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________________ * गीता दर्शन भाग-42 लंबी यात्रा है फिर। पदार्थ के तल पर निगेटिव और पाजिटिव मिलते हैं, वे भी पदार्थ से ऊपर उठें; बड़ी कृपा होगी, लोभ से ऊपर उठे। कम स्त्री-पुरुष हैं। शरीर के तल पर यौन संयुक्त होता है, वे भी से कम जीवित व्यक्ति में आकर्षित हों, मृत पदार्थों में नहीं। यह भी | स्त्री-पुरुष हैं। यह आपको जानकर कठिनाई होगी कि जब दो मनों बड़ी क्रांति है। कुछ लोग जीवित व्यक्तियों में आकर्षित होते हैं, | का भी मेल होता है, तो उसमें एक मन स्त्रैण और एक मन पुरुष लेकिन यौन के बाहर उनका आकर्षण नहीं जाता। एक-दूसरे के जैसा होता है। असल में जहां भी मेल घटित होता है, जहां भी शरीर तो मिलते हैं, लेकिन एक-दूसरे के मन कभी भी नहीं मिल | | मिलन होता है, वहां स्त्री और पुरुष का अंश मौजूद होता है। और पाते हैं। जब श्रद्धा जन्मती है, तब भी-आत्मा के तल पर भी स्त्री और ___ इसलिए जिन मुल्कों में तलाक की सुविधा हो गई है, उन मुल्कों | पुरुष का अंश मौजूद रहता है। में विवाह अब बच नहीं सकता। क्योंकि मन तो कहीं मिलते ही | स्त्री और पुरुष का विभाजन शारीरिक ही नहीं है, जैविक ही नहीं नहीं, तन ही मिलते हैं। और तन जल्दी ही बासे, और जल्दी ही है, सारा अस्तित्व बंटा हुआ है। इसलिए कृष्ण को प्रेम करने वाले उबाने वाले हो जाते हैं। | भक्तों ने अगर कहा है कि एक ही पुरुष है जगत में, कृष्ण, तो __एक ही शरीर कितनी बार भोगा जा सकता है? और एक ही | | उसका कारण है। शरीर कितनी देर तक आकर्षक हो सकता है? और एक ही शरीर | अगर मीरा ने वृंदावन के मंदिर में पुजारी को कहा है, क्योंकि कितनी देर तक खींचेगा? फिर वह खिंचाव भी एक ऊब और | उस पुजारी ने नियम ले रखा था कि किसी स्त्री को मंदिर में प्रवेश बोर्डम हो जाती है। और मन तो मिलते नहीं। नहीं करने देगा। और मीरा जब नाचती हुई उस मंदिर के द्वार पर इसलिए पश्चिम में, जहां तलाक सुविधापूर्ण होता चला जा रहा पहुंच गई, तो द्वार बंद कर दिए गए। और लोगों ने खबर दी कि है, विवाह बिखरता चला जा रहा है। उन्नीस सौ में अमेरिका में चार | | मंदिर के पुजारी जो हैं, गोस्वामी जो हैं, वे स्त्री को भीतर प्रवेश नहीं शादियों में एक तलाक होते थे, अब चार शादियों में तीन तलाक करने देते हैं; आप लौट जाएं। मीरा ने कहा, इतनी खबर पुजारी की नौबत है। सिर्फ पचास साल में। और पचास साल. मैं आपको तक पहंचा दो, मैं तो सोचती थी कि जगत में केवल एक ही पुरुष भरोसा दिलाता हूं, तलाक समाप्त हो जाएंगे, क्योंकि विवाह है, कृष्ण। गोस्वामी भी पुरुष हैं? उनसे इतना पूछ आएं। . समाप्त हो जाएगा। तलाक बच नहीं सकते ज्यादा दिन तक, क्योंकि द्वार खुल गए। गोस्वामी मीरा के चरणों में गिर पड़ा। क्योंकि तलाक को बचाने के लिए विवाह जरूरी है। और विवाह ही बचने गोस्वामी को संदेश मिल गया। गोस्वामी को खयाल आ गया कि वाला नहीं है। क्या कारण है ? शरीर का आकर्षण यौन है, और मन भक्त होकर कृष्ण का, वह पुरुष कैसे हो सकता है? एक आत्मिक का तो आकर्षण पैदा ही नहीं हो पाता। तल पर कृष्ण पुरुष हो गए और गोस्वामी उनका भक्त है, तो स्त्रैण हमारे पास मन जैसी कोई चीज भी है, और हम कभी किसी के | हो गया। मन से भी आकर्षित होते हैं, तो ही हमें प्रेम का अनुभव शुरू होगा। स्त्रैण और पुरुष शब्द का मैं सांकेतिक प्रयोग कर रहा हूं। पुरुष प्रेम, शरीर-मुक्त दो मन के बीच आकर्षण है। प्रेम मैत्री है। | वह है, जो खींचता है; स्त्री वह है, जो समर्पित होती है। गुरु और लेकिन हमें प्रेम का का अनभव नहीं है। मित्रता दर्लभ होती चली शिष्य के बीच समर्पण का यही संबंध है। इस समर्पण के बाद वैसी गई है। और प्रेम का ही पता न हो, तो श्रद्धा बहुत कठिन हो | | बातें हो सकती हैं, जो अन्यथा नहीं हो सकतीं। जाएगी। मन का प्रेम मित्रता को जन्म देता है। तो कृष्ण अब एक बहुत गुरु-गंभीर बात अर्जुन से कह रहे हैं; चौथा जो आकर्षण है, श्रद्धा, वह गुरु और शिष्य के बीच का सुनकर सिर चकराता मालूम पड़ेगा। इस बात को कृष्ण भी इसके संबंध है। किसी की आत्मा इतनी आकर्षक हो जाती-उसका मन | पहले नहीं कह सकते थे। जब पक्की हो गई बात कि अर्जुन श्रद्धा भी मूल्य का नहीं, उसका शरीर भी मूल्य का नहीं, उसके पास जो | से भर गया है, समर्पित है; उसके हृदय के द्वार खुले हैं; संदेह की पदार्थगत कुछ भी हो, वह भी किसी मूल्य का नहीं-बस उस | दीवालें गिर गई हैं; शंकाएं-कुशंकाएं निःशेष हो गई हैं; अब आतुर व्यक्ति का अस्तित्व, उसका होना ही मूल्यवान हो जाता है। इस | है। ठीक वैसे ही, जैसे कभी कोई स्त्री प्रेम के किसी क्षण में पुरुष मूल्य का भी एक जोड़ और एक संबंध है। | को अपने भीतर लेने को आतुर होती है। प्रेम के किसी गहन क्षण | 1861
SR No.002407
Book TitleGita Darshan Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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