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8 मैं शाश्वत समय हूं 8
लाओत्से ने कहा, बस उस दिन से मैं भी सूखा पत्ता हो गया। | उस रास्ते पर मत जाएं। वहां एक आदमी बिलकुल पागल हो गया और जिस दिन से मैं सूखा पत्ता हो गया हूं, उस दिन से मैंने दुख है। और उस आदमी ने कसम खा ली है कि जो भी आदमी इस नहीं जाना, अशांति नहीं जानी। और जिस दिन से मैं सूखा पत्ता हो | | रास्ते से निकलेगा, उसकी गर्दन काटकर उसकी अंगुलियों का हार गया हूं, उस दिन से मुझे सत्य खोजना नहीं पड़ा; सत्य मौजूद ही | | पहन लूंगा। उसने नौ सौ निन्यानबे आदमी मार डाले हैं। और वह था, वह मेरे अनुभव में आ गया है।
| कहता है, जब तक हजार पूरे न हो जाएंगे, तब तक मेरा व्रत पूरा काल की यह अक्षयता अनुभव में आए, तो परमात्मा का | नहीं होगा! उस डाकू का नाम अंगुलिमाल था। अंगुलियों की गहनतम रूप स्मरण में आना शुरू होता है।
मालाएं पहन रखी थीं उसने। आप उस रास्ते मत जाएं, वह रास्ता हे अर्जुन, मैं सबका नाश करने वाला मृत्यु और आगे होने वालों | निर्जन हो गया है, अब वहां कोई नहीं जाता है। महीनों से उस तरफ की उत्पत्ति का कारण भी हूं। मृत्यु भी मैं हूं, जन्म भी मैं हूं। कोई नहीं गया है। इसे थोड़ा हम समझें।
बुद्ध ने कहा, अगर मुझे पता न होता, तो शायद मैं दूसरे रास्ते मजे की बात है कि हम कभी खयाल में नहीं लाते, जन्म आपका | से भी चला जाता। लेकिन अब जब कि मुझे पता है, तो मुझे जाना होता है, कभी आपने सोचा? जन्म एक घटना है, जिसके संबंध में ही पड़ेगा। वह अंगुलिमाल बड़ी मुश्किल में होगा। उसको हजार आप कुछ भी नहीं कर सकते। करेंगे भी कैसे, क्योंकि जन्म के बाद पूरे करने हैं, और कोई आदमी जाता भी नहीं! कुछ उसका भी तो ही आप हो सकते हैं। जन्म के पहले कोई आपसे पूछता भी नहीं | सोचो। और अगर मैं न जाऊंगा, तो फिर कौन जाएगा? कि आप जन्म लेना चाहते हैं! जन्म के पहले आपका कोई भी तो बुद्ध उस रास्ते पर चल पड़े। संगी थे, साथी थे, जो कहते थे चुनाव नहीं हो सकता। होगा भी कैसे? जब जन्म ही नहीं हुआ, तो | कि जन्म-मरण का साथ है, वे भी थोड़े पीछे होने लगे। यह उपद्रव आपका चुनाव क्या है? जन्म आपको मिलता है। इट इज़ ए गिफ्ट, का मामला था। यह कविता में ठीक है कि
कि जन्म-मरण का साथ है। वह एक दान है. एक भेंट है। अस्तित्व आपको जन्म देता है। जन्म वस्ततः स्थिति आ जाए तो जन्म-मरण के साथी सबसे पहले पीछे आपके हाथ की बात नहीं है। जन्म के संबंध में आप कुछ भी नहीं | हट जाते हैं। कर सकते। आपके निर्णय की कोई संगति ही नहीं है। आप जब भी अंगुलिमाल ने दूर से देखा बुद्ध को आते हुए। उसे भी दया हैं, जन्म के बाद हैं। जन्म के पहले आप नहीं हैं। निश्चित ही, जन्म | आई। वह आदमी न था दया करने वाला। उसे भी दया आई कि आपका नहीं हो सकता।
यह भिक्षु भूल से आ गया मालूम होता है। पर गांव के लोगों ने मृत्यु भी आपकी नहीं है। जैसे जन्म आपके हाथ से घटित नहीं जरूर रोका होगा, यह फिर भी पागल है। यह मुझसे भी ज्यादा होता, वैसे ही मृत्यु भी आपके हाथ से घटित नहीं होती। मृत्यु भी पागल मालूम पड़ता है! विराट का ही हाथ है, और जन्म भी विराट का ही हाथ है। जो वह अपने फरसे पर धार रख रहा है। और बुद्ध उसके रास्ते के आपको जन्म देता है, वही आपको मृत्यु में खींच लेता है। करीब-करीब पगडंडी चढ़ने लगे। और बुद्ध की वैसी निर्दोष
इसलिए अगर समस्त जगत के धर्मों ने आत्महत्या का विरोध आंखें, बुद्ध का वैसा बच्चों जैसा व्यक्तित्व, बुद्ध की वह सरलता, किया है, तो उसका कारण है। आत्महत्या को अगर बड़े से बड़ा अंगुलिमाल ने फरसे पर धार रखते नीचे देखा। उसको भी लगा कि पाप कहा है, तो उसका कारण है। जन्म तो आप नहीं ले सकते, | यह आदमी निश्चित ही गलत आ गया। लेकिन आत्महत्या कर सकते हैं। और जो काम परमात्मा को ही उसने भी चिल्लाकर कहा कि ऐ भिक्षु, रुक जा वहीं। आगे मत करना चाहिए, जब
जब आप करते हैं, तब महापाप घटित होता है। जन्म बढ़। शायद तुझे पता नहीं कि मैं अंगुलिमाल हं! बुद्ध ने कहा, मुझे तो आप नहीं ले सकते, उसका कोई उपाय नहीं है; लेकिन मृत्यु | पता है। शायद तुझे पता नहीं कि मैं कौन हूं! और बुद्ध बढ़ते ही आप चुन सकते हैं। लेकिन जब आप जन्म नहीं चुन सकते, तो | | गए। अंगुलिमाल ने फरसे को सूरज की धूप में चमकाकर कहा कि आपको मृत्यु चुनने का कोई हक नहीं रह जाता।
नासमझ भिक्षु, तुझे पता नहीं है कि मैंने कसम ली है आदमियों को बुद्ध ने कहा है किसी दूसरे संदर्भ में, एक दूसरे पहलू से, यही | काटने की, और तू आखिरी आदमी है। तुझको काटकर मेरा व्रत बात। बुद्ध को एक गांव के पास से गुजरते वक्त लोगों ने कहा कि | पूरा हो जाएगा। मैं तुझे छोडूंगा नहीं। अगर मेरी मां भी आती हो,
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