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________________ * दैवी या आसुरी धारा सामने ही, भगवान! सामने के सामने ही आनंद लुटा जा रहा है | भी टांग लेते हैं। और एक हम मुसीबत में फंस गए। यह साधुता कहां से ले फंसे! असली सवाल भगवान नहीं है; असली सवाल भक्त है। कई बार भाग जाते निकलकर घर से; वेश्या के घर का चक्कर लगा| | भगवान तो केवल निमित्त है। क्योंकि उसके बिना भक्त होना आते। भीतर घुसने की कोशिश भी करते, तो हिम्मत न होती कि मैं | | मुश्किल हो जाएगा। वह तो केवल सहारा है। साधु, भीतर कैसे जा सकता हूं! कोई देख न ले! | इसलिए योग के जो पुराने शास्त्र हैं, वे बहुत अदभुत हैं। वे वेश्या मंदिर में रही, साधु वेश्यालय में रहे। देखा किसी ने नहीं | | कहते हैं कि भगवान भी एक साधन है; वह भी एक उपकरण है, यह, क्योंकि यह घटना भीतर की है। और जो बाहर से तौलते हैं, जस्ट ए मीन्स। परम उपलब्धि के लिए, जीवन के परम आनंद की वे नहीं देख पाएंगे। उपलब्धि के लिए भगवान भी एक उपकरण है, एक साधन है। और महात्मा, कृष्ण उसे कहते हैं, जो दैवी प्रवाह में है। जो शुभ की, | | ऐसे लोग भी हुए हैं, जैसे कि बौद्ध हैं या जैन हैं; वे कहते हैं, सौंदर्य की, सत्य की, सब दिशाओं से खोज करता रहता है। | | भगवान के बिना भी चला लेंगे। जिसका चुनाव शुभ का है। अशुभ दिखाई भी पड़े, तो आंख बंद | लेकिन भगवान के बिना भक्त होना बहुत मुश्किल है। भगवान कर ले देखाई न भी पडे. तो भी देखता है। धीरे-धीरे के होते हए भक्त होना मश्किल है. तो भगवान के बिना भक्त होना सारा जगत शुभ हो जाता है। बहुत मुश्किल हो जाएगा। महावीर ने चला लिया, लेकिन महावीर सब भूतों का सनातन कारण और नाशरहित अक्षरस्वरूप | के भक्त नहीं चला पाए। उनको फिर महावीर को ही भगवान बना जानकर अनन्य मन से युक्त हुए निरंतर मुझे भजते हैं। लेना पड़ा। महावीर ने कहा, कोई भगवान की जरूरत नहीं, कुछ भी वे करते हों, कुछ भी वे सोचते हों, एक बात निरंतर, | | उपासना काफी है, साधना काफी है, सदभाव काफी है, सत्य काफी सब ओर, मैं उन्हें दिखाई पड़ता हूं। सबमें आत्यंतिक कारण की | है। और कोई जरूरत नहीं है। भांति छिपा हुआ, सबके भीतर सनातन मूल की तरह अप्रकट, सब | | महावीर बहुत सबल व्यक्ति हैं, वे बिना भगवान के भक्त हो स्थितियों में, सब दशाओं में मेरा भजन उनके चित्त में अनन्य रूप | | सके। बड़ा कठिन है। कठिन ऐसा है कि प्रेमी मौजूद न हो, प्रेमिका से चलता रहता है। मौजूद न हो और आप प्रेमी हो सकें। हो सकते हैं; कठिन नहीं है। __ और वे दृढ़ निश्चय वाले भक्तजन निरंतर मेरे नाम और गुणों | | जब कोई आदमी पूरे प्रेम से भरा होता है, तो इससे कोई फर्क नहीं का कीर्तन करते हुए, तथा मेरी प्राप्ति के लिए यत्न करते हुए और पड़ता है कि प्रेमी पास है या नहीं है। न हो, तो भी प्रेम तो मौजूद मेरे को बारंबार नमस्कार करते हुए, सदा मेरे ध्यान में युक्त हुए | ही रहेगा। कोई प्रेमी के कारण तो प्रेम पैदा होता नहीं। प्रेम तो भीतर भक्ति से मुझे उपासते हैं। होता है; उसके कारण प्रेमी पैदा होता है। लेकिन हमारा प्रेम तो ऐसा इसमें दो-तीन बातें समझ लेने की हैं। है कि प्रेमी क्षणभर को हट जाए, तो प्रेम खो गया! एक, परमात्मा है या नहीं, यह महत्वपूर्ण नहीं है; आप भक्त हो | वह था ही नहीं। धोखा था, प्रवंचना थी, बहाना था। एक शक्ल सकते हैं या नहीं, यह महत्वपूर्ण है। इसे फिर से दोहरा दूं, परमात्मा | थी, एक चेहरा था, कोई अंतर-अवस्था न थी। न हो, चलेगा। आप भक्त न हुए, नहीं चलेगा। भगवान मूल्यवान बुद्ध बैठे हैं एक जंगल में। कोई निकले या न निकले; रास्ते से नहीं, भक्त मूल्यवान है। कोई गुजरे या न गुजरे; उनकी करुणा तो बरसती ही रहेगी; उनका ऐसा समझें कि भगवान तो खूटी की तरह है, भक्त टांग दिए | | प्रेम तो झरता ही रहेगा। जैसे निर्जन में एक फूल खिले; रास्ते पर कपड़े की भांति है। खूटी के लिए तो कोई खूटी नहीं लगाता, कपड़ा | कोई न निकले, तो भी फूल तो खिला ही रहेगा; सुगंध तो फैलती टांगने के लिए कोई लगाता है। कपड़ा टांगने को ही न हो, तो खूटी ही रहेगी। फूल यह तो नहीं सोचेगा कि बंद करो दरवाजे, कोई व्यर्थ है। और कपड़ा टांगने को हो, तो हम किसी भी चीज को खूटी | ग्राहक तो दिखाई नहीं पड़ता! फूल कोई दुकानदार तो नहीं है। बना सकते हैं। जिस घर में खूटी नहीं होती, लोग दरवाजे पर टांग | | ठीक ऐसे ही, प्रेमी भी हो सकता है बिना प्रेम-पात्र के, लेकिन देते हैं, खिड़की पर टांग देते हैं, खीली पर टांग देते हैं। खूटी हो, बड़ा कठिन है। प्रेम-पात्र के साथ होते हुए हम प्रेमी नहीं हो पाते, कपड़ा ही न हो, तो क्या टांगिएगा? कपड़ा हो, खूटी न हो, तो कहीं | तो बिना उसके बहुत कठिन होगा। कोई महावीर कभी हो सकता 239
SR No.002407
Book TitleGita Darshan Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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