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* गीता दर्शन भाग-4*
ले सकता है कि जन्म और मृत्यु जुड़े हैं-चलो एग्रीड; माना। कोई जाऊंगा, आज हूं। आज मेरे होने की गंगा बहती है। दो मेरे किनारे यह भी मान ले सकता है-थोड़ी हिम्मत जुटाए, थोड़ी आदतों को - हैं। कल भी मैं नहीं था, कल फिर मैं नहीं रहूंगा। यह दो न होना तोड़े-कि चलो माना कि राम और रावण की कथा भी, एक गिर | मेरे दो किनारे हैं, और मेरा होना बीच की धारा है। उन दो के बिना जाए, तो नहीं हो सकेगी; किसी तरह दोनों जुड़े हैं, माना। यह भी | मैं नहीं हो सकूँगा। वे दोनों मेरे तरफ मुझे घेरे हुए हैं। माना जा सकता है कि फूल और कांटा जुड़े हैं। लेकिन यह तो सुबह थी; सांझ हो गई; रात आ गई; फिर सुबह आएगी। कभी बिलकुल नहीं माना जा सकता कि जो है, वह उससे जुड़ा है, जो है आपने देखा, हर दिन को दोनों तरफ दो रातें घेरे हुए हैं। हर रात को ही नहीं! क्योंकि जो है ही नहीं, उससे जोड़ कैसा? जोड़ का तो | दोनों तरफ दो दिन घेरे हुए हैं। विपरीत किनारा बना हुआ है। जो मतलब ही होता है कि दो चीजें हों, तो जोड़ हो सकता है। जो नहीं | भी है, वह दोनों ओर नहीं से घिरा है। और जो भी नहीं है, वह भी है, उससे कैसा जोड़?
दोनों ओर है से घिरा है। यह आत्यंतिक खाई है, होने में और न होने में। न होने और होने होना और न होना इतने विपरीत नहीं हैं, क्योंकि एक-दूसरे में के बीच तो हमारा मन बिलकुल ही इनकार कर देगा कि जोड़ बन हम बदलते हुए देखते हैं। जो आदमी था, वह अब नहीं हो गया। नहीं सकता। खींच-तानकर राम और रावण के बीच बना लें; इसका मतलब हुआ कि जो था, वह नहीं है में प्रवेश कर जाता है, खींच-तानकर शत्रु और मित्र के बीच बना लें, खींच-तानकर जन्म लिक्विड है, बह सकता है; ठोस विभाजन नहीं मालूम होता।
और मृत्यु के बीच बना लें; सुंदर-असुंदर के बीच बना लें; __ आदमी जवान है, फिर यही जवान बूढ़ा हो जाता है। आप बता प्रकाश-अंधकार के बीच बना लें; लेकिन जो है ही नहीं, दैट व्हिच सकते हैं, कब बूढ़ा हो जाता है? कौन-सी तिथि में, कौन-सी इज़ नाट, एंड दैट व्हिच इज़, इन दोनों के बीच क्या जोड़ है? और | तारीख में, कौन-सी समय की सीमा पर जवानी चली जाती है और जोड़ बनेगा कैसे?
बुढ़ापा आ जाता है? दो किनारों के बीच जोड़ हो सकता है, क्योंकि दोनों किनारे हैं। नहीं बता पाएंगे। इसका मतलब क्या हुआ? इसका मतलब यह लेकिन एक किनारा है और दूसरा किनारा नहीं है, इनके बीच जोड़ | हुआ कि बुढ़ापा और जवानी दो चीजें नहीं हैं; तरल हैं, लिक्विड कैसे होगा?
हैं; एक-दूसरे में बह जाती हैं। पता ही नहीं चलता, कब जवान बूढ़ा यह सर्वाधिक कठिन मालूम पड़ेगा, और मन के लिए सबसे हो गया। कब तक बूढ़ा जवान था, यह भी पता नहीं चलता। कब बड़ी चोट भी है। लेकिन इसे समझें, तो समझ में आ सकेगा। इसे बच्चा जवान होता है, यह भी पता नहीं चलता! हम दो-तीन प्रकार से समझने की कोशिश करें। थोड़ा कठिन है, ___ तो जवानी या बुढ़ापा विपरीत दिखाई पड़ते हैं, लेकिन एक-दूसरे लेकिन असंभव नहीं कि खयाल में झलक न आ जाए। और खयाल में बह जाते हैं; एक-दूसरे में डोलते रहते हैं। होना और न होना भी में झलक ही आ सकती है, अनुभव तो खयाल में नहीं आ सकता। इसी तरह एक-दूसरे में डोलता रहता है। अभी बीज है, वृक्ष नहीं झलक आ जाए. तो अनभव की तरफ कदम बढाए जा सकते हैं। है। यह बीज अचानक कल वक्ष के होने में प्रकट हो जाएगा। तो थोड़ी मेहनत लें।
होना, न होना; अस्तित्व, अनस्तित्व; सत और असत-ये एक वृक्ष है; कल नहीं था, आज है, कल फिर नहीं हो जाएगा। विपरीत हमें दिखाई पड़ते हैं, विपरीत नहीं हैं। तो होना और न होना किसी न किसी तरह जुड़े होने चाहिए। वृक्ष | इसे हम और एक तरह से देखें। कल नहीं था, आज है, कल फिर नहीं हो जाएगा। तो जो नहीं था, | जो भी चीज है, उसकी संभावना है कि वह नहीं हो जाएगी। ऐसी वह हो सका; जो है, वह कल नहीं हो जाएगा। आप कल नहीं थे, | | कोई चीज आप जानते हैं, जो नहीं न हो जाए? जो भी है, वह नहीं आज हैं, कल फिर नहीं हो जाएंगे। नहीं से आते हैं, नहीं को लौट | हो सकती है। दैट व्हिच इज़, कैन बी दैट व्हिच इज़ नाट। इज़, कैन जाते हैं। तो वह जो बीच में थोड़ी देर के लिए होना है, वह दो नहीं | बी इज़ नाट। के बीच में है।
(भीड़ में से कोई खड़ा होकर कुछ चिल्लाकर कहता है। अब इसे हम ऐसा समझें कि दो नहीं किनारे हैं और होना बीच भगवान श्री हंसते हुए उसे समझाते हैं और साथ ही सभी लोगों को की नदी है। दो नहीं किनारे हैं; कल मैं नहीं था, कल फिर नहीं हो | शांत रहने को कहते हैं। और अपनी बात जारी रखते हैं।)
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