त...बहुत कुछ जीतकर मरा था। बड़ा | आंखों में चकाचौंध पैदा हो जाए, इसलिए जिंदगी गंवा रहे हैं। कोई जुआरी था, सब कुछ दांव पर लगाया था। और बड़े ढेर लगा लिए | | दूसरे की आंखों के साथ आप जुआ खेल रहे हैं। थे जीत के। लेकिन मरते वक्त उसका यह कहना कि देख लें लोग __ वे दूसरे की आंखें उतनी ही पानी की बनी हैं, जितनी आपकी हैं। कि मेरे हाथ खाली हैं, विचारणीय है। कल पानी की तरह बह जाएंगी और इस जगत की रेत में उनका कोई सम्राट यहां भिखारी की तरह मर जाते हैं। कभी-कभी कोई भी पता नहीं चलेगा। और दसरों के शब्द वैसे ही हवा के बबले हैं, भिखारी यहां सम्राटों की तरह मरता है। बद्ध के हाथ भरे हए हैं. जैसे आपके और हवा में खो जाएंगे। उनकी प्रशंसाएं. उनकी सिकंदर के हाथ खाली हैं। क्या मामला है! किस चीज से सिकंदर निंदाएं, सब हवा में फूट जाएंगी बबूलों की तरह और खो जाएंगी। के हाथ खाली हैं? और किस चीज से बुद्ध के हाथ भरे हुए हैं? | | उनका कोई मूल्य नहीं रह जाएगा। और आपकी जिंदगी आप गंवा बुद्ध ने अपने को पाने की कोशिश की है, तो हाथ भरे हुए हैं। चुके होंगे। सिकंदर ने कुछ और पाने की कोशिश की है, स्वयं को छोड़कर, | कृष्ण की इस बात को खयाल में ले लेने जैसा है, छल करने तो हान खाली हैं। | वालों में मैं जुआ हूं। अगर छल को ही देखना है, तो जुए में उसकी ___ इससे कोई संबंध नहीं है कि आप क्या पाने की कोशिश कर रहे शुद्धता है। सौ फीसदी शुद्ध! फिर जिंदगी में उसकी अशुद्धता हैं, आपकी जिंदगी एक जुआ है, अगर आप अपने को छोड़कर | | दिखाई पड़ती है। लेकिन शुद्ध वह जुए में है। कुछ भी पाने की कोशिश कर रहे हैं। और आखिर में आपके हाथ ___ सुना है मैंने कि कनफ्यूशियस ने अपने एक शिष्य को कहा था खाली होंगे, आखिर में आप हारे हुए विदा होंगे। | कि ध्यान करने के पहले तू दो जगह हो आ। एक तो तू जुआघर में कृष्ण कहते हैं, छल करने वालों में मैं जुआ हूं। बैठकर देख कि लोग वहां क्या कर रहे हैं, आब्जर्व। वहां बैठ जा शुद्धतम रूप जुआ है छल का। जुआरी की हम निंदा करते रहते | और देख कि लोग रातभर वहां क्या करते रहते हैं। तुझे कुछ करना हैं। लेकिन हम सब जुआरी हैं। जुआरी की निंदा शायद हमारे मन | नहीं है। सिर्फ निरीक्षण करना। तीन महीने तक तू जुआघर में ही में इतनी ज्यादा इसीलिए है कि हम छोटे जुआरी हैं। और जुआरी | बैठा रह और निरीक्षण कर। और फिर तू मुझे आकर कहना। को देखकर हमारा सारा जुआ उघड़ता है और नग्न हो जाता है। जब | वह शिष्य तीन महीने बाद आया और उसने कहा कि लोग एक जुआरी दांव लगाता है, तो हम कहते हैं, पागल हो। और हम | पागल हैं। कनफ्यूशियस ने कहा कि तब में तुझे दूसरी साधना का सब परी जिंदगी दांव लगाकर जीते हैं. और कभी भी नहीं सोचते सत्र देता है। अब त मरघट पर तीन महीने बैठ जा और लोगों को कि हम पागल हैं। अपना-अपना जआ सभी को ठीक मालम पड़ता जलते हुए देख। है। दूसरे के जुए सभी को गलत मालूम पड़ते हैं। तीन महीने बाद वह शिष्य आया और उसने कहा कि मैं देखकर इस जमीन पर बड़े मजे की घटना है, हर आदमी अपने को ठीक आया हूं। सारी जिंदगी एक जुआ है। और सारी जिंदगी का अंत और शेष को पागल जानता है। लेकिन तब तक जीवन में धार्मिक | मरघट पर हो रहा है। कनफ्यूशियस ने कहा कि अब तू उस गहरी 217
SR No.002408
Book TitleGita Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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