SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 240
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गीता दर्शन भाग-500 ही न पड़े और सबमें गूंजने लगे भीतर, कहने की जरूरत ही न रह | इसलिए आपको पता है कि स्त्रियों की उम्र पुरुषों से पांच साल जाए. होना ही उसका स्मरण बन जाए. तब, तब परमात्मा उपलब्ध ज्यादा है। औसत उम्र। स्त्रियां कम बीमार पड़ती हैं, पुरुषों की होता है। बजाय। और अगर बीमार भी पड़ती हैं, तो उसका कारण शारीरिक मेधा, धृति, क्षमा। कम और मानसिक ज्यादा होता है। स्त्रियों की बीमारी को रेसिस्ट धृति का अर्थ है, धीरज, धैर्य, स्थिरता। पुरुष बहुत अधीर है। करने की क्षमता मेडिकली सिद्ध हो गई है कि बहुत ज्यादा है। बहुत अधीर है। शायद बायोलाजिकल कारण भी है। शायद उसकी स्त्रियां कई बीमारियों को बिना तकलीफ के पार हो जाती हैं, जो वीर्य-ऊर्जा है, वह भी अधीर है। इसलिए उसका पूरा व्यक्तित्व बीमारियां प्रवेश नहीं कर सकती हैं। पुरुष बहुत जल्दी से बीमार हो अधीर है। स्त्री शांत है, थिर है, धैर्य से भरी है। जाता है। उसकी मस्कुलर ताकत ज्यादा है। __ अभी तक हम सोचते रहे थे ऐसा कि पुरुष शक्तिशाली है। एक लेकिन मस्कुलर ताकत का तो वक्त भी गया। इसलिए आने हिसाब से है। मस्कुलर, पेशीगत उसकी सामर्थ्य ज्यादा है। अगर वाली दुनिया में स्त्री रोज ताकतवर होती जाएगी। सौ साल के लड़ने जाए, तो स्त्री से ज्यादा शक्तिशाली है। लेकिन यह तो भीतर...। क्योंकि मस्कुलर ताकत का वक्त गया। न तो अब शेर मापदंड की बात हुई, एक क्राइटेरियन की बात हुई। किसी और से लड़ने जाना पड़ता है, न लकड़ी काटने जाना पड़ता है। वह सब हिसाब से स्त्री पुरुष से ज्यादा शक्तिशाली है। काम तो मशीन करने लगी। पुरुष के जितने काम थे, मशीन करने जहां तक थिरता का सवाल है, जहां तक सहने का सवाल है, लगी। और स्त्री का कोई भी काम अभी तक मशीन करने में समर्थ सहनशीलता का सवाल है, धैर्य का सवाल है...। आपको पता नहीं है। नहीं होगा, आपको खयाल नहीं होगा कि नौ महीने एक मां अपने | आने वाले सौ साल में स्त्री आपके ऊपर उठती जाएगी। उसकी बेटे को अपने पेट में ढोती है। एक पुरुष को नौ दिन भी ढोना पड़े, | ताकत बड़ी होती जाएगी। होती ही जाएगी। क्योंकि आपका काम तो उसे पता चले! अगर पुरुष को गर्भ ढोना पड़े, तो गर्भपात नियम | | तो, आप एक अर्थ में अब बेकार हैं। अगर आटोमेटिक पूरा जगत हो जाए। फिर बच्चे को मां बड़ा करती है। एक रात जरा छोटे बच्चे | हो जाता है सौ वर्षों में, तो पुरुष बेकार है। उसके बिना काम चल को अपने बिस्तर पर सुलाकर देखें, तब आपको पता चलेगा कि सकेगा। स्त्री बेकार अभी नहीं हो सकती। उसके कुछ और ही गुण वह आपको पागल कर देगा। हैं, जो अनिवार्य हैं। सना है मैंने. मल्ला नसरुद्दीन अपने बेटे को लेकर एक दिन कष्ण कहते हैं. धति मैं हं. क्षमा मैं हं। बच्चों को घुमाने की गाड़ी में लेकर निकला है। बच्चा रो रहा है। स्त्री के व्यक्तित्व में जिस मात्रा में प्रेम है, उसी मात्रा में क्षमा है। और नसरुद्दीन बार-बार कहता है, नसरुद्दीन, शांत हो जा! | जितना ज्यादा प्रेम होगा, उतनी क्षमा होगी। जितना ज्यादा धैर्य नसरुद्दीन, शांत हो जा! नसरुद्दीन, शांत हो जा! एक बूढ़ी औरत होगा, उतनी क्षमा होगी। और जितना ज्यादा मातृत्व होगा, उतनी नसरुद्दीन की तकलीफ देखती है। सोचती है कि उसका बेटा, क्षमा होनी ही चाहिए। पुरुष को क्षमा अभ्यास करनी पड़ती है। स्त्री जिसका नाम नसरुद्दीन होगा, रो रहा है, इसलिए उसको शांत कर की क्षमा सहज घटित होती है। वह उसका स्वभाव है। रहा है! लेकिन अब तक ऐसा हुआ कि मनुष्य-जाति ने पुरुषों को केंद्र वह बूढ़ी आकर कहती है कि बेटा तो बड़ा प्यारा है। इसका नाम | मानकर काम चलाया। इसलिए हम कहते हैं मनुष्य-जाति, इसलिए नसरुद्दीन है? नसरुद्दीन ने कहा, इसका नाम नहीं है नसरुद्दीन। | हम कहते हैं मैनकाइंड, सब पुरुष के नाम हैं। सब पुरुष के नाम नसरुद्दीन मेरा नाम है। और में अपने से कह रहा हूं, शांत हो जा, हैं! स्त्री को हम पुरुष में सम्मिलित कर लेते हैं। शांत हो जा। मन तो इसकी गर्दन दबाने का हो रहा है! नसरुद्दीन, | लेकिन वह भूल हो गई। स्त्री का अपना व्यक्तित्व है, पुरुष से शांत हो जा। यह मेरी खोपड़ी खाए जा रहा है! | बिलकुल अलग। और जब तक इस पृथ्वी पर स्त्री के व्यक्तित्व के स्त्री का धैर्य एक अर्थ में अनंत है। उसकी सहने की क्षमता | | जिन गुणों की कृष्ण ने यहां बात की है, वे भी सारे विकसित नहीं भी बहुत है। आप जिस तकलीफ में टिक न सकेंगे, उसमें स्त्री | हो जाते, तब तक दुनिया एक इम्बैलेंस, एक असंतुलन में रहेगी। टिकती है। पुरुष का पलड़ा बहुत भारी होकर नीचे बैठ गया है। और स्त्री के |210
SR No.002408
Book TitleGita Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy