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* गीता दर्शन भाग-44
जाती है।
मैंने सुना है कि एक मानसिक बीमार था। उसे एक आदत थी, का-स्वाभाविक रूप से हुआ घातक फल है। अधूरी खोज सदा एक आब्सेशन था कि जब भी वह किसी शराबघर में या चायघर ही घातक होती है। आधा ज्ञान सदा ही खतरनाक सिद्ध होता है। में या काफीघर में जाता, तो आधा गिलास तो पी लेता, और आधा | आधा ज्ञान कभी-कभी तो आत्मघाती होता है। गिलास दुकान के मालिक के ऊपर उंडेल देता। अनेक लोगों ने उसे कृष्ण ने दोनों मार्गों की सीधी बात की है। ऊपर का मार्ग साफ सलाह दी। और फिर वह क्षमा मांगता और कहता कि मेरी मजबूरी न हो, तो अच्छा है कि नीचे के मार्ग से हम परिचित ही न हों। ऊपर है; मैं कर नहीं पाता कुछ और। यह मुझे करना ही पड़ता है। यह | का मार्ग स्पष्ट हो जाए, तो नीचे के मार्ग की कठिनाई समाप्त हो मेरे भीतर से कोई करवा लेता है। • एक दुकान में उसने यही किया, शराबघर में, आधा गिलास तो कृष्ण कहते हैं, हे पार्थ, इस प्रकार इन दोनों मार्गों को तत्व मालिक के ऊपर उंडेला। तो मालिक नाराज हुआ और उस मालिक | से जानता हुआ, कोई भी योगी मोहित नहीं होता है। ने कहा, अच्छा हो कि तुम किसी मनसविद की सलाह लो, किसी | इन दोनों मार्गों को तत्व से जानता हुआ, कोई भी योगी मोहित साइकोएनालिस्ट, किसी मनोविश्लेषक के पास जाओ। यह तो नहीं होता है। जिस व्यक्ति ने, जिस साधक ने इन दोनों तत्वों को, बड़ी खतरनाक बात है!
इन दोनों मार्गों को उनकी आंतरिक गहनता में स्पष्ट रूप से जान छः महीने बाद वह आदमी दुबारा आया। बहुत प्रसन्न दिखाई पड़ | लिया, पहचान लिया, अनुभव कर लिया, वह मोहित नहीं होता है। रहा था। आकर उसने फिर एक गिलास में शराब ली। आधी पी यह मोहित होने की बात को थोड़ा खयाल में ले लें। इस मोहित
और आधी बड़े आनंद से फिर मालिक के ऊपर उंडेली। मालिक ने | होने का क्या अर्थ होगा? जिसने इन दोनों मार्गों को जान लिया, वह कहा, हद्द हो गई। मैंने तो सुना था कि तुमने मनोविश्लेषक के पास | मोहित नहीं होता है। जो एक को जानेगा, वह मोहित हो सकता है। जाना शुरू कर दिया। और छः महीने से तुम इलाज करवा रहे हो! | मोह का मैकेनिज्म, मोह की जो यांत्रिक प्रक्रिया है, वह खयाल __ उस आदमी ने कहा कि निश्चित ही छः महीने से मैं इलाज करवा में ले लें। रहा हूं और मुझे बड़ा फायदा हुआ है। उस दुकानदार ने कहा, मोहित हम सदा विपरीत से होते हैं। मोहित हम सदा विपरीत से फायदा कोई दिखाई नहीं पड़ता। फिर तुमने वही काम किया। उसने होते हैं—दि अपोजिट इज़ आलवेज दि अट्रैक्शन। और हर आदमी कहा, वही काम किया, लेकिन अब मैं पश्चात्ताप जरा भी नहीं जिससे मोहित होता है, वह उसके विपरीत होता है। यह विपरीत करता हूं। नाउ आई डोंट फील गिल्टी। क्योंकि मनसविद ने मुझे | का नियम जीवन के समस्त पहलुओं पर लागू होता है। पुरुष स्त्रियों समझा दिया है कि यह बिलकुल स्वाभाविक है। यह होगा ही। इसे | में आकर्षित होते हैं, उनकी विपरीतता के कारण। स्त्रियां पुरुषों में तुम नार्मल समझो। इसमें कुछ एबनार्मल नहीं है। अब मुझे आकर्षित होती हैं, उनकी विपरीतता के कारण। पश्चात्ताप नहीं होता है।
आप हैरान होंगे यह जानकर कि आप जो कुछ भी जीवन में पश्चिम की पूरी की पूरी विकृति का कारण यह है कि पश्चिम में | पसंद करते हैं; जिसको आप कहते हैं, मैं बहुत पसंद करता मनसविद ने यह समझा दिया है लोगों को कि तुम जो भी कर रहे हूं-आपको खयाल में ही न होगा-वह आपसे विपरीत चीज है। हो-अगर तुम होमोसेक्सुअल हो, अगर तुम समलिंगी-काम से इसलिए जिसको आप पसंद करते हैं, अगर उससे दूर रहें, तो पीड़ित हो, अगर तुम हर रोज अपनी पत्नी को बदलना चाहते हो, पसंदगी जारी रह सकती है। जिसे आप पसंद करते हैं, अगर उसके अगर तुम पत्नी के साथ उलटे-सीधे कामवासना के प्रयोग करना ही साथ रहने लगें, तो कलह अनिवार्य है। क्योंकि जो विपरीत है, चाहते हो तो यह सब स्वाभाविक है, क्योंकि यह मनुष्य के | उससे आप आकर्षित हो सकते हैं, लेकिन साथ नहीं रह सकते। अचेतन में छिपा पड़ा है। यह होगा ही। और अगर तमने यह नहीं क्योंकि साथ रहने पर विपरीत से कलह होनी शुरू हो जाएगी। जो किया, तो तुम रुग्ण हो जाओगे। यह तुम्हें करना ही चाहिए, तो ही विपरीत है, उससे संघर्ष होगा ही। तुम सामान्य, स्वस्थ रह पाओगे।
___ यह बड़े मजे की बात है। यह आदमी के मन का बहुत पश्चिम में जो सारा उपद्रव का जाल फैला है, वह भौतिकवाद | पैराडाक्सिकल हिसाब है कि विपरीत से आकर्षित होते हैं, लेकिन का परिणाम नहीं, पश्चिम में फ्रायड की खोज का-अधूरी खोज | विपरीत के साथ रह नहीं सकते। आकर्षण दूर पर होता है, पास
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