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* गीता दर्शन भाग-4
अगर किसी ने परमात्मा को ही पा लिया, तो वह सर्वभूतों को एक अजनबी आदमी गांव में आया हुआ था, वह बड़ा हैरान तो पा ही लेगा। और जो भूतों को पाने में लगा रहा, पदार्थों को पाने | | हुआ कि जब गांव में इतने जोर की अफवाह है, फिर भी कोई में लगा रहा, वह पदार्थों को पा नहीं सकता। क्योंकि जब तक आदमी मानता क्यों नहीं! उसने सोचा कि हर्ज क्या है, चलकर मैं पदार्थों के मालिक को नहीं पाया, तब तक पदार्थों को कैसे पाया नसरुद्दीन से ही पूछ लूं। कुतूहलवश...। जा सकता है! हमारे जीवन की सारी पीड़ा यही है।
गांव के लोगों ने बहुत समझाया कि तू बिलकुल पागल है। यह सुना है मैंने, एक सम्राट यात्रा पर गया है। और जब वह | नसरुद्दीन ने ही अफवाह उड़ाई होगी। बाकी यह हो नहीं सकता; अनेक-अनेक साम्राज्यों की विजय करके वापस लौटने लगा, तो यह इंपासिबल है, यह असंभव है। इस नगर में कुछ भी हो सकता उसने अपनी-सौ रानियां थीं-उन सबको खबर भेजी कि तुम है; नसरुद्दीन भोज दे दे पूरे नगर को, यह कभी नहीं हो सकता। क्या चाहती हो कि मैं उपहार में तुम्हारे लिए लाऊं?
जाने की जरूरत नहीं है। किसी रानी ने कहा कि मेरे लिए कोहनूर लेते आना। किसी रानी लेकिन जितना लोगों ने रोका, उसकी उत्सुकता बढ़ी। उसने ने कहा कि मेरे लिए उस देश में जो इत्र बनता है श्रेष्ठतम, उसको ले कहा, हर्ज क्या है, चार कदम चलकर जरा मैं पूछ ही क्यों न आऊं। आना, जितना ला सको। किसी ने कुछ और, किसी ने कुछ और; अफवाह सच भी हो सकती है। बड़ी कीमती, बड़ी बहुमूल्य चीजें। सिर्फ एक रानी ने खबर भेजी कि वह आदमी गया। नसरुद्दीन तो भीतर बैठा था अपनी बैठक में, तुम सकुशल वापस लौट आना, और मुझे कुछ भी नहीं चाहिए। बाहर नौकर उसका महमूद था। उस आदमी ने पूछा कि सुना है मैंने
सम्राट, जिस रानी ने जो बुलाया था उसके लिए तो उतना लाया कि तुम्हारा मालिक मुल्ला नसरुद्दीन गांवभर को भोज दे रहा है, ही, लेकिन इस रानी के लिए उतना सब लाया, जितना सब रानियों क्या तुम कुछ इस संबंध में मुझे जानकारी दे सकते हो? और अगर ने इकट्ठा बुलाया था। लौटकर उसने कहा कि रानी तो सिर्फ मेरी यह भोज होने वाला है, तो किस तारीख और किस दिन? एक कुशल और होशियार है, उसने मालिक को मांग लिया; चीजें मुल्ला का नौकर तो अच्छी तरह जानता था कि यह कभी होने तो पीछे चली आती हैं!
वाला नहीं है। वह हंसा और इसलिए कि कभी होने वाला नहीं है, सच, धार्मिक व्यक्ति इस जगत में कुशलतम बुद्धिमान व्यक्ति उसने मजाक में उस आदमी से कहा कि अब तुम आ ही गए हो.
वह पदार्थों को नहीं मांगता, वह पदार्थों के मालिक को ही मांग इतनी दूर चलकर, तो मैं तुम्हें दिन बताए देता हूं। कयामत के दिन, लेता है; पदार्थ तो पीछे चले आते हैं।
प्रलय के दिन, यह भोज होगा। जिसे हम गृहस्थ कहते हैं, जिसे हम समझदार कहते हैं, वह वह आदमी तो चला गया, मुल्ला अंदर से आया और कहा कि सिर्फ नासमझों की आंखों में समझदार होगा; उससे ज्यादा नासमझ नालायक, अभी से दिन तय करने की क्या जरूरत! फंसा दिया कोई भी नहीं, क्योंकि वह जो भी मांगता है, वह क्षुद्र पदार्थ है। और | मुझे। दिन भी तय कर दिया! अफवाह उड़ने दे, दिन तय करने की मालिक को बिना मांगे हम वहम में ही होते हैं कि हमें कुछ मिल | कोई जरूरत नहीं। कयामत का दिन भी आखिर दिन ही है। तय तो गया, क्योंकि मौत हमसे फिर सब छीनकर मालिक को वापस लौटा हो ही गया! देती है। थोड़ी-बहुत देर हम पहरेदारी करते हैं। बड़े से बड़ा हमारे पहरे देते हैं लोग। अपने धन पर पहरा देते हैं, अपने यश पर बीच जो धनपति है, वह धन का पहरा देता है। जितना ज्यादा धन, | पहरा देते हैं और मर जाते हैं। और उनका धन, और उनका यश उन उतना ही खर्च करना मुश्किल हो जाता है। खर्च करना तो सिर्फ | पर हंसता हुआ यहीं पड़ा रह जाता है। सिर्फ एक धन है जिसे मृत्यु फकीर ही जानते हैं।
नहीं छीन पाती, और वह परमात्मा है। सिर्फ एक ही यश है जिसे मुल्ला नसरुद्दीन ने अपने गांव में कभी किसी आदमी को चाय | | मृत्यु नहीं धूमिल कर पाती, और वह परमात्मा है। भी नहीं पिलाई। मरते समय तक बहुत पैसा उसके पास इकट्ठा हो | और मजा यह है कि जो परमात्मा को पा लेता है, वह सब पा गया। लेकिन एक दिन गांव में खबर उड़ गई कि मुल्ला नसरुद्दीन लेता है। और जो सबको पाने की कोशिश में रहता है, वह सबमें पूरे नगर को भोज दे रहा है। किसी ने भरोसा नहीं किया। लोगों ने से तो कुछ पाता ही नहीं; जिसे पा सकता था, परमात्मा को, उसे सुना, हंसे, और टाल दिया।
भी पाने के अवसर चूकता चला जाता है।
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