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* ज्ञान, भक्ति, कर्म
तो कृष्ण कहते हैं, और तीसरे लोग भी हैं, वे भी बहुत प्रकार से ड्राइविंग को भूल सकते हैं। अब चाहे सिगरेट पीएं, अब चाहे गीत मुझे उपासते हैं। लेकिन उपासना हो कोई, मार्ग हो कोई, विधि कोई, | गुनगुनाएं, चाहे रेडियो सुनें, चाहे मित्र से गपशप करें; अब चाहे कोई कैसा भी चले, दिशा चने कोई, एक बात निश्चित है कि चाहे | कुछ भी करें, शरीर का जो रोबोट है, शरीर का जो यंत्र हिस्सा है, श्रोत-कर्म हो, वेद-विहित कर्म हो, गहरे में मैं ही हूं। और चाहे यज्ञ | वह ड्राइविंग करता रहेगा। आपकी जरूरत कभी-कभी पड़ेगी, कोई हो, गहरे में यज्ञ की लपटों में मेरी ही अग्नि है। और चाहे पितरों के अचानक एक्सिडेंट का मौका आ जाए, तो आपकी जरूरत पड़ेगी, निमित्त दिया जाने वाला अन्न हो, मैं ही महापितर हूं। मैं ही तुम्हारे तो आपको ध्यान देना पड़ेगा, अन्यथा गाड़ी चलती रहेगी! आप सब पिताओं का पिता हूं। क्योंकि मैं ही सारे जन्म और सारी सृष्टि अपने रास्ते पर बाएं मुड़ जाएंगे, दाएं मुड़ जाएंगे; अपने घर के के मूल में हूँ। औषधि हों, कि वनस्पतियां हों, कि कोई वनस्पतियों सामने आ जाएंगे, अपने गैरेज में चले जाएंगे। इस सब में आपको से पूजा कर रहा हो, कि कोई फूल चढ़ा रहा हो, मैं ही हूं। मंत्र मैं हूं, कुछ करना नहीं पड़ेगा। घृत मैं हूं, अग्नि मैं हूं और हवनरूप क्रिया भी मैं ही हूं। हमारे शरीर में, हमारे मन में एक हिस्सा है, जिसको वैज्ञानिक
यह सूत्र इतनी ही बात कह रहा है कि करो तुम कुछ, अगर निष्ठा | | रोबोट पार्ट कहते हैं। वे कहते हैं कि हम इतने कर्म कर पाते हैं से और मुझे स्मरण करते हुए तुमने किया है, तो तुम मुझे पा लोगे। | इसीलिए कि हमारे शरीर में एक यंत्र हिस्सा है, जिसे कुशल कर्म को चाहे तुम यज्ञ में डालो घी, अगर निष्ठा से, मुझे स्मरण करते हुए, | | हम सौंप देते हैं। फिर वह करता रहता है। फिर हमें बीच-बीच में मेरी उपस्थिति को अनुभव करते हुए और मेरे लिए ही तुमने वह | जरूरत नहीं रहती है करने की। एक नौकर को काम दे दिया है, वह डाला है, तो घृत भी मैं हूं, और जिस अग्नि में तुमने डाला है, वह कर लेता है। जरूरत हमारी तब पड़ती है, जब कोई अनहोनी नई बात भी मैं हूं। लेकिन ध्यान रहे, शर्त खयाल में रहे, अन्यथा घी व्यर्थ | हो। तो नौकर पूछता है कि मालिक, यह काम मैं कैसे करूं? क्योंकि जाएगा। अग्नि थोड़ी देर में बुझ जाएगी।
| यह कोई नई घटना है, इसका पहले कोई अंदाज नहीं है। उपासना भी तर हो, तो जो कुछ भी तुम करोगे, वहीं से मुझे पा| अगर रास्ते पर जाते हुए एक्सिडेंट होने के करीब हो, तो मालिक लोगे; क्योंकि सब जगह मैं हूं। और अगर उपासना भीतर न हो, | | की जरूरत पड़ेगी। रोबोट, आपका यंत्र-मानव कहेगा, आ जाओ तो तुम सब कुछ घेर लो, तुम मुझे नहीं पा सकोगे; क्योंकि कहीं शीघ्रता से, जरूरत है, क्योंकि इसका कोई अभ्यास नहीं है। और भी तुम मुझे नहीं खोज पाओगे।
एक्सिडेंट का कोई अभ्यास किया भी कैसे जा सकता है? उसका ___ उपासना आंख है। उपासना आंख है। उपासना का सूत्र मौलिक | मतलब ही यह है कि वह अनहोना होगा, जब भी होगा। तो हमारे है। इसलिए क्या करते हो, यह सवाल नहीं है। कैसे करते हो, किस | भीतर यह हिस्सा है। हृदय से करते हो, किस आत्मा से करते हो, वही सवाल है। लेकिन ध्यान रखें, ड्राइविंग और पूजा में यही फर्क है कि पूजा ___ हम इसे भूल ही जाते हैं। इसलिए एक आदमी कहता है कि मैं | | को जिसने अपने रोबोट को दे दिया, उसकी पूजा व्यर्थ हुई। आप पूजा कर रहा हूं। पूजा एक बाह्य कर्म हो जाता है। क्रिया पूरी कर सब काम रोबोट को दे दें। ड्राइविंग देनी ही पड़ेगी, नहीं तो फिर देता है; खुद को वह क्रिया कहीं भी छूती नहीं। कहीं कोई एक बूंद | ड्राइविंग ही कर पाएंगे जिंदगी में; फिर और कुछ न कर पाएंगे। भी उस क्रिया की अंतस में नहीं जाती।
| खाना खाने का काम रोबोट को देना पड़ता है। सब काम रोबोट को फिर रोज-रोज करता रहता है। तो रोज-रोज करने से, पुनरुक्त देने पड़ते हैं। टाइपिस्ट अपनी टाइपिंग रोबोट को दे देता है। हम करने से आदत का हिस्सा हो जाता है, यांत्रिक हो जाता है। वैसे ही | सब अपने काम बांट देते हैं, ताकि हम मुक्त रहें। लेकिन पूजा यांत्रिक हो जाता है, जैसे आप अपनी कार चलाते हैं। फिर कार | बिलकुल उलटी ही बात है। पूजा रोबोट से नहीं की जा सकती। चलाते वक्त आपको ड्राइविंग करनी नहीं पड़ती, ड्राइविंग होने पूजा आपको करनी पड़ेगी। और ध्यान रखना पड़ेगा कि कभी भी लगती है। जब तक ड्राइविंग करनी होती है, तब तक आपको वह यांत्रिक, मैकेनिकल न हो जाए। क्योंकि जिस दिन वह यांत्रिक लाइसेंस मिलना नहीं चाहिए, क्योंकि उसका मतलब ही यह है कि हो गई, उसी दिन व्यर्थ हो गई। अभी खतरा है, अभी आपसे भूल-चूक हो सकती है। ___ उपासना का अर्थ है, परमात्मा का सतत स्मरण बना रहे, ऐसी ड्राइविंग उसी दिन आपकी कुशल हो पाती है, जिस दिन आप कोई भी क्रिया, उसका स्मरण न खोए, ए कांस्टेंट रिमेंबरिंग। कोई
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