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________________ * सृष्टि और प्रलय का वर्तुल हों, कि ऋषभ हों, कि राम हों, कि परशुराम हों-ये सब भी नहीं देखी। उसका पिता अगर उससे कहे कि बहुत शीघ्र वर्षा नान-हिस्टारिक हैं, ये सब गैर-ऐतिहासिक हैं। आएगी, आषाढ़ का पहला दिन करीब आता है। आकाश में काले इससे भारतीय मन को बड़ी पीड़ा होती है; लेकिन उसी मन को, | | बादल घिरेंगे, सब मौसम गीला, धुंधला हो जाएगा। फिर बूंदें जिसे भारत के रहस्यों का कोई पता नहीं है। इससे खुश होना चाहिए, | गिरेंगी, जो पृथ्वी के लिए अमृत जैसी तृप्तिदायी होंगी। वृक्ष हरे हो यह पौराणिक है और पुराण इतिहास से ज्यादा गहन बात है। | उठेंगे, फूलों से लद जाएंगे। सारा जीवन हरा हो जाएगा। इतिहास लेखा-जोखा है ऊपरी घटनाओं का; पुराण लेखा-जोखा | । तो वह बच्चा प्रतीक्षा करे। फिर आषाढ़ का पहला दिन आए है अंतरतम का। उसमें तिथियों का कोई मूल्य नहीं। उसमें, अखबार | और बादल घिरने लगें, तो वह पिता को कहे कि तुम कैसे अदभुत में जो घटनाएं छपती हैं, उनका कोई मूल्य नहीं। उसमें तो जो | | हो! ठीक वैसा ही हुआ जा रहा है। घटनाएं जीवन के अंतस्तल में, अस्तित्व के प्राणों में घटित होती | __ इस पिता को सिर्फ इतना ही पता है कि वर्ष के वर्तुल में, चक्र हैं, केवल उनका लेखा-जोखा है। में वर्षा एक बार आती है। ठीक प्रत्येक ब्रह्मा के काल में कितने ___ इसलिए एक बहुत मजेदार घटना घट सकती है, वह सिर्फ भारत | लोग पैदा होते हैं! में घट सकती है। वह यह है कि वाल्मीकि ने राम के जन्मने के पहले ___ जैन अनुभवियों को पता है कि ब्रह्मा के एक दिन में चौबीस रामायण लिखी। यह दुनिया में कहीं भी नहीं घट सकती। यह कैसे | तीर्थंकर पैदा होते हैं। एक-एक घंटे पर, इसलिए चौबीस। चौबीस घट सकती है! क्योंकि इतिहास लिखने वाला तो इतिहास तभी | | घंटे में एक-एक घंटे पर एक-एक टीचर, एक-एक सदगुरु पैदा लिखेगा, जब इतिहास घट जाए। कोई अखबार खबर छाप सकता | होता है। इसलिए चौबीस तीर्थंकर पैदा होते हैं। है, जो अभी घटी न हो? अखबार तो खबर छाप सकता है, जो घट | ये हर वर्तुल में पैदा होते हैं। इनके नाम अलग होंगे, इनके गई हो। इसलिए इतिहास केवल सड़ा हुआ कचरा है, जो हो चुका, । इतिहास की रेखाएं थोड़ी-बहुत अलग होंगी। क्योंकि हर बार, हर जो बीत चुका। वह सिर्फ राख है मुर्दो की। इतिहास मरे का | | आषाढ़ के पहले दिन पर आकाश में घिरे बादलों की रूप-रेखा लेखा-जोखा है। एक-सी नहीं होती। कोई और होगा राम. कोई और होगा कृष्ण। सिर्फ एक अनूठी घटना इस मुल्क में घटी है और वह यह कि लेकिन ऊपर का लेखा-जोखा अलग होगा, इतिहास अलग होगां, वाल्मीकि ने राम के जन्म के पहले राम की कथा लिखी है। बड़ी | | भीतर का जो सारभूत तत्व है, वह एक ही होगा। कभी वह दशरथ अनूठी है और बड़ी बेबूझ है, एब्सर्ड है, तर्कसंगत नहीं है। कोई भी | का पुत्र होगा, और कभी दशरथ का पुत्र नहीं होगा। लेकिन राम कहेगा, क्या पागलपन है! पहले कथा कैसे लिखी जा सकती है? जब भी पैदा होगा, तो वह भीतर का जो रामपन है, दि एसेंशियल, लिखी जा सकती है, अगर पुराण का खयाल हो। वाल्मीकि को वह जो सारभूत है, वह वही होगा। अगर यह पता है कि राम जैसा व्यक्ति हर वर्तुलाकार अस्तित्व में वाल्मीकि उसी सारभूत राम की कथा लिखते थे। और बड़ी मधुर पैदा होता है, राम जैसा व्यक्ति ब्रह्मा के हर दिन में एक बार पैदा है यह बात कि राम फिर उस कथा के अनुसार जीवन का आचरण होता ही है, तो यह कथा लिखी जा सकती है। यह राम जैसा व्यक्ति करते हैं। क्योंकि वाल्मीकि को सत्य तो होना ही चाहिए। वाल्मीकि हजारों दफे पहले भी पैदा हो चुका है। के असत्य होने का कोई उपाय ही नहीं है। जो पुराण को जानते हैं, समझें ऐसा कि हमें पता है कि हर वर्ष, वर्ष के किसी काल में | वे कभी असत्य नहीं होते; और जो इतिहास को जानते हैं, वे कितना वर्षा आती है। एक बार जब वर्ष का वर्तुल घूमता है, तो वर्षा आती ही जान लें, वे सदा ही असत्य होते हैं। है। तो वर्षा आने के पहले जान लेने में कौन-सी कठिनाई है! जिसे __इतिहास कभी निर्णय नहीं कर पाता—यह बहुत मजे की बात पता हो कि आषाढ़ आएगा और आषाढ़ के पहले दिन आकाश में | | है-हम पीछे का भी निर्णय नहीं कर पाते कि क्या हुआ। हमला बादल घिरेंगे, भूखी-प्यासी पृथ्वी मांग करेगी और आकाश से | | पाकिस्तान ने किया हिंदुस्तान पर, कि हिंदुस्तान ने किया पाकिस्तान उसकी प्यास को तृप्त करने के लिए पानी गिरेगा। इसमें कौन-सी | पर, वह कभी निर्णीत नहीं होता। वह कभी निर्णीत नहीं होता, कि कठिनाई है, जिसे पता हो पिछले वर्षों का, वर्षा के होने का! | | चीन हमलावर था कि हम हमलावर थे। चीन के इतिहासविद लेकिन एक नया बच्चा पैदा हुआ है, जिसने अभी पहली वर्षा | लिखते रहेंगे कि हमने हमला किया और हमारे इतिहासज्ञ लिखते 97
SR No.002407
Book TitleGita Darshan Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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