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________________ * वासना, समय और दुख * उसमें कोई घटनाएं नहीं हैं, जिनकी वजह से भरा हुआ मालूम पड़े। | पोप से मिलने गए। तो पोप ने उनसे पूछा, कितनी देर रुकिएगा? यात्रा का दिन, नई-नई घटनाओं का दिन जब गुजरता है, तब | | तो पहले यात्री ने कहा, कोई तीन महीने रुकने का इरादा है, ताकि तो छोटा लगता है; और जब पीछे याद करते हैं, तो लंबा लगता | | सब ठीक से अध्ययन कर सकूँ। पोप ने कहा, थोड़ा-बहुत जरूर है। खाली दिन, गर्मी का दिन, उदास बैठे हैं घर में, कुछ काम-धाम | कर लोगे। दूसरे ने कहा कि मैं तो-थोड़ा डरा वह, क्योंकि वह नहीं, बेकार; काटते वक्त बहुत लंबा लगता। पीछे लौटकर याद | बहुत कम रुकने वाला था-उसने कहा, मैं तो केवल तीन सप्ताह करें, तो लगता है, बहुत छोटा है, क्योंकि उसमें कुछ भरावट नहीं रुकने आया हूं। तो पोप ने कहा, काफी अध्ययन कर लोगे। बड़ी है। चित्त पर निर्भर करता है कि समय लंबा है या छोटा। बेचैनी हुई। तीसरे आदमी ने कहा कि मैं तो केवल तीन दिन ही कृष्ण यहां कह रहे हैं कि अगर तुझे अंदाज हो जाए, जैसा कि रुकने आया हूं। पोप ने कहा, तुम पूरा अध्ययन कर लोगे। ज्ञानियों को पता चल जाता है, ब्रह्मा का दिन...।। क्योंकि समय कम हो, तो आदमी जल्दी करता है, तेजी। समय ब्रह्मा का अर्थ है, इस सृष्टि और प्रलय के बीच जिस शक्ति के ज्यादा हो, धीमे-धीमे करता है। समय बहुत हो, तो जमीन पर हाथ में नियंत्रण है। एक सृष्टि और एक प्रलय के बीच में जो सरकने लगता है। अगर उसको पता चल जाए कि मरना ही नहीं नियंत्रण है जिस शक्ति के हाथ में, जो एक सृष्टि और एक प्रलय | है, तो बिस्तर से निकलना मुश्किल हो जाए! मरना ही नहीं है, तो के बीच में अध्यक्ष है इस अस्तित्व का, उसके लिए एक दिन और | | फिर न भी उठे; फिर ऐसी जल्दी भी क्या है उठने की! वह तो मरना एक रात का ही है मामला यह सिर्फ। उसके लिए ये चौबीस घंटे | | है, इसलिए इतनी दौड़ है। वह मरना है, इसलिए इतनी दौड़ है। हैं। हमारे लिए युग-युग, हजार-हजार युग, अनंत-अनंत जन्म। ___ इसलिए जो सोसाइटी, जो समाज जितना डेथ कांशस हो जाता एक पतिंगा आप देखते हैं, वर्षा में पैदा हो जाता है। सांझ को है, उतनी दौड़ बढ़ जाती है। अगर आज अमेरिका में सर्वाधिक दौड़ पैदा होता है, रात आधी होते-होते मरकर सड़कों पर गिर जाता है। है, तो उसका कारण है कि हाइड्रोजन बम की सर्वाधिक विभीषक उतनी देर में सब कुछ हो गया, जो आप सत्तर साल में करेंगे। | चिंता अमेरिका के युवक को है, और किसी को नहीं है। उसे सबसे आपको पता नहीं होगा। उतनी देर में सब कुछ कर डाला उसने, जो ज्यादा साफ हो गया है, क्योंकि उसके ही मुल्क ने हिरोशिमा और आप सत्तर साल में करेंगे। इसलिए वह कोई गरीब नहीं है; बेचारा नागासाकी पर एटम का पहला प्रयोग किया है। और उस युवक को नहीं है। आप सत्तर साल में करेंगे, वह सात घंटे में कर लेता है। भलीभांति पता हो गया है कि यह जिंदगी अब क्षणभर भी भरोसे एक अर्थ में आपसे ज्यादा कुशल, शक्तिशाली मालूम पड़ता है! | की नहीं है। किसी भी दिन सब समाप्त हो जाएगा! तो फिर दौड़ो, क्योंकि इस बीच वह प्रेम कर लेता है। रोमांस कर लेता है। गनगना और भोग लो. और जी लो. जितनी जल्दी में हो सके। तीन दिन लेता है गीत। कविताएं गा लेता है। विवाह कर लेता है। बच्चे पैदा | | हाथ में हैं; तीन सप्ताह भी नहीं, तीन महीने भी नहीं। कर जाता है। अंडे रख जाता है। बूढ़ा हो जाता है। मर जाता है। इसलिए अमेरिका में जो आज इतने जोर से हिप्पी आंदोलन खड़ा __ अगर उसकी जिंदगी की घटनाएं और आपकी जिंदगी की | हुआ है, उस आंदोलन के पीछे हिरोशिमा और नागासाकी की छाया घटनाएं देखी जाएं, तो सिर्फ फर्क इतना ही लगेगा कि जो काम | है। युवकों को पता है, हम किसी भी दिन झोंक दिए जाएंगे। पता उसने सात घंटे में किए, वे आपने सत्तर साल में किए। यह कोई | भी नहीं चलेगा, नष्ट हो जाएंगे। प्रेम करना हो, तो कर लो अभी। बड़ी गौरव की बात मालूम नहीं पड़ती। सिर्फ इतना ही मालूम पड़ता खाना हो, पीना हो, कर लो अभी। है कि इनइफिशिएंसी आपमें ज्यादा है, कुशलता जरा कम है; समय पश्चिम में जो दौड़ पैदा हुई है, उसका भी कारण सिर्फ एक है ज्यादा ले लेते हैं। कि ईसाइयत ने एक ही जन्म के सिद्धांत को माना। अगर एक ही और भी छोटे कीड़े हैं, जो क्षण में ही पैदा होते हैं, क्षण में ही मर | | जन्म है, तो यह मौत आखिरी मौत है। अगर यह आखिरी मौत है, जाते हैं। मगर सब काम पूरा कर जाते हैं। कोई काम अधूरा नहीं। | तो दौड़ो, और जल्दी करो, सब भोग लो। छोड़ जाते। और कभी-कभी तो ऐसा होता है कि समय कम हो, | अगर पूरब में विज्ञान पैदा नहीं हुआ, और इतनी दौड़ पैदा नहीं तो काम आदमी जल्दी और कुशलता से कर लेता है। हुई, और जीवन शिथिल और शांत और धीमी गति से चला, तो सुना है मैंने कि तीन अमेरिकी यात्री रोम आए थे घूमने, तो वे | | उसका कारण पुनर्जन्म की धारणा है। हमें पता है कि यह मौत कोई
SR No.002407
Book TitleGita Darshan Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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