________________
8 गीता दर्शन भाग-500
सूर्य कहीं पैदा हो जाता है, क्योंकि उसकी निकली हुई सारी किरणें| | निश्चित था कि स्वर्ग उसे मिलने वाला है। और दिन-रात ईश्वर पुनः दूसरी जगह संगठित हो जाती हैं।
का ही गुणगान किया। स्वाभाविक था कि उसके मन में गहरी आशा सूरज भी रोज चुकता चला जाता है। हमारी जमीन को यह सूरज | | हो कि स्वर्ग के द्वार पर स्वयं ईश्वर ही मेरा स्वागत करेगा। कोई चार अरब वर्ष से प्रकाश दे रहा है। उसका प्रकाश रोज कम लेकिन जब वह धर्मगुरु स्वर्ग के द्वार पर पहुंचा, तो वह बहुत होता जा रहा है। वैज्ञानिक कहते हैं, कोई चार हजार साल और, और | मुश्किल में पड़ गया। द्वार इतना बड़ा था कि उस धर्मगुरु को उसका सूरज का ईंधन चुक जाएगा, वह ठंडा पड़ जाएगा, बुझ जाएगा। | ओर-छोर दिखाई नहीं पड़ता था। उसने बहुत ताकत लगाकर द्वार उसके बुझते ही सब बुझ जाएगा। हमारा सौर-परिवार बुझ जाएगा। | को पीटा। लेकिन उसको खुद भी समझ में आ गया कि इतना बड़ा
लेकिन तब तक उसकी सारी किरणें किसी दूसरे कोने में विराट | द्वार है, यह मेरे हाथ की आवाज भीतर तक पहुंच नहीं सकती। तब के इकट्ठी होकर नए सूर्य को जन्म दे देंगी और नया सूर्य-परिवार | उसका चित्त उदास भी होने लगा। क्योंकि सोचा था, बैंड-बाजे के निर्मित हो जाएगा। जैसे एक व्यक्ति मरता है और बच्चे को जन्म | साथ ईश्वर खुद मौजूद होगा। वहां कोई भी नहीं था। न मालूम दे जाता है, ऐसे ही सूरज भी मरते रहते हैं और नए सूर्यों को जन्म | कितने वर्ष उसे बीतते मालूम पड़ने लगे। चीखता है, चिल्लाता है। देते चले जाते हैं। इस विराट की व्यवस्था में सूरज छोटी से छोटी | | रोता है। छाती पीटता है, दरवाजा पीटता है। चीज है।
फिर एक खिड़की खुली और एक चेहरा बाहर झांका। हजार इसलिए कृष्ण ने कहा कि ज्योतियों में मैं किरणों वाला सूर्य हूं। | आंखें थीं और एक-एक आंख जैसे एक-एक सूर्य हो! वह इस विराट की दृष्टि से सूर्य छोटी से छोटी चीज है, लेकिन हमारे | घबड़ाकर नीचे दुबक गया और चिल्लाने लगा कि थोड़ा पीछे हट अनुभव और अर्जुन की समझ में आने वाली सूर्य सबसे बड़ी चीज | जाएं। हे परम पिता, हे परमेश्वर, आपके प्रकाश को मैं नहीं सह है। सूर्य हमारे अनुभव में आने वाली सबसे विराट घटना है। सकता हूं। आप थोड़ा पीछे हट जाएं।
अस्तित्व की दृष्टि से सूर्य सबसे छोटी चीज है। कृष्ण अगर अपनी लेकिन उस आदमी ने कहा कि क्षमा करें। आप भूल में हैं। मैं तरफ से बोलें, तो अर्जुन की समझ में नहीं आता है। इसलिए कृष्ण | | सिर्फ यहां का पहरेदार हूं। मैं कोई परमेश्वर नहीं हूं। परमेश्वर का
अब अर्जुन की तरफ से बोल रहे हैं। सबसे छोटी चीज को वे कह | | मैंने कभी कोई दर्शन नहीं किया। मैं सिर्फ यहां का पहरेदार हूं। रहे हैं। अर्जुन के लिए वह सबसे बड़ी है।
परमेश्वर और मेरे बीच बड़ा फासला है। वहां तक पहुंचने की अभी ध्यान रखें, सारे वक्तव्य रिलेटिव हैं, सापेक्ष हैं। जब भी हम | मेरी सुविधा नहीं बन पाई। कहते हैं छोटा और बड़ा, तो किसी की तुलना में कहते हैं। अर्जुन | | तब तो वह धर्मगुरु बहुत घबड़ाया। एक कीड़े-मकोड़े की तरह की दृष्टि से सूरज बड़ी से बड़ी घटना है। इससे बड़ी और कोई | | दुबककर वह नीचे बैठ गया। और उसने कहा, फिर भी, आप अगर घटना क्या हो सकती है! कृष्ण की दृष्टि से सूरज छोटी से छोटी | परमेश्वर तक खबर पहुंचा सकें या कोई उपाय करें, कहें कि मैं घटना है; छोटी से छोटी इकाई है।
पृथ्वी से आया हूं, फला-फलां धर्म का मानने वाला, फला-फलां बड रसेल ने एक बहुत प्यारी कहानी लिखी है। बड रसेल ने धर्म का सबसे बड़ा धर्मगुरु। लाखों लोग मेरी पूजा करते हैं, लाखों थोड़ी ही कहानियां लिखी हैं। वे कोई कहानी-लेखक नहीं थे। लेकिन लोग मेरे चरणों में गिरते हैं। मैं आ रहा हूं, मेरी खबर कर दें। मेरा कुछ बातें कहनी हों और ऐसी हों कि दर्शन की भाषा में न कही जा यह-यह नाम है। सकें, तो कभी-कभी कहानियों की भाषा में कही जा सकती हैं। तो | तो उस द्वारपाल ने कहा कि क्षमा करें। आपके नाम का तो पता रसेल ने लिखी है एक कहानी। उस कहानी को नाम दिया है, एक लगाना बहुत कठिन पड़ेगा। आपके संप्रदाय का भी पता लगाना धर्मगुरु का दुखस्वप्न-नाइटमेयर आफ ए थियोलाजियन। । बहुत कठिन पड़ेगा। आप किस पृथ्वी से आ रहे हैं, उसका नाम
एक धर्मगुरु रात सोया और उसने स्वप्न देखा कि उसकी मृत्य बताइए। उस धर्मगर ने कहा, किस पथ्वी से। पथ्वी तो बस एक हो गई है। तो वह बड़ा प्रसन्न हुआ। क्योंकि जीवन में कभी उसने ही है, हमारी पृथ्वी! उस द्वारपाल ने कहा कि आपका अज्ञान गहन कोई पाप नहीं किया था कि नर्क जाने का भय उसे लगे। न कभी | है। अनंत-अनंत पृथ्वियां हैं इस विराट विश्व में। किस पृथ्वी से झूठ बोला, न कभी बेईमानी की, न किसी का दिल दुखाया। | आते हो, इंडेक्स नंबर बोलो! तुम्हारी पृथ्वी का नंबर क्या है?
116