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________________ गीता दर्शन भाग-508 सिर रख सकता है चरणों में। कहीं भी कोई है, जहां अहंकार | नृत्य-ऐसा ज्यादा है। विसर्जित हो सकता है। कहीं भी कोई है, जहां अपने से बड़ा माना | कृष्ण को हम बिना बांसुरी के सोच ही नहीं सकते। कृष्ण से छीन जा सकता है, अपने से ऊपर देखा जा सकता है, अपने से पार जाने | लें बांसुरी, तो कृष्ण का सब कुछ छिन जाता है। बुद्ध के पास का रास्ता खुल जाता है। बांसुरी रखें, बहुत असंगत मालूम पड़ेगी, इररेलेवेंट। बुद्ध से __ अपने से निरंतर पार होते जाना ही साधना है। अपने से निरंतर उसका कोई संबंध नहीं जुड़ेगा। महावीर के हाथ में बांसुरी दे दें, ऊपर उठते जाना ही क्रम है। उस सीमा तक अपने से ऊपर उठते और महावीर सामने खड़े हों, तो आप सोच भी नहीं पाएंगे कि हाथ जाना है, जब तक कि अपनापन बचे। जब अपनापन बचे ही नहीं, में जो चीज है, वह बांसुरी हो सकती है! तो जानना कि अंतिम मंजिल आ गई। सुना है मैंने, एक अंग्रेज विचारक भारत आया हुआ था। वह __ कृष्ण ने कहा कि मैं सूर्य हूं प्रकाशों में, वायु देवताओं में मरीचि | शिव के एक मंदिर को देखने गया था। बाहर तो बड़ी धूप थी, तो हूं, श्रेष्ठतम, सबसे तीव्र गति वाला देवता हूं। नक्षत्रों में नक्षत्रों का उसने अपना टोप लगा रखा था। भीतर तो छाया थी गहन और अधिपति चंद्रमा हूं। ठंडक थी, तो उसने शिव की पिंडी के पास ही अपना टोप उतारकर ये सब प्रतीक हैं। और जो भी श्रेष्ठतम है, उसकी तरफ कृष्ण | रख दिया और मंदिर को घूमकर देखने लगा। जब वह खुद दरवाजे इशारा कर रहे हैं। पर मंदिर के आया और उसने लौटकर देखा, तो अपने मित्र से जो और मैं वेदों में सामवेद हूं, देवों में इंद्र हूं, इंद्रियों में मन हूं, | साथ में था, एक हिंदुस्तानी, उससे उसने पूछा कि शिव की पिंडी भूत-प्राणियों में चेतना अर्थात ज्ञान हूं। के पास जो चीज रखी है, वह क्या है? यह अंतिम सूत्र बहुत समझने जैसा है। ___ तो शिव की पिंडी के पास हैट का क्या संबंध! तो उसके मित्र वेदों में सामवेद हूं! यह बड़ी हैरानी का मालूम होता है। क्योंकि | को खयाल आया कि मालूम होता है, शिव का घंटा किसी ने उलटा हमको लगेगा, कहना था, वेदों में ऋग्वेद हूं। प्रथम और सर्वाधिक | | रख दिया है। एसोसिएशंस होते हैं। शिव के पास हैट का क्या मूल्य का समझा जाने वाला वेद तो ऋग् है। कृष्ण ने क्यों कर | संबंध होगा? सामवेद चुना होगा? और सब तो ठीक है कि प्रकाशों में सूर्य हूँ | __ हम जो देखते हैं, उसमें सिर्फ देखते ही नहीं, उसमें हमारी और वायु देवताओं में मरीचि हूं, यह ठीक है। अदिति के पुत्रों में व्याख्या भी होती है। अगर महावीर के हाथ में बांसुरी हो, तो हम विष्णु हूं, यह ठीक है; इसमें कोई अड़चन नहीं, कोई दुविधा नहीं। सोच ही नहीं सकते कि बांसरी है। महावीर और गीत का कोई संबंध लेकिन यह आखिरी वक्तव्य बहुत दुविधापूर्ण है कि मैं वेदों में | नहीं। महावीर और काव्य में क्या लेना-देना! कृष्ण के हाथ में सामवेद हूं। और पंडितों को बड़ी कठिनाई पड़ी है, इसको, सामवेद | बांसुरी, कृष्ण के अंतरतम का प्रतीक हो जाती है। को श्रेष्ठतम रखने में। ऋग्वेद के ऊपर रखना इसे बहुत मुश्किल | इसलिए कृष्ण ने जब अर्जुन को कहा कि मैं वेदों में सामवेद हूं, है। लेकिन कृष्ण ने यह क्यों पसंद किया होगा? तो यह सार्थक है। इसमें कृष्ण ने यह कहा कि शब्द और सिद्धांत पुनः ऋग्वेद और सामवेद का सवाल नहीं है, पुनः अर्जुन का और शास्त्र मैं नहीं हूं। गीत, संगीत, लय और नृत्य मैं हूं। और सवाल है। और अर्जन को देखकर ही बात की जा रही है। यह भाषा | जीवन का जो परम रहस्य है, वह सिद्धांतों से नहीं हल होता, अर्जुन के लिए है। और कृष्ण के व्यक्तित्व का भी सवाल है। और क्योंकि सिद्धांतों से तो एक दूरी बनी रहती है। जीवन का जो परम कृष्ण के व्यक्तित्व में भी सामवेद ही श्रेष्ठ मालूम पड़ेगा। और | रहस्य है, वह तो किसी तल्लीनता में पूरा होता है। कृष्ण अपना तादात्म्य भी ऋग्वेद से नहीं कर पाते हैं, सामवेद से ___सामवेद तल्लीनता का शास्त्र है। इसलिए ऋग्वेद को कृष्ण ने कर पाते हैं। | नहीं कहा; सामवेद को कहा। यह खुद उनके व्यक्तित्व की भी सामवेद संगीत का, गीत का वेद है; पांडित्य का नहीं, सिद्धांत झलक है उसमें, और अर्जुन को भी समझ में आ सके। इसे भी का नहीं, गीत का, संगीत का। कृष्ण का व्यक्तित्व एक गणित के थोड़ा हम समझ लें कि अर्जुन की समझ में क्यों आ सके। सिद्धांत की बजाय, गीत की कड़ी जैसा ज्यादा है। कृष्ण का अर्जुन खुद भी कोई तर्क-शास्त्री नहीं है; एक योद्धा है। और व्यक्तित्व एक शुद्ध चिंतन, शुद्ध विचार-ऐसा कम; शुद्ध कई बार हमें ऐसा भी लग सकता है कि एक योद्धा का गीत से, 118|
SR No.002408
Book TitleGita Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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