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* स्मरण की कला
कोई ईश्वर है और स्मरण न किया, तो नुकसान हो सकता है। अगर | __ हर आदमी इसी तरह देख रहा है। छोटे-मोटे दांव लगाकर नहीं है, और स्मरण कर भी लिया, तो हर्ज क्या है! कोई नुकसान कहता है कि अच्छा, इसको करके दिखा दो! तो नहीं है। ऐसा जो लोग सोचते हैं हिसाब-किताब की भाषा में, | दिदरो पश्चिम का एक बहुत बड़ा विचारक हुआ। वह अक्सर इनके हृदय में, इनके मन की गहराइयों में कहीं भी प्रभु के लिए कोई सभाओं में खड़े होकर अपनी जेब से घड़ी निकाल लेता था और : प्यास नहीं है। यह बौद्धिक व्यापार है।
कहता था, इस वक्त घड़ी में नौ बजे हैं। अगर कहीं कोई परमात्मा लेकिन हम सभी को प्रभु के संबंध में इसी तरह का बौद्धिक हो, आठ बजाकर बता दे, तो मैं मान लूं! घड़ी में नौ बजकर एक व्यापार सिखाया जाता है। बचपन से कहा जाता है, प्रभु का स्मरण मिनट बज जाता, नौ बजकर दो मिनट बज जाते। तो फिर वह करो, तो परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाओगे। हमने हिसाब की बातें | कहता, देख लो। मिल गया काफी प्रमाण कि परमात्मा नहीं है। सिखानी शुरू कर दी।
| यदि कोई असफल होता है. तो प्रमाण मिल जाता है कि परमात्मा हमें पता नहीं है कि हम आदमी को किस भांति अधार्मिक बनाते नहीं है। और अगर सफल होता है, तो प्रमाण मिल जाता है कि । हैं। अगर यह बच्चा, जिससे हमने कहा कि प्रभु का स्मरण करो, | परमात्मा को भी खुशामद से फुसलाया जा सकता है; वह भी स्तुति परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाओगे, अगर उत्तीर्ण हो गया, तो समझेगा कि से प्रसन्न होता है। और लाभ अगर चाहिए हो, तो उसका भी स्मरण करने में लाभ है। तो भी यह आदमी अधार्मिक हो गया, | उपयोग किया जा सकता है। क्योंकि लाभ के लिए जो स्मरण करता है, वह धार्मिक नहीं है। प्रेम उपयोग करना नहीं जानता। प्रार्थना भी उपयोग के लिए नहीं
लाभ के लिए स्मरण करने में धर्म क्या है ? लाभ ही लक्ष्य है;| हो सकती। और जहां उपयोग है, वहां कोई संबंध नहीं है, वहां कोई स्मरण तो केवल साधन है। तो हमने प्रभु से भी थोड़ी नौकरी-चाकरी हार्दिक संबंध नहीं है। ले ली! बस, इतनी ही उस पर कृपा की। थोड़ी सेवा उससे भी ले | तो बुद्धि तो या तो नास्तिक बना देती है या नास्तिक से भी ली। या ज्यादा कहें तो ऐसा कि थोड़ी खुशामद की कि तेरा नाम | बदतर आस्तिक बना देती है। नास्तिक भी ठीक है फिर भी; कहता लेने से तू प्रसन्न होता है, तो चलो ठीक है। तेरा नाम लेने से तू प्रसन्न | है, नहीं है। आस्तिक से बेहतर है। आस्तिक, तथाकथित आस्तिक, हो ले, और हमें जो पाना है, वह देकर हमें प्रसन्न कर दे। तो एक तो परमात्मा का इस बुरी तरह अपमान किए चला जाता है, समझौता है, एक सौदा है।
जिसका कोई हिसाब लगाना मुश्किल है। क्योंकि लाभ! बीमारी है, . अगर उस बच्चे को सफलता मिल गई, तो भी वह अधार्मिक हो तो ठीक हो जाए; और नौकरी नहीं मिलती है, तो नौकरी मिल जाएगा। क्योंकि लाभ-केंद्रित हो जाएगा. प्राफिट-ओरिएंटेड हो जाए तो परमात्मा है. इसका प्रमाण मिलता है। नहीं तो सब जाएगा। और अगर असफल हो गया, तो वह सदा के लिए समझ प्रमाण खो जाते हैं। लेगा कि प्रभु वगैरह कुछ भी नहीं है, उसके नाम लेने से कुछ भी | | नहीं, बुद्धि काफी नहीं है। लेकिन हमारा सारा शिक्षण बुद्धि का नहीं होता।
| है। और बुद्धि के नीचे छिपा हुआ जो गहन मन है, जो भाव जगत मुल्ला नसरुद्दीन के मकान में आग लगी है। और वह अपने है, वह जो अंतस्तल है हृदय का, वह बिलकुल अछूता रह जाता मकान के बाहर एक वृक्ष के नीचे आराम से टिका हुआ बैठा है। है। कभी-कभी उस अछूते हृदय से भी आवाज आती है। लेकिन आधी रात का सन्नाटा है। रास्ते पर कोई नहीं है। पड़ोसी सब सोए बुद्धि उसे दबाती रहती है। हुए हैं। एक अजनबी आदमी राह भटक गया है। उसने गांव में आग आज ही एक मित्र मेरे सामने ही खड़े थे। कई बार मैंने अनुभव लगी देखी, तो भागा हुआ सड़क से आया। दरवाजे के भीतर घुसा। किया कि उनके भीतर तरंग आती है कि वे डूब जाएं कीर्तन में, मुल्ला को बैठे देखा दरख्त के नीचे। उसने कहा, क्या कर रहे हो? | | लेकिन फिर आंख खोलकर अपने को सम्हालकर रोक लेते हैं। पागल हो गए हो? मकान में आग लगी है! मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा ___ यह कौन रोक रहा है भीतर? यह बुद्धि रोक रही है; वह कहती कि मैं प्रार्थना कर रहा हूं। और देखना है आज कि परमात्मा है या | है कि आप सुशिक्षित हैं, सज्जन हैं। ऐसा नाचकर ग्रामीण जैसा नहीं। मैं प्रार्थना कर रहा हूं कि वर्षा हो जाए, और देखना है आज | | काम कैसे करेंगे? विश्वविद्यालय से उपाधि-प्राप्त हैं। कोई देख कि परमात्मा है या नहीं!
| लेगा, क्या सोचेगा? पागल हो गए हैं ? हृदय में झनक आती है।
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