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________________ * दक्षिणायण के जटिल भटकाव आप एक काम करें; दिन में किसी गहरे कुएं में उतर जाएं। कुआं इतना गहरा होना चाहिए कि नीचे अंधेरा हो । कुएं में खड़े हो जाएं और आकाश को देखें। आप चकित हो जाएंगे। कुएं के भीतर से जो आकाश दिखाई पड़ेगा, उसमें आपको तारे दिन की दोपहरी में भी दिखाई पड़ेंगे। कुएं के अंधेरे में उतरकर जब आप देखते हैं। , तो जो तारे रोशनी में नहीं दिखाई पड़ रहे थे, वे अंधेरे से दिखाई पड़ने लगते हैं। अंधेरा कंट्रास्ट बन जाता है। ऊपर, ठीक ऐसी ही घटना भीतर भी घटित होती है। जब कोई अपने ही अंधेरे के गर्त में उतर जाता है, अंधेरे के कुएं में नीचे और नीचे, और ऊपर उठकर देखता है, तो अपने ही शीर्ष पर जो चांद सदा से छिपा है, उसकी झलक उसे इतनी साफ दिखाई पड़ती है, जितनी साफ इस अंधेरे के कुएं के बाहर रहकर कभी दिखाई नहीं पड़ी थी, पता ही नहीं चला था। विपरीत की पृष्ठभूमि में चीजें बहुत साफ होकर दिखाई पड़ती हैं। इस अंधेरे से झलक मिलती है। इसलिए कृष्ण कहते हैं, चंद्रमा की ज्योति को प्राप्त होकर ! चंद्रमा की एक ज्योति उसे उपलब्ध होती है, चंद्रमा उपलब्ध नहीं होता। चंद्रमा त उपलब्ध होता है उत्तरायण के व्यक्ति को । इस व्यक्ति को तो चंद्रमा की ज्योति दिखाई पड़ती है, बड़ी प्रकट, बड़ी स्पष्ट । उसे यह उपलब्ध होती है। और स्वर्ग में अपने कर्मों का फल भोगकर वापस लौट आता है। स्वर्ग के संबंध में दो-तीन बातें खयाल में ले लेनी चाहिए। एक, स्वर्ग दोहरा अर्थवाची है । एक तो स्वर्ग उस अवस्था का नाम है, जहां दुख का हमने सब भांति निषेध कर दिया और केवल सुख का एक छोटा-सा कोना बचा लिया। सब दुख बंद कर दिए और केवल सुख को बचा लिया। पीछे छिपे रहेंगे दुख, जा नहीं सकते, क्योंकि वे सुख केही हिस्से हैं । हमने एक ऐसा घर बना लिया, जिसमें हमने सिक्के चांदी के लगाकर उनका मुख अपनी तरफ कर लिया और पीठ पीछे की तरफ कर दी। हम उस घर के भीतर छिपकर खड़े हो गए। अब हम कह सकते हमारे सभी सिक्कों में एक ही पहलू है। शक्ल वाला हिस्सा हमें दिखाई पड़ता है, पीठ पीछे है। लेकिन पीठ पीछे मौजूद है, बहुत जल्द वह पीठ हमें अनुभव में आनी शुरू हो जाएगी। वही लौटना है वापस । स्वर्ग का एक अनुभव है, दुख को छिपाकर सुख को पूरी तरह बचा लेने की स्थिति। यह मानसिक अवस्था भी है, भौतिक अवस्था भी है। ऐसे स्थान हैं इस विश्व में, जिन स्थानों पर ऐसे सुख की अधिकतम संभावना है। ऐसे स्थान हैं इस विश्व में, जहां इससे विपरीत दुख ही दुख हैं, उनकी संभावना है। लेकिन जो व्यक्ति भी ऐसी अवस्था को, या ऐसी स्थिति को, या ऐसे स्थान को उपलब्ध होता है, उसके पास संचित पूंजी है, वह उसे खर्च करके वापस लौट आता है। नर्क से भी लौट आता है आदमी, पाप की सारी पूंजी खर्च करके । स्वर्ग से भी लौट आता है आदमी, पुण्य की सारी पूंजी खर्च करके। अब एक बात यहां खयाल ले लें। जब भी आप पाप करते हैं, तो संकल्प की कमी के कारण करते हैं । आपने तय किया है चोरी नहीं करूंगा, लेकिन हीरा पड़ा हुआ मिल जाता है। संकल्प | कहता है, मत करो, लेकिन वासना कहती है, यह मौका चूकने जैसा नहीं । कसम फिर खा लेना, व्रत फिर ले लेना; यह हीरा फिर दुबारा मिले न मिले। व्रत तो कभी भी लिया जा सकता है। तोड़ भी दिया, तो पश्चात्ताप की व्यवस्था हो सकती है। प्रायश्चित्त कर | लेना; कुछ दान-पुण्य कर देना। जो चाहो, कर देना, लेकिन इसे मत छोड़ो। पाप सदा ही संकल्प की कमी से होते हैं, ध्यान रखना; संकल्प की कमी से । 149 मुल्ला नसरुद्दीन का बाप उसे समझा रहा है कोई दवा लेने को । अभी लड़का ही है वह। और बाप उससे कह रहा है कि यह दवा तुझे पीनी ही पड़ेगी। और देख, ध्यान रख, माना कि यह कड़वी है, लेकिन आदमी को संकल्पवान होना चाहिए। विल पावर होनी चाहिए आदमी में । जब मैं तेरी उम्र का था, तो कितनी ही कड़वी दवा हो, जब मैं एक दफा तय कर लेता था कि पीऊंगा, तो पीकर ही रहता था। नसरुद्दीन ने कहा, मैं भी संकल्प में आपसे पीछे नहीं हूं। जब मैं एक दफा तय कर लेता हूं कि नहीं पीऊंगा, तो नहीं ही पीता हूं ! संकल्प का अर्थ है, जो तय कर लिया, वह कर लिया। सब पाप - क्योंकि पापी से पापी व्यक्ति भी पाप करने का तय कभी नहीं करता, हालांकि पाप कर लेता है। यह खयाल में रखना आप । पापी से पापी व्यक्ति भी पाप करने का तय नहीं करता, तय | तो सदा पुण्य करने का ही करता है, लेकिन पाप कर लेता है। सब पाप संकल्प की कमी से पैदा होते हैं। संकल्प की कमी नर्क का द्वार है। सब पुण्य संकल्प की सामर्थ्य से पैदा होते हैं, इसलिए संकल्प स्वर्ग की कुंजी है। लेकिन मोक्ष न संकल्प से मिलता और न संकल्प की कमी से मिलता। संकल्प की कमी भी संकल्प की ही कमी है। वहां भी
SR No.002407
Book TitleGita Darshan Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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