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________________ ॐ शस्त्रधारियों में राम में छुड़वा दिया! कृष्ण का यह कहना कि मैं धनुर्धारियों में, शस्त्रधारियों में राम इस आदमी के कृत्यों से हम इस आदमी को नहीं समझ सकते। | हूं, इस बात की खबर देना है कि मैं जो करता हूं, उससे तू मेरा पता यह आदमी क्या करता है, इससे इसकी आत्मा का पता नहीं नहीं लगा सकेगा। मेरा होना, मेरे करने के पार है। वह जो अस्तित्व चलेगा। नहीं तो इन दोनों बातों में मेल बिठाना मुश्किल है। यह है मेरा, वह मेरे कृत्य से बहुत ऊपर है। आदमी क्या है, उसे हम समझ लें, तो इसके कृत्यों की व्याख्या हो | हमारी हालत उलटी है। हमारा अस्तित्व हमारे कत्य से भी नीचे सकती है। होता है। उसे हम समझ लें, तो राम की बात हमारे खयाल में आ सीता का चोरी जाना युद्ध का कारण नहीं है, केवल युद्ध का जाए। बहाना है। सीता के लिए युद्ध नहीं किया गया है। ज्यादा समझ की रास्ते पर आप जाते हैं और एक भिखारी आपसे पैसा मांगता है। बात तो यह है कि शायद युद्ध के लिए सीता को चोरी करवाने की | अगर आस-पास कोई न हो, तो आप भिखारी की बिना फिक्र किए व्यवस्था की गई हो। समझ में भी ऐसा ही आता है। क्योंकि राम आगे बढ़ जाते हैं। लेकिन अगर चार लोग देखने वाले हों और एक सोने के मृग के पीछे भागते हैं शिकार करने। आप भी धोखे प्रतिष्ठा का सवाल आ जाए, तो आप भिखारी को दो पैसे दे देते में न आते। हालांकि सोना बहुत आकर्षित करता है, लेकिन सोने | हैं। वह आप भिखारी को नहीं देते, अपनी प्रतिष्ठा को देते हैं। का मृग आपको भी दिखाई पड़ता, तो आप समझते, कोई धोखा इसलिए भिखारी भी अकेले आदमी को नहीं घेरते। दो-चार मित्र है। राम को तो सोने का मृग क्या धोखा दे सकता था! साथ में हों, तो पैर पकड़ लेते हैं। क्योंकि वह तीन की आंखों से ही यह जाना आयोजित है। यह जाना जानकर है। यह जाना | | पैसा मिलने वाला है, क्योंकि उन तीन के सामने यह भी तो जरा समझ-बूझकर है। सीता चुराई जा सके, इसके लिए सुविधा देनी | अपमानजनक है कि दो पैसे न दे सके। आपका कृत्य तो मालूम जरूरी है। वह जो गलत है. वह गलत कर सके. तभी उसकी गलती होता है कि आपने दया की, लेकिन आपका अस्तित्व आपके कृत्य प्रकट होती है। वह जो बरा है. उसे बरे होने का परा मौका दिया जाए. से नीचे होता है। आपकी आत्मा आपके कृत्य से भी नीची होती है। तो ही उसकी बुराई प्रकट होती है। रावण सीता को चराकर ही झंझट दान वह नहीं है। में पड़ गया। उसकी बुराई शिखर पर पहुंच गई, उसका पाप का घड़ा | जहां अहंकार तृप्त हो रहा हो, वहां दान नहीं है, वह चाहे छोटा पूरा भर गया। और तब उसे विनष्ट किया जा सकता है। | हो, चाहे बड़ा। जब तक अहंकार ही न दिया जाए, तब तक दान एक खयालं आपको शायद न हो। भारतीय मन बहुत अनूठा है | नहीं है। अहंकार के लिए कुछ दिया जाए, तो दान नहीं है। उसका और कई बार पश्चिम में उसको समझना मुश्किल हो जाता है। कथा | संबंध दूसरे से नहीं है। आप जब भिखारी को देते हैं, तो उसका यह है कि वाल्मीकि ने रामायण पहले लिखी, राम बाद में हुए। यह संबंध भिखारी से नहीं है, अपने से है। आप अपने अहंकार में दो बात निश्चित ही असंगत मालूम पड़ती है। लेकिन भारतीय मन में | पैसे डाल रहे हैं, ताकि अहंकार और मजबूत हो जाए। भिखारी का बड़े और खयाल हैं। पात्र तो केवल आपके लिए एक निमित्त है। ___ राम का व्यक्तित्व एक विराट योजना का हिस्सा मात्र है। वह लेकिन भिखारी को दो पैसे मिल जाते हैं। उसे प्रयोजन नहीं कि योजना पहले से नियोजित है, वह योजना पहले से तैयार है। राम आपने किसलिए दिए। भिखारी को यह भी लग सकता है कि सिर्फ एक अभिनेता हैं उस योजना में। इसलिए सीता चोरी जाती है, आपने दया की। हालांकि किसी भिखारी को ऐसा नहीं लगता। और तो युद्ध को चले जाते हैं। और एक धोबी एतराज उठाता है, तो | | जब आप देकर चले जाते हैं, तो भिखारी हंसता है कि ठीक बेवकूफ सीता को जंगल भेज देते हैं। राम जैसे इन किन्हीं कृत्यों के बीच में बनाया। उसका भी अपना अहंकार है. आपका ही नहीं है। वह भी नहीं हैं। बाहर खड़े हैं। जैसे ये सारे कत्य एक अभिनय के मंच पर भलीभांति जानता है कि किस तरह के लोग बुद्ध बन जाते हैं, किस किए जा रहे हैं, जिनसे राम का कुछ लेना-देना नहीं है। जो करना | | हालत में बन जाते हैं। वह भी पीछे से हंसता है। सामने तो दुआ जरूरी है, वे कर रहे हैं। जो होना चाहिए, वह हो रहा है। लेकिन | देता दिखाई मालूम पड़ता है। मानता तो वह उसी आदमी को है, जो वे बाहर खड़े हैं। उनकी आत्मा इनमें से किसी से भी छू नहीं जाती। बिना दिए अकड़कर चला जाता है। मानता तो वह भी उसी को है। कोई चीज उनको स्पर्श नहीं कर रही है। समझता है कि इसको मैं बना नहीं पाया। | 185|
SR No.002408
Book TitleGita Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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