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परम गोपनीय-मौन 8
जो आदमी मोमेंट टु मोमेंट, क्षण-क्षण जीने लगता है, उसके रही है कि आप कुछ दिन और जी लेंगे। चित्त में वासना का उपाय नहीं रह जाता। वासना के लिए भविष्य। फिर भी ययाति को न सूझा! अपनी जिंदगी कठिनाई में हो, तो का विस्तार चाहिए।
| फिर हम किसी की भी जिंदगी ले सकते हैं। हम कितना ही कहते मौत दुख देती है, क्योंकि मौत के साथ पहली दफा हमें पता हों कि बाप बेटे के लिए जीता है। हम कितना ही कहते हों, भाई चलता है, अब कोई भविष्य नहीं है। मौत दरवाजा बंद कर देती है | भाई के लिए, मित्र मित्र के लिए; लेकिन ये बातें हैं। मौत सामने भविष्य का, वर्तमान ही रह जाता है। और वर्तमान में तो सिर्फ टूटे खड़ी हो जाए, तो सब बदल जाता है। हुए वासनाओं के खंडहर होते हैं, राख होती है, असफलताओं का | बेटा राजी हो गया। बेटा मर गया, ययाति और सौ साल जीया। ढेर होता है, विषाद होता है, संताप होता है। कोई वासना की पूर्ति | ये सौ साल कब निकल गए, पता न चले। मौत फिर द्वार पर आ का तो उपाय नहीं दिखता, और थोड़ा भविष्य चाहिए। गई, तभी ययाति को खयाल आया। और उसने मौत से कहा, इतनी
महाभारत में कथा है ययाति की। ययाति सौ वर्ष का हुआ। बड़ा जल्दी! क्या सौ वर्ष पूरे हो गए? मेरी वासनाएं तो उतनी की उतनी सम्राट था, उसके सौ बेटे थे। अनेक उसकी पत्नियां थीं, बड़ा | ही अधूरी हैं; रंचमात्र भी फर्क नहीं पड़ा। साम्राज्य था। सौ वर्ष का हुआ, मौत उसके द्वार पर आई, तो ययाति इस बीच ययाति के और पुत्र हो गए थे। मौत ने कहा कि फिर ने कहा कि एक क्षण रुक। अभी तो मेरा कुछ भी काम पूरा नहीं किसी पुत्र को पूछ लो, अगर कोई राजी हो। हुआ। अभी तो मैं वहीं खड़ा हूं, जहां जन्म के दिन खड़ा था। यह और कथा बड़ी अदभुत है कि ऐसा दस बार हुआ और ययाति भी कोई आने का वक्त है! अभी तो कोई भी सपना सत्य नहीं हुआ। | हजार साल जीया। और हजार साल बाद जब मौत आई, तब भी अभी तो सभी बीज बीज ही हैं। अभी कोई बीज अंकुरित नहीं हुआ। | ययाति ने वही कहा कि इतनी जल्दी! अभी मुझे समय चाहिए। मुझे समय चाहिए।
मौत ने उसे कहा, ययाति, कितना ही समय तुम्हें मिले, वासनाएं मृत्यु ने मजाक में ही ययाति से कहा, अगर तेरा कोई पुत्र तुझे पूरी नहीं होंगी। समय छोटा पड़ जाता है। समय जो कि अनंत है, अपना जीवन दे दे, तो मैं उसे ले जाऊं और तुझे छोड़ जाऊं! ययाति | वासनाओं से छोटा पड़ जाता है। मौत जब भी द्वार पर आई, ययाति ने अपने सौ पुत्रों को कहा कि जीवन तुम मुझे दे दो, मेरा जीवन | कंपने लगा। अधूरा रह गया है। तुम मेरे बेटे हो, मैंने तुम्हें पैदा किया। तुम्हें ही ___ हम सब की भी वही दशा है। और ययाति की कथा हमें लगेगी पैदा करने और बड़े करने में तो मैंने जीवन गंवाया। तुम्हारे लिए ही | | कि काल्पनिक है, लेकिन समझने जाएं, तो हम भी इस तरह तो मैं नष्ट हुआ। तुम मुझे अपना जीवन दे दो; मौत मुझे छोड़ने को बहुत-से जन्म ले चुके हैं और बहुत हजारों वर्ष जी चुके हैं। हमारी राजी है।
भी यह कोई पहली जिंदगी नहीं है। हर जिंदगी में हमने यही किया लेकिन बेटों की अपनी वासनाएं थीं, जो और भी अधूरी थीं। | | है। फिर समय मांगा है, हमें फिर जन्म मिल गया है। हर बार वासना बेटों को तो और भी समय चाहिए था। लेकिन एक छोटा बेटा राजी | | अधूरी रही है। हम पुनर्जन्म पा गए हैं। और हर बार जब मौत आती हो गया। बड़े बेटे समझदार थे, अनुभवी थे; वे कोई भी राजी नहीं | | है, तो हम फिर उतने के उतने अधूरे हैं। कहीं कुछ भरता नहीं है। हुए। और उन्होंने कहा कि आपको ऐसा कहते संकोच भी नहीं | | मृत्यु घबड़ा देती है, क्योंकि भविष्य समाप्त हो जाता है। और होता! आप भी मरने को राजी नहीं हैं! और आप तो सौ वर्ष भी जी | | तब जिंदगी की व्यर्थता दिखाई पड़ती है, लेकिन तब कोई प्रयोजन लिए, हम तो अभी इतना भी नहीं जीए हैं। और हमसे आप मरने | | नहीं। तब कोई अर्थ नहीं। तब जिंदगी लगती है एक जुआ थी, के लिए कहते हैं!
जिसमें हम हारे। लेकिन एक छोटा बेटा राजी हो गया। ययाति ने उससे पूछा भी जुए की एक खूबी है, वह इसलिए मैंने इतनी बात कही। जुए में कि तू क्यों राजी हो रहा है? उसने कहा कि मैं इसलिए राजी हो रहा कोई कभी जीतता नहीं; यही उसका छल है। और हरेक जीतता हुआ हूं कि अगर सौ वर्ष जीकर भी आपकी वासना तृप्त नहीं हुई, तो मैं | | मालूम पड़ता है, यही उसका छल है। हरेक जीतने की आकांक्षा से भी इस मेहनत में नहीं पडूंगा। सौ वर्ष बाद मरना ही है, तो मेरी जुए के पासे फेंकता है और हर एक को लगता है कि जीत निश्चित जिंदगी बेकार चली जाएगी, अभी कम से कम इतने तो काम आ है। लेकिन जुए में कोई कभी जीतता नहीं। और जो जीतते हुए मालूम
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