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स्वभाव की पहचान
अस्तव्यस्त हो गया।
दफे राम कह दे, तो कुछ हल होने वाला है? जिंदगी जिसकी राम तो मैंने उनको खबर भेजी कि अब तुम आओ या न आओ, अब से न भरी हो, आखिरी समय में निकला हुआ शब्द उसके हृदय से यह अस्तव्यस्तता मिट नहीं सकती। एक धोखा टूट जाए, तो आप नहीं आ सकता। होंठ पर ही होगा। झूठा होगा। मतलब से होगा। वापस नहीं लौट सकते फिर। .
और राम का नाम भी जब कोई मतलब से ले, तो बेकार हो जाता जीवन का नियम है कि जो भी जान लिया जाए, उसे फिर मिटाया है। मतलब का मतलब कि अब उसे डर है। नहीं जा सकता। ज्ञान को मिटाने का कोई उपाय नहीं है। अगर यह | एक धर्मगुरु मरने के करीब है। धर्मगरु बड़ा था। लेकिन कितने भी ज्ञान हो जाए, अगर यह भी मुझे पता चल जाए कि जो मैं जानता ही बड़े धर्मगुरु हों, धर्म का तो कोई पता नहीं होता। धर्मगुरु होना था, वह गलत है, तो अब कोई उपाय नहीं है इससे वापस लौट आसान है, धर्म को जानना कठिन है। क्योंकि धर्मगुरु होना एक जाने का। अब आगे ही बढ़ना पड़ेगा। जीवन आगे जाना ही जानता | प्रशिक्षण है। वह योग्य आदमी था। प्रशिक्षित था। जानता था धर्म है, पीछे जाने का कोई उपाय नहीं है। विकास पीछे नहीं लौटता। | को। दूसरों को भी समझाता था। कभी खयाल ही उसे नहीं आया लाख उपाय करें, तो भी एक इंच पीछे नहीं जा सकते। | कि जो मैं दूसरों को समझाता रहा हूं, वह मुझे भी पता है या नहीं?
तो मैंने उनसे कहा, अब आओ या न आओ, लेकिन जो तुम्हारे | __ मौत करीब आई, तो उसके पैर थर्राए। तब वह भूल गया कि पास था, वह कभी नहीं होगा। अब तो तुम्हें आगे बढ़कर उसे पुनः मैंने कितने लोगों को धर्म समझाया। उसे खुद खयाल आया कि प्राप्त करना होगा।
मुझे खुद तो पता नहीं है। गांव में और तो कोई आदमी नहीं था। लेकिन वे चेष्टा करेंगे। फिर किसी झाड़ के नीचे, फिर किसी मुल्ला नसरुद्दीन को उसने खबर भेजी कि तुम ज्ञानी हो। कभी रास्ते के किनारे दूसरा घर बना लेंगे। पुराना भी टूट गया, कोई हर्ज मुल्ला को ज्ञानी माना नहीं था। लेकिन अब मरते वक्त उसे लगा नहीं। फिर दूसरा बना लें। फिर उसमें छिप जाएं।
|कि गांव में और तो कोई आदमी नहीं है. यह आदमी जरूर हम सस्ते में निपटना चाहते हैं। इसलिए दुनिया में शार्टकट इतने | कभी-कभी कोई ज्ञान की कोई बात कह देता है। प्रभावी हो जाते हैं। कोई भी कह देता है कि कोई दिक्कत नहीं है। मुल्ला नसरुद्दीन आया। और उस धर्मगुरु ने कहा कि मैं देखता माला फेर लो रोज एक बार। सब ठीक हो जाएगा। कोई कह देता | | हूं कि तुम्हारे वक्तव्यों में कभी-कभी कोई मिस्टिकल, कोई है, घबड़ाते क्यों हो? मरते वक्त राम का नाम ले लेना, सब ठीक रहस्यपूर्ण वक्तव्य होता है। कभी तुम ऐसी बात कह देते हो हो जाएगा। तो लोग इतने होशियार हैं कि वे कहते हैं, हम तो क्या | हंसी-हंसी में कि तीर की तरह उतर जाती है। मैं मर रहा हूं। मेरे ले पाएंगे। क्योंकि मरते वक्त तक भी उनको ऐसा नहीं लगता कि लिए कोई एकाध सूत्र कहो, जो मरते वक्त मैं पूरा कर सकें! जिंदगी अब मर रहे हैं। मर ही जाते हैं. जब उनको पता चलता है कि मर तो मेरी यों ही दसरों को समझाने में चली गई। खद समझने से गए! तो वे पंडितों को किराए पर रखकर उनसे राम-नाम लिवा देते | वंचित रह गया हूं। अब मैं क्या करूं? हैं। गंगा-जल उनके मुंह में डाला जा रहा है! कोई उनके कान में ___ तो मुल्ला ने उसके कान में कहा कि तुम एक काम करो। एक मंत्र पढ़ रहा है!
| छोटा-सा मंत्र तुम्हें देता हूं। कहो कि हे परमात्मा, मेरी रक्षा कर। और परमात्मा को भी पाने के लिए चालबाजियां हैं! बेईमानी की भी | | हे शैतान, मेरी रक्षा कर। उस आदमी ने कहा, क्या कह रहे हो? सीमाएं नहीं हैं। असीम मालूम पड़ती है बेईमानी। एक आदमी का | मुल्ला ने कहा, समय खोने का मौका नहीं है। वी कैन नाट टेक मुंह बंद हो गया, उसका जबड़ा बंद है। अब वह बोल भी नहीं चांस! पता नहीं, कौन दो में से तुम्हारे काम पड़े! तुम दोनों की प्रार्थना सकता। आंख हिलती नहीं। उसके घर के लोग ढोल-ढमाल | करो। यह कोई मौका सोच-विचार का ज्यादा नहीं है। दो ही बजाकर उसको जोर से भगवान का नाम याद दिला रहे हैं, इस | आल्टरनेटिव हैं, दो ही विकल्प हैं कि या तो तुम नर्क जाओगे या आशा में कि शायद इससे काम हो जाए!
तुम स्वर्ग जाओगे। पता नहीं कहां जाओ! किसी को नाराज करना धोखे नहीं चलते। और इस जमीन पर चल भी जाएं, उस इस वक्त ठीक नहीं है। तुम दोनों का नाम ले लो। जहां भी जाओ, पारलौकिक जगत में बिलकुल नहीं चल सकते। कोई उपाय नहीं है। | कहना दूसरे का भूल से लिया था। इतनी तो समझदारी करो! चलने का। या समझ लें कि वही आदमी मरते वक्त घबड़ाकर एक सारे आदमी मरते वक्त ऐसी ही बेईमानी कर रहे हैं। किसी तरह
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