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* गीता दर्शन भाग-4
मस्तिष्क ही है, जो कह रहा है, बहुत सुंदर। और यह भी इसलिए स्टेटमेंट था। नहीं कह रहा है कि इसे बहुत सुंदर का अनुभव हो रहा है। यह सिर्फ | निश्चित ही, जब आपको कोई चीज सुंदर मालूम पड़ेगी, बुद्धि इसलिए कह रहा है कि इसने बार-बार पूर्णिमा के दिन लोगों को ठहर जाएगी, हृदय अनुभव करेगा। हो सकता है, हृदय की धड़कन कहते सुना है कि बहुत सुंदर। किताबों में पढ़ा है, कविताओं में पढ़ा | | बढ़ जाए। हो सकता है, रक्तचाप तेजी से हो जाए। हो सकता है, है, फिल्मों में देखा है, नाटकों में सुना है-बहुत सुंदर। यह भी रोएं खड़े हो जाएं। लेकिन यह प्रतीति हृदय की होगी; यह बुद्धि की दोहरा रहा है। यह ग्रामोफोन रिकार्ड की तरह इसके मस्तिष्क में भर नहीं होगी। गया है। इसको दोहरा रहा है। अगर इसे अनुभव हो, तो मस्तिष्क लेकिन हमने हृदय से कुछ भी अनुभव करना बंद कर दिया है। में नहीं होगा, हृदय में होगा। और जब अनुभव होगा, तो शायद हम सब बुद्धि से ही अनुभव किए जा रहे हैं। और बुद्धि अनुभव आदमी शब्द भी न देना चाहे।
! करने में असमर्थ है। वह उसका काम नहीं है। सुना है मैंने, लाओत्से के साथ एक मित्र रोज घूमने जाता था | संयमी व्यक्ति का भाव हृदय में स्थापित हो जाता है। कैसे सुबह। मित्र का एक अतिथि भी साथ आ गया और दोनों लाओत्से होगा स्थापित? या तो संयम को उपलब्ध हों, तो हो जाए; या के साथ घूमने गए। मित्र तो जानता है लाओत्से को कि वह चुप ही अगर भाव को भी हृदय में स्थापित कर लें, तो भी संयम का मार्ग रहना पसंद करता है, वर्षों में कभी बोलता है। लेकिन परदेशी सुगम हो जाएगा। अतिथि को कुछ पता नहीं है। दोनों को चुप देखकर वह भी काफी तो जब भी अनुभव करें, खयाल रखकर करें कि हृदय से चुप रहा। फिर एक भूल हो गई।
अनुभव कर रहे हैं। जब किसी से कहें कि मैं तुझे प्रेम करता हूं, तो सुबह जब सूरज निकला और वक्षों के ऊपर उठने लगा. और | यह पहले मत कहें; पहले हृदय के पास किसी सनसनी को दौड़ पक्षी गीत गाने लगे, और फूल खिल गए, और सुगंध भर गई उस जाने दें, कोई लहर। और जब लहर हृदय को पकड़ ले, तभी अगर वन-पथ पर, तो उसने कहा, कितनी सुंदर सुबह है! किसी ने उत्तर जरूरी लगे, तो कहें। और अगर दूसरा बिना कहे समझ सकता हो, न दिया। लाओत्से ने जरूर गौर से उसे देखा, फिर चल पड़ा। मित्र | तो चुप ही रहें; उसे समझने का मौका दें। थोड़ा घबड़ाया; उसने जरा संकोच से अपने अतिथि की तरफ अक्सर हम शब्दों से बताते नहीं, छिपाते हैं। अक्सर जब प्रेम . देखा; वह भी चल पड़ा। वह अतिथि थोड़ा हैरान हुआ कि किसी चुक जाता है, तब हम कहते हैं कि मैं बहुत प्रेम करता हूं। यह ने इतना भी न कहा कि हां, ठीक कहते हो, बड़ी सुंदर सुबह है! | केवल सब्स्टीटयूट है। जब प्रेम होता है, तो उसे कहने की जरूरत
टकर लाओत्से ने अपने मित्र को कहा, कल से इस आदमी नहीं होती। आंखें कह देती हैं। पलकें कह देती हैं। चेहरे का भाव को मत लाना; बहुत बातूनी मालूम पड़ता है। दो घंटे में उसने इतना | कह देता है। हाथ का इशारा कह देता है। उठना-बैठना कह देता ही कहा था, बड़ी सुंदर सुबह है। उसके मित्र ने, लाओत्से के मित्र | | है। प्रेमी के पास आकर बैठना कह देता है कि मैं प्रेम करता हूं। ने कहा, ज्यादा बातूनी तो नहीं है ऐसा। एक ही बात कही है। लेकिन जब यह सब चुक जाता है, तब सिर्फ शब्द रह जाते हैं, लाओत्से ने कहा, लेकिन अगर उसे सुबह सुंदर लगी थी, तो | कोरे और खाली, चले हुए कारतूस जैसे, जिनके भीतर कोई
खयाल भी न आता। अगर सुबह सुंदर लगी थी, तो वह बारूद-वारूद नहीं है। तब हम कहते हैं, में बहुत प्रेम करता हूँ! लीन हो गया होता। वह भूल ही गया होता कि सुबह है। वह खो | यह सिर्फ समझाना है। सिर्फ समझाना है। गया होता। उसे कुछ लगा-वगा नहीं है। सिर्फ आदत, आदतन, (मुल्ला नसरुद्दीन की पत्नी उससे पूछ रही है कि जब मैं बूढ़ी हो सुबह सुंदर है! और फिर हमको भी तो पता था, हम भी वहीं मौजूद जोऊगी, तब भी तुम मुल्ला मुझे प्रेम करोगे या नहीं? मुल्ला ने थे। उसने कहकर सिर्फ सौंदर्य को बाधा पहुंचाई। उस सन्नाटे में, कहा, बिलकुल करूंगा। जरूर करूंगा। तेरे पैरों की धूल सिर पर जहां पक्षियों के गीत थे, और जहां सूरज की किरणें थीं, और सुबह रखूगा। फिर एकदम से कहा कि तू अपनी मां जैसी तो नहीं हो की सुगंधित हवाएं थीं, उसकी यह बात बड़ी कुरूप थी, और | जाएगी? इतना ही खयाल रखना, अपनी मां जैसी मत हो जाना! बेमानी थी, और सन्नाटे को तोड़ती थी, उस मौन को खंडित करती ___ यह जब उसकी पत्नी पूछ रही है, तब वह बहुत बीमार पड़ी थी। थी, कि सुबह बहुत सुंदर है। यह वक्तव्य बड़ा असुंदर था, अग्ली | वह सिर्फ खोज रही है। फिर वह पूछती है उससे कि मुल्ला, अगर
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