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गीता दर्शन भाग-48
आपके द्वारा पैदा की गई ध्वनि है।
जहां तक मेरा संबंध है, मैं मानता हूं, यह झगड़ा वैसा ही बचकाना इसलिए धीरे-धीरे होंठ को बंद करना पड़ेगा। होंठ का उपयोग | | है, जैसा कुछ लोग मुर्गी और अंडे के बाबत किए रहते हैं। कुछ नहीं करना पड़ेगा। फिर बिना होंठ के भीतर ही ओम का उच्चार | लोग कहते हैं, मुर्गी पहले है और अंडा बाद में; और कुछ लोग करना। लेकिन वह भी असली ओंकार नहीं है। क्योंकि अभी भी | कहते हैं, अंडा पहले है और मुर्गी बाद में। मगर दोनों नासमझ हैं। भीतर मांस-पेशियां और हड्डियां काम में लाई जा रही हैं। उन्हें भी | क्योंकि जब भी हम मुर्गी कहते हैं, तो उसके पहले अंडा आ ही छोड़ देना पड़ेगा। भीतर मन में भी उच्चार नहीं करना होगा। तब | | जाता है। और जब भी हम अंडा कहते हैं, तो उसके पहले मुर्गी आ एक उच्चार सुनाई पड़ना शुरू होगा, जो आपका किया हुआ नहीं | ही जाती है। है। जिसके आप साक्षी होते हैं, कर्ता नहीं होते हैं। जिसको आप | । इसलिए ज्यादा उचित हो कि हम मुर्गी और अंडे में पहले कौन बनाते नहीं, जो होता है, आप सिर्फ जानते हैं।
है, इसकी फिक्र छोड़ें। क्योंकि कोई भी पहले हो नहीं सकता। कैसे जिस दिन आप अपने भीतर ओम की उस ध्वनि को सुन लेते हैं, | | अंडा पहले होगा मुर्गी के? कैसे होगा? उसके होने के लिए ही मुर्गी जो आपने पैदा नहीं की, किसी और ने पैदा नहीं की; हो रही है, की जरूरत पड़ जाती है। कैसे मुर्गी होगी पहले अंडे के? उसके आप सिर्फ जान रहे हैं, वह प्रतिपल हो रही है, वह हर घड़ी हो रही होने के लिए ही अंडे की जरूरत पड़ जाती है। है। लेकिन हम अपने मन में इतने शोरगुल से भरे हैं कि वह इसलिए शायद कहीं भाषा की भूल है, लिंग्विस्टिक भूल है। सूक्ष्मतम ध्वनि सुनी नहीं जा सकती। वह प्रतिपल मौजूद है। वह | | असल में अंडा और मुर्गी दो चीजें नहीं हैं; अंडा और मुर्गी एक ही जगत का आधार है।
चीज के दो रूप हैं। ऐसा कहना चाहिए कि अंडा जो है, वह छिपी इस संबंध में एक बात समझ लेनी जरूरी है। पश्चिमी | हुई मुर्गी है; मुर्गी जो है, वह प्रकट हो गया अंडा है। इनको दो में मनोविज्ञान, पश्चिमी विज्ञान, पश्चिम की समस्त खोज इस नतीजे | बांटने की बात ही गलत है। दो में बांटने से फिर कभी हल नहीं होता। पर पहुंची है कि जगत का जो आत्यंतिक आधार है, वह विद्युत है, ___ मुझे ऐसा खयाल में आता है कि विद्युत और ध्वनि के बीच ठीक इलेक्ट्रिसिटी है। और इसलिए पश्चिम का आधुनिक चिंतन कहता | वैसा ही संबंध है। इसलिए ध्वनि के बिना विद्युत नहीं हो सकती; है कि ध्वनि मूल नहीं है, विद्युत मूल है। और ध्वनि, साउंड भी | और विद्युत के बिना ध्वनि नहीं हो सकती। लेकिन पूरब और विद्युत का एक प्रकार है। साउंड जो है, ध्वनि जो है, वह भी विद्युत पश्चिम में यह बुनियादी फर्क क्यों आया, उसका कारण है। उसका का ही एक प्रकार है, ए मोड।
कारण कीमती है। वह समझ लेना चाहिए। लेकिन पूरब की बात बिलकुल ही भिन्न है। पूरब कहता है कि ___ वह फर्क इसलिए है कि पश्चिम ने जो खोज की है, वह पदार्थ साउंड, ध्वनि जो है, वह अस्तित्व का मूल उपकरण है; और विद्युत | को तोड़कर की है। पदार्थ को तोड़ा, आखिरी परमाणु की खोज की, जो है, वह ध्वनि का ही एक प्रकार है, ए मोड। पश्चिम विद्युत को कि कौन-सी चीज से पदार्थ बना है? विद्युत मिली। पूरब ने जो मूल मानता है, ध्वनि को विद्युत का ही एक रूप; पूरब ध्वनि को | खोज की है, वह पदार्थ को तोड़कर नहीं की है, वह अपने ही मन मूल मानता है और विद्युत को ध्वनि का ही एक रूप। को तोड़कर की है। ध्यान रखें, मैटर हैज बीन एनालाइज्ड इन दि
इसलिए पूरब में वे लोग हुए, जिन्होंने ध्वनि के माध्यम से दीए वेस्ट एंड माइंड इन दि ईस्ट। जला दिए। जिन्होंने एक राग गाया और बुझा दीया जला। यह बात अगर आप पदार्थ को तोड़ेंगे, तो जो अंतिम अणु हाथ में आने सही हो कि न हो, पर पूरब की मान्यता यह है कि विद्युत ध्वनि का वाला है, वह विद्युत का होगा। अगर आप मन को तोड़ेंगे, तो जो ही एक रूप है। तो अगर ध्वनि की एक खास ढंग से चोट की जाए, | अंतिम अणु हाथ में आने वाला है, वह ध्वनि का होगा। किसी न तो आग जल जानी चाहिए। अगर ध्वनि एक खास ढंग से की जाए, | किसी दिन पदार्थ का जो अंतिम अणु है वह, और मन का जो तो आकाश में बिजली कड़कने लगनी चाहिए। अगर विद्युत ध्वनि | अंतिम अणु है वह, वे एक ही सिद्ध होंगे; या एक के ही दो रूप का ही एक रूप है, तो ध्वनि की तरंगों के आघात से अग्नि का जन्म | सिद्ध होंगे। हो जाना चाहिए।
अगर मुझसे पूछे, तो मैं ऐसा कहूंगा कि वह जो पदार्थ का अणु भविष्य तय करेगा कि इन दोनों मान्यताओं में क्या संभावना है। है, वह अप्रकट मन है; और वह जो मन का अणु है, वह प्रकट हो
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