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________________ *गीता दर्शन भाग-4* पहलू को बचाना चाहे और दूसरे को छोड़ना चाहे, उसे हम पागल | ऊर्जा का नियम है कि ऊर्जा गत्यात्मक है, डायनैमिक है। ऊर्जा कहेंगे। क्योंकि जब एक सिक्के का एक पहलू बचाया जाता है, तो | स्टैटिक नहीं है। ऊर्जा थिर नहीं रह सकती; ऊर्जा दौड़ती है। अगर दूसरा अनिवार्य रूप से बच जाता है। सिक्के का एक पहलू बच | | आपने नदी का एक द्वार बंद कर दिया, तो नदी दूसरे द्वार से दौड़ना नहीं सकता; दो ही बचते हैं, या दोनों ही फेंक देने पड़ते हैं। शुरू कर देगी। अगर आपने दूसरा द्वार भी बंद कर दिया, नदी जिसने सुख को बचाना चाहा, दुख को हटाना चाहा, वह दुख तीसरा द्वार खोज लेगी और तीसरे मार्ग से दौड़ना शुरू कर देगी। को भी पीछे बचा लेगा। जिसने दोनों फेंक दिए, वही केवल दुख तीन पथ हैं। एक, मनुष्य की ऊर्जा का बहिर्गमन, जो कि से मुक्त हो पाएगा। जिसने सुख को फेंकने की भी तैयारी कर ली। | प्राकृतिक, नेचरल मार्ग है; जिससे सब पशु-पक्षी, पौधे जीते हैं इस सुख-दुख को फेंकते ही ऊर्ध्वगमन शुरू होता है। और जिससे अधिक मनुष्य भी जीते हैं। वह प्राकृतिक है। लेकिन अगर आप दुख को हटाना चाहते हैं, सुख को बचाना | | दूसरा मार्ग है, ऊर्ध्वगमन का। वह अति प्राकृतिक है, वह प्रकृति चाहते हैं, तो दक्षिणायण का पथ, तो नीचे की यात्रा है। यदि आप | के पार जाने का है, वह परमात्मा तक जाने का है। सुख को बचाना चाहते हैं, दुख को हटाना चाहते हैं, तो बाहर जाना एक तीसरा मार्ग भी है, नीचे की ओर जाने का। वह भी अति बंद कर दें, दुख कम से कम हो जाएंगे; क्योंकि दुख सदा किसी प्राकृतिक है, वह भी प्रकृति के पार है। लेकिन ऊपर जाने वाला के कारण और किसी के द्वारा मिलते हुए मालूम पड़ते हैं। मार्ग है बियांड नेचर; नीचे जाने वाला मार्ग है बिलो नेचर। एक इसलिए आदमी जब बहुत दुखी होता है, तो शराब पी लेता है, ऊपर की तरफ जाने वाली अति है, दूसरी नीचे की तरफ जाने वाली बेहोश हो जाता है। शराब कोई सुख नहीं देती। शराब एक काम | अति है। करती है, सिर्फ बाहर से संबंध टूट जाता है। आदमी एनक्लोज्ड, इस नीचे जाने वाली अति का कृष्ण ने जो ब्यौरा दिया है वह ऐसा अपने में बंद हो जाता है। और जब बाहर से संबंध टूट जाते हैं, तो है, तथा जिस मार्ग में धुआं है...। जिस पत्नी के कारण दुख मिलता था, जिस पति के कारण चिंता | | अग्नि की जगह धुआं। पहले मार्ग में अग्नि थी, इस मार्ग में होती थी, जिस बेटे के कारण मन में व्यथा आती थी, जिस परिवार | | अग्नि की जगह धुआं है। के कारण विक्षिप्तता पैदा होती थी, जिस समाज को नष्ट कर डालने जिस मार्ग में धुआं है, रात्रि है, कृष्ण पक्ष है और दक्षिणायण के का मन होता था या स्वयं मर जाने की वृत्ति पैदा होती थी, वह फिर छः माह हैं, उस मार्ग में मरकर गया हुआ योगी चंद्रमा की ज्योति कुछ भी पैदा नहीं होता। | को प्राप्त होकर स्वर्ग में अपने कर्मों का फल भोगकर पीछे वापस शराब संबंधों के जगत को तोड़ डालती है। इतना बेहोश कर देती | लौट आता है। है आपको कि बाहर का आपको स्मरण नहीं रह जाता; अपने में इन प्रतीकों को समझें। बंद। जब आप होश में आते हैं, तो कहते हैं, बड़ा सुख अनुभव उत्तरायण के मार्ग पर अग्नि पहला प्रतीक थी। ऊपर की तरफ किया। सुख अनुभव नहीं किया, केवल दुख के जगत से थोड़ी देर | | अग्नि बढ़ती, तो ज्योति बन जाती। ज्योति और ऊपर बढ़ती, तो के लिए विस्मरण में डूब गए; तंद्रा में, निद्रा में, बेहोशी में, मूर्छा | | दिन बन जाती। दिन और ऊपर बढ़ता, तो शुक्ल पक्ष बन जाता। में खो गए। जब भी हम कहते हैं, हमें सुख मिला, तो आमतौर से और पूर्णिमा पर अंत होता। नीचे के मार्ग पर—अग्नि अब बीच में यही होता है कि हम उन संबंधों से टूट गए होते हैं, जिनसे हमें दुख है। ऊपर की तरफ जाती, तो ज्योति बनती; नीचे की तरफ जाती है, मिलता है। | तो धुआं बन जाती है। क्योंकि जितना ही हम नीचे उतरते हैं वासना दक्षिणायण का पथ समस्त संबंधों को बिना बेहोश हुए तोड़ने में, उतना ही गीला ईंधन अग्नि को उपलब्ध होता है। वासना गीला का पथ है। बिना बेहोश हुए तोड़ने का पथ है। बेहोश नहीं होना है, ईंधन है। लेकिन समस्त वासना को काम-केंद्र पर इकट्ठा करके काम-केंद्र ___ फकीर हसन ने कहा है, एक सूखी लकड़ी को जलाओ, तो धुआं का द्वार बंद कर लेना है। दमन का जो ब्रह्मचर्य है, वह यही है। नहीं पैदा होता या कम पैदा होता है। गीली लकड़ी को जलाओ, तो काम-केंद्र को अवरुद्ध कर लेना है। ऊर्जा इकट्ठी होगी और मुक्तिधुआं ज्यादा पैदा होता है और बहुत पैदा होता है। जितनी गीली हो की कोई दिशा नहीं है, तो ऊर्जा गति करेगी। | उतना ही धुआं पैदा होता है। बहुत गीली हो, तो लपट तो निकलती 142
SR No.002407
Book TitleGita Darshan Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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