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________________ ॐ सगुण प्रतीक-सृजनात्मकता, प्रकाश, संगीत और बोध के ॐ छोटे दिखाई पड़ते हैं। छोटे दिखाई इसलिए पड़ते हैं कि बहुत वैज्ञानिकों ने कोई तीन अरब सूर्यों का पता लगाया है। यह भी अंत फासला है. लंबा फासला है। इस फासले का हम थोडा ध्यान रखें. नहीं है। यह भी केवल हमारी खोज की सीमा है, अस्तित्व की सीमा तो हमें खयाल में आए कि सूर्य को प्राथमिक इकाई, यूनिट मानने नहीं है। का क्या कारण है। इनमें जो तीन अरब सूर्य हैं, उनमें से कुछ सूर्य तो ऐसे हैं कि जमीन से अगर हम सूरज की तरफ यात्रा करें, सूरज की किरण उनकी किरण हम तक पहुंचने में अरबों वर्ष लग जाते हैं, उसी की ही रफ्तार से यात्रा करें, तो हमें पहुंचने में कोई साढ़े नौ मिनट रफ्तार से, एक लाख छियासी हजार मील प्रति सेकेंड की रफ्तार लगेंगे। लेकिन सूरज की किरण की रफ्तार से चलें तो! अभी तो से! कुछ ऐसे सूर्य हैं जिनकी किरण अब हमारी पृथ्वी पर पहुंची है, हमारे पास जो बड़ी से बड़ी रफ्तार है, उससे भी हम पूरे जीवन भी | और तब चली थी, जब हमारी पृथ्वी बनी थी। हमारी पृथ्वी को बने चलते रहें, तो सूरज तक नहीं पहुंच पाएंगे। सूरज की किरण चलती कोई चार अरब वर्ष हुए हैं। चार अरब वर्षों में चली हुई किरण जो है एक सेकेंड में एक लाख छियासी हजार मील! एक सेकेंड में एक पहले दिन चली थी पृथ्वी के बनने पर, वह अब पहुंच पाई है! लाख छियासी हजार मील! इसमें साठ का गणा करें तो एक मिनट और वैज्ञानिक कहते हैं कि ऐसे भी सूर्य हैं, हमारी पृथ्वी बन में, और उसमें भी साठ का गुणा करें, तो एक घंटे में। जाएगी, हम रह चुके होंगे अरबों-खरबों वर्ष और समाप्त हो लेकिन सूरज हमारे बहुत करीब है, साढ़े नौ, दस मिनट का जाएगी, और उनकी किरण जो चली होगी बनने के पहले, वह फासला है। अगर हम इन तारों की तरफ यात्रा करें, तो जो सबसे हमारे मिटने के बाद यहां से गुजरेगी। निकट तारा है, उस तक अगर हम सूरज की किरण की रफ्तार से उस किरण को पता ही नहीं चलेगा कि बीच में यहां एक पृथ्वी चलें, तो हमें पहुंचने में चार साल लगेंगे। सूरज की किरण की बनी, उस पर करोड़ों लोग रहे, अरबों वर्ष तक युद्ध चले, कलह रफ्तार से चलने में सूरज के बाद जो सबसे निकट का सूर्य है, हमें चली; लोभ, भय चला; निर्माण हुआ, विनाश हुआ; उस किरण पहुंचने में चार साल लगेंगे। . | को कुछ भी पता नहीं चलेगा। वह किरण जब चली थी, तब पृथ्वी अभी तक वैज्ञानिक मानते हैं कि हम उस रफ्तार से कभी चल नहीं थी; और जब यहां से गुजरेगी, तब फिर पृथ्वी शून्य हो गई न सकेंगे, क्योंकि उस रफ्तार पर कोई भी चीज, उतनी रफ्तार | होगी। उस किरण के लिए इस स्थान पर कभी कोई घटना ही नहीं पकड़ते ही सूर्य की किरण बन जाएगी। जो भी वाहन हम उपयोग घटी। हमारा सारा इतिहास, लंबे से लंबा इतिहास भी उस किरण करेंगे, जो यात्रा का साधन उपयोग करेंगे, वह किसी भी धातु का | की यात्रा के बीच में पता ही नहीं चलेगा। लेकिन यह भी अंतिम हो, उतनी रफ्तार पर वह सूर्य की किरण हो जाएगा। और उसके सूर्य नहीं है। अब वैज्ञानिक कहते हैं कि इस विस्तार का कोई अंत भीतर के यात्री भी किरण हो जाएंगे। उतनी तेज रफ्तार पर इतनी नहीं है। गर्मी पैदा होगी कि जो भी होगा, वह आग हो जाएगा। इसको अगर हम ध्यान में रखें, तो सूर्य जो है, वह इस विराट इसलिए आशा नहीं है अभी कि उतनी रफ्तार पर हम कभी यात्रा का यूनिट है, इकाई है। इस विराट को अगर हम तौलें, तो सूर्य से कर सकेंगे। अब तक की जो व्यवस्था है, उसमें कोई संभावना नहीं | तौल सकते हैं। एक-एक सूर्य का अपना-अपना सौर-परिवार है। दिखाई पड़ती। एक ही संभावना है, जो कि अभी बिलकुल कल्पना पृथ्वी है, चांद है, मंगल है, बृहस्पति है, यह सब एक सूर्य का है, वह संभावना यह है कि सूरज की किरण की हैसियत से, सूरज परिवार है। वैज्ञानिक कहते हैं, ये सब सूर्य से ही पैदा हुए हैं। ये की किरण बनकर ही कोई आदमी यात्रा करे और एक विशेष सब सूर्य के ही टुकड़े हैं। एक सूर्य के नष्ट होने पर उसका पूरा टेंपरेचर पर सूरज की किरण बन जाए और जब दूसरे सूरज पर परिवार नष्ट हो जाता है। और एक सूर्य के पैदा होने पर उसका पूरा पहुंचे, तो वापस टेंपरेचर पर आदमी बनाया जा सके, री-कनवर्ट परिवार निर्मित होता है। जिस दिन हमारा सूर्य नष्ट हो जाएगा, उस किया जा सके। लेकिन वह शायद हजारों-लाखों वर्ष बाद कभी | दिन सब हमारे सूर्य का परिवार नष्ट हो जाएगा। संभव हो सके। और यह कोई अनहोनी घटना नहीं है। रोज सैकड़ों सूर्यों के चार वर्ष लगेंगे हमें, जो निकटतम सूर्य है वहां तक पहुंचने में। | परिवार नष्ट होते हैं और रोज नए सैकड़ों सूर्यों के परिवार जीवित लेकिन वह निकटतम है, उससे दूर सूर्य हैं। और अब तक होते हैं, जन्म लेते हैं। जब एक सूर्य कहीं मरता है, तो तत्काल दूसरा 115
SR No.002408
Book TitleGita Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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