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* मृत्यु-क्षण में हार्दिक प्रभु-स्मरण *
तत्काल फर्क बता दिए। दूसरे सूत्र में उन्होंने कहा, अंत समय जो इसलिए कृष्ण कहते हैं, लेकिन सदा उस भाव को ही चिंतन भाव होता है, व्यक्ति उसी भाव को उपलब्ध हो जाता है। यह बड़ी | | करता हुआ, क्योंकि सदा जिस भाव का चिंतन करता है, अंतकाल वैज्ञानिक व्यवस्था है। इसे थोड़ा समझ लें।
| में भी प्रायः उसी का स्मरण होता है। वह भी कृष्ण कहते हैं, प्रायः। रात आप सोते हैं। क्या कभी आपने खयाल किया कि आपका पक्का वह भी नहीं है। रात का अंतिम विचार सुबह का पहला विचार होता है! न किया ___ ध्यान रहे, जिंदगीभर कुछ और, अंत समय स्मरण, उसकी तो हो, तो करें। रात का जो अंतिम विचार है, बिलकुल आखिरी, जब | फिक्र ही छोड़ें; जीवनभर स्मरण, तो भी कृष्ण कहते हैं-बहुत नींद उतरती होती है, तब जो आपके चित्त के द्वार पर खड़ा होता है | | गार्डेड स्टेटमेंट है—कि जिसने जीवनभर उस चिंतन को किया है, विचार, उसे ठीक से खयाल कर लें, क्या है। सुबह, जब नींद के अंत समय में प्रायः, आफन, वह उसी स्मरण को करता हुआ विदा द्वार फिर खुलेंगे, तो दरवाजे पर वही आपको सबसे पहले खड़ा होता है। क्यों? क्योंकि जीवनभर जो स्मरण किया है, वह अगर हुआ मिलेगा। वह रातभर खड़ा रहा है।
सतह पर रहा हो, सुपरफीशियल रहा हो, सिर्फ यांत्रिक रहा हो, कि अंतिम विचार रात का, सुबह का पहला विचार होता है। | एक आदमी कछ भी कर रहा है और राम-राम. राम-राम भीतर अंतिम विचार मृत्यु का, अगले जन्म का पहला विचार बन जाता करता जा रहा है...। है। बीच का वक्त सिर्फ एक गहरी नींद का वक्त है; एक स्मृति के पास ऐसी व्यवस्था है कि आप साइकिल चलाते रहें सर्जिकल; जब कि प्रकृति आपसे एक शरीर को छुड़ाती है और और राम-राम करते रहें; कार चलाते रहें और राम-राम करते रहें। दूसरे शरीर को देती है; एक बड़े आपरेशन का। उस वक्त आप स्मृति का एक खंड अलग कर सकते हैं आप, जो आपके भीतर बिलकुल बेहोश रखे जाते हैं।
राम-राम करता ही रहे। वह आटोनामस हो जाता है। • अगर आपने कभी क्लोरोफार्म लिया है—न लिया हो तो कभी अगर आप निरंतर दो-तीन महीने राम-राम, राम-राम, लेकर देखें तो क्लोरोफार्म में डूबते वक्त जो आखिरी विचार राम-राम भीतर कहते रहें, तो स्मृति का एक टुकड़ा आटोनामस हो होगा, वही क्लोरोफार्म से बाहर निकलते वक्त पहला विचार होगा। जाता है। वह फिर राम-राम, राम-राम, राम-राम कहता रहता है, अगर आप कभी बेहोश हुए हैं, तो बेहोशी का अंतिम विचार, होश आप अपना काम करते रहें। उससे कोई लेना-देना नहीं है, वह आने पर पहला विचार होता है।
| अपना जारी रखता है। वह जैसे आपने एक तोता पाल लिया। वह ___ मृत्यु एकं गहरी बेहोशी है; एक रूपांतरण; एक पर्दे का अंत; एक अपना राम-राम कहता रहता है, आप अपना कुछ भी करते रहें। नाटक का समाप्त होना और दूसरे का शुरू होना है। ठीक, लेकिन ऐसा आपने भीतर स्मृति का एक टुकड़ा स्वायत्त बना लिया; अब दूसरा नाटक वहीं से शुरू होता है, जहां पहला समाप्त हुआ था। वह अपना राम-राम, राम-राम कहता रहता है। वह मैकेनिकल तो अंतिम भाव ही आपका निर्णायक हो जाता है। और अंतिम डिवाइस है। और आपके काम में कोई बाधा नहीं प
हीं पड़ती। आप भाव हम इतने रद्दी करते हैं कि जिसका कोई हिसाब नहीं है, कि हम अपना जो भी करना हो, करते रहें। चोरी करनी हो, चोरी करें। वह अपने रद्दी होने की आगे की व्यवस्था कर लेते हैं। आदमी मरता है | कहता रहेगा, राम-राम, राम-राम, राम-राम। चोरी में भी बाधा भयभीत, चिंतातुर, तनाव से घिरा हुआ, दुखी, घबड़ाया हुआ। सब नहीं पड़ेगी। बल्कि और मजे से करेंगे कि देखो, राम-नाम भी चल लुटा जा रहा है! ऐसी बेचैनी में, नारकीय चित्त में मरता है। वह रहा है; अब तो कोई डर ही नहीं है। अपने नर्के का इंतजाम कर लिया। वह फिर उसी सिलसिले को इसलिए राम-नाम को लेने वाले कुशलता से चोर हो सकते हैं। शुरू कर देता है।
उनकी कुशलता और महंगी हो जाती है, क्योंकि वे कहते हैं, हम आखिरी भाव बहुत कीमत का है, लेकिन आखिरी भाव को | तो राम-नाम ले रहे हैं! कोई डर नहीं है। सम्हालना हो, तो पूरा जीवन सम्हाल लें। क्योंकि वह भाव जो है, इस तरह का स्मरण करने वाला अगर कोई होगा, तो वह सिर्फ सारे जीवन का निचोड़ है। वह ट्रामैटिक है, वह बहुत डिसीसिव | यंत्रवत स्मरण कर रहा है। यंत्रवत और हार्दिक स्मरण का फर्क है, उससे निर्णय होता है। और वह निर्णय बहुत महंगा है। क्योंकि क्या है? वह एक पूरे जन्म को तय कर जाता है।
कभी किसी के प्रेम में गिरे हैं आप! तब आपको यंत्रवत स्मरण
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