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* गीता दर्शन भाग-4*
है जमीन पर, और पहली दफा डुलता हुआ, कंपता हुआ, घबड़ाया | न केवल हम ठहरे हुए ही नहीं हैं, हम प्रतिपल विकासमान हैं। हुआ, भयभीत, झिझकता हुआ, पहला कदम उठाता है, और जब | | और एक-एक व्यक्ति ही नहीं, पूरा जगत विकासमान है। यह जो पाता है कि कदम सम्हल गया और जमीन पर वह खड़े होने में समर्थ | | विकास की अनंत धारा है, अगर है, तो ही जगत में ईश्वर है। है, तो आपको पता होना चाहिए, विकास का एक बहुत बड़ा कदम | क्योंकि ईश्वर का अर्थ है-टेल्हार्ड डि चार्डिन ने एक शब्द का उठ गया है। यह सिर्फ पैर चलना ही नहीं है, आत्मा को एक नया | प्रयोग किया है, दि ओमेगा प्वाइंट। अंग्रेजी में अल्फा पहला शब्द भरोसा मिला, आत्मा को एक नई श्रद्धा मिली; आत्मा ने पहली दफा है और ओमेगा अंतिम। अल्फा का अर्थ है, पहला; ओमेगा का अपनी शक्ति को पहचाना। अब यह बच्चा दुबारा वही नहीं हो | अर्थ है, अंतिम। चार्डिन ने कहा है कि गॉड इज़ दि ओमेगा प्वाइंट। सकेगा, जो यह घुटने के बल चलकर होता था। अब यह दुबारा वही ईश्वर जो है, वह अंतिम बिंदु है विकास का। विकास की अंतिम नहीं हो सकेगा। अब यह सारी दुनिया भी इसको घुटने के बल झुकाने संभावना, विकास का जो अंतिम रूप है, विकास की जो हम में असमर्थ हो जाएगी। एक बड़ी ऊर्जा का जन्म हो गया। कल्पना कर सकते हैं, वह ईश्वर है।।
इसलिए जब कोई हार जाता है, तो हम कहते हैं, उसने घुटने टेक | ईश्वर का अर्थ है कि यह जगत किसी एक सुनिश्चित बिंदु की दिए। घुटने टेकना हारने का प्रतीक हो जाता है। लेकिन कल तक | तरफ यात्रा कर रहा है। कितना ही हम भटकते हों, और कितना ही यह बच्चा घुटने टेककर चल रहा था। इसे पता ही नहीं था कि मैं | मार्ग से च्युत हो जाते हों, और कितने ही गिरते हों, कितने ही क्या हो सकता हूं, मैं भी खड़ा हो सकता हूं, अपने ही बल मैं भी | | खाई-खड्डु हों, लेकिन इन सारे खाई-खड्डों, इन सारी गिर जाने की चल सकता हूं। यह दुनिया की पूरी की पूरी ताकत, सारी दुनिया की संभावनाओं के बावजूद भी हम उठते हैं, बढ़ते हैं; और कोई दिशा शक्ति भी चेष्टा करे, तो मुझे गिरा नहीं पाएगी।
है, जहां हम खिंचे चले जा रहे हैं। आदमी की चेतना विकसित होती इस बच्चे के भीतर इनटेंशनलिटी, एक तीव्र इच्छा का जन्म हो | चली जा रही है। गया। जिस दिन यह बच्चा पहली बार बोलता है और पहला शब्द | | इसे हम ऐसा समझें। अस्तित्व, जो है हमारे चारों तरफ, उसका निकलता है इसका—तुतलाता हुआ, डांवाडोल, डरा हुआ—उस | नाम है। अस्तित्व से भी महत्वपूर्ण और कीमती, और अस्तित्व में दिन इसके भीतर एक नया कदम हो गया। जिस दिन बच्चा पहली जो केंद्रीय है, वह है जीवन। लाइफ इज़ सेंट्रल इन एक्झिस्टेंस। बार बोलता है, उसकी प्रफुल्लता का अंत नहीं है। अपने को | क्यों? अभिव्यक्त करने की आत्मा ने सामर्थ्य जुटा ली। - - . .. एक पत्थर पड़ा है, पत्थर कितना ही खूबसूरत हो; और पास में
इसलिए बच्चे अक्सर एक ही शब्द को-जब वे बोलना शुरू एक फूल खिल रहा है, और फूल कितना ही बदसूरत हो, तो भी करते हैं तो दिनभर दोहराते हैं। हम समझते हैं कि सिर खा रहे | | फूल पत्थर से कीमती है। क्यों? फूल विकासमान है, फूल जीवंत हैं, परेशान कर रहे हैं, वे केवल अभ्यास कर रहे हैं अपनी स्वतंत्रता | | है; पत्थर मुर्दा है। फूल बढ़ रहा है। पत्थर की कोई संभावना नहीं का। वह जो उन्हें अभिव्यक्ति मिली है, वे बार-बार उसको छूकर | है, फूल की संभावना है। पत्थर कल भी पत्थर रहेगा; फूल आज देख रहे हैं कि हां, मैं बोल सकता हूं! अब मैं वही नहीं हूं-मौन, | कली है, कल खिलेगा। फूल विकासमान है, डायनैमिक है। बंद। अब मेरी आत्मा मुझसे बाहर जा सकती है। नाउ कम्युनिकेशन __ अस्तित्व का जो केंद्र है, वह जीवन है। कहें हम ऐसा कि इज़ पासिबल। अब मैं दूसरे आदमी से कुछ कह सकता हूं। अब | अस्तित्व जीवन के लिए है। एक्झिस्टेंस इज़ फार लाइफ। अस्तित्व मैं अपने में बंद कारागृह नहीं हूं। मेरे द्वार खुल गए! | का अंत है जीवन। अस्तित्व का लक्ष्य है जीवन। लेकिन जीवन भी
वह बच्चा सिर्फ अभ्यास कर रहा है। अभ्यास ही नहीं कर रहा | | किसी के लिए है। जीवन में अगर हम खोजें कि क्या है केंद्रीय, तो है, वह बार-बार मजा ले रहा है। वह जिस शब्द को बोल सकता | हम पाएंगे, चिंतन, मनन, विचार, मन। है, उसे बोलकर वह बार-बार मजा ले रहा है। वह कह रहा है कि जैसे अस्तित्व का केंद्र है जीवन, ऐसे जीवन का केंद्र है विचार। ठीक! अब यह बच्चा दुबारा वही नहीं हो सकता, जो यह एक शब्द | | इसलिए एक फूल खिल रहा है, कितना ही खूबसूरत हो; और एक बोलने के पहले था। एक नई दुनिया में यात्रा शुरू हो गई। विकास | | मोर नाच रहा है, कितनी ही उसकी नृत्य की गरिमा हो; लेकिन एक का एक चरण हुआ।
| छोटा-सा मूढ़ बच्चा भी उसके पास बैठा है, तो यह बच्चा ज्यादा
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