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* वासना, समय और दुख *
बार करने के बाद भी, नहीं करना चाहता, ऐसा नहीं है। नहीं कर मांगता है, जो वह पीछे अनेक दफे मांग चुका है। पाता, यह दूसरी बात है। करना तो चाहता ही है।
महावीर के पास कोई भी साधक आता, तो वे उससे कहते थे, मुल्ला ने आखिरी-आखिरी उम्र में, सत्तर साल में फिर से शादी | इसके पहले कि मैं तुझे साधना में उतारूं, तेरे पिछले जन्मों की करने का विचार किया। बेटों ने समझाया, बेटों के बेटों ने समझाया | | याददाश्त में उतारना जरूरी है। वह साधक कहता, उससे क्या कि अब ऐसा मत करिए। और बड़ी कठिनाई यह थी कि जिससे | | लेना-देना? महावीर कहते, उसके बिना तू कभी समाधि को नहीं शादी करने का तय किया, वह केवल बीस बरस की लड़की थी। उपलब्ध हो सकेगा। तो सबने कहा, ऐसा मत करिए। पर वासना को रोको अगर, तो तो महावीर उसे पहले उसके पिछले जन्मों की याददाश्त में ले
और क्रुद्ध होकर, और उफान खाकर उबलती है। मुल्ला कहने | | जाते। और याददाश्त करते-करते ही, पिछले जन्मों में लगा, मेरे घर के, इनको मैंने पैदा किया और ये मेरे दुश्मन हो गए! उतरते-उतरते ही वह आदमी ट्रांसफार्म हो जाता, रूपांतरित हो तुमसे में ज्यादा जानता हूं।
जाता। महावीर उससे कहते कि बोल, क्या तूने देखा? तो वह आखिर कोई रास्ता नहीं था। बच्चे ही थे घर में। सभी उससे तो | कहता कि अब कुछ छोड़ने को बचा नहीं, क्योंकि सब मैं अनेक कम उम्र ही थे। उसके किसी मित्र को खोजा, बूढ़े आदमी को | | बार कर चुका हूं और फिर वही मांग कर रहा हूं। और इतनी बार खोजा। वह गांव का धर्मगुरु था। उसे लाए। उस धर्मगुरु ने करके जब नहीं पाया, तो अब भी करके पा नहीं सकंगा। नहीं, मन
ीन से कहा, नसरुद्दीन, थोड़ा तो सोचो। अपना ही सोचो, अब मेरा खाली है। अब मैं ध्यान के लिए तत्पर हैं। दूसरे का मत सोचो। यह सत्तर साल की उम्र में बीस साल की | | तो महावीर ने अनिवार्य कर दिया था हर साधक के लिए, पहले लड़की से शादी करना खतरनाक हो सकता है। मृत्यु भी हो सकती | | जाति-स्मरण-रिमेंबरिंग आफ पास्ट लाइव्स-और फिर ध्यान। है। नसरुद्दीन ने कहा, तो फिर दूसरी कर लेंगे!
। महावीर की जगत को जो सबसे बड़ी देन है, वह जाति-स्मरण -- उसने समझा कि लड़की की मृत्यु! उसने कहा, फिर दूसरी कर है, अहिंसा नहीं। अहिंसा बहुत पुरानी बात है। सदा से लोग कहते लेंगे। इसमें इतनी चिंता की क्या बात है? वह बूढ़ा समझा रहा था रहे हैं। उसमें कुछ महावीर का नया नहीं है। पर महावीर की जो कि तुम मर सकते हो, इस उपद्रव में मत फंसो। नसरुद्दीन बोला, | मौलिक, ओरिजिनल कांट्रिब्यूशन है मनुष्य को, वह है तो दूसरी कर लेंगे। सत्तर साल में भी नहीं जाती वह बात। | जाति-स्मरण की प्रक्रिया, पिछले जन्म की याददाश्त। __ अमेरिका का, कुछ दिनों पहले, एक बहुत बड़ा, सुप्रीम कोर्ट | और एक बार पिछले जन्मों की याददाश्त आ जाए, तो आप खुद का प्रधान न्यायाधीश था, जज लिन्डसे। वह जब नब्बे साल का हो | ही कहेंगे, यह मैं क्या कर रहा हूं? एक जन्म में चार हजार दफे गया, तो निकल रहा था एक रास्ते से अपने मित्र के साथ। वह मित्र संभोग किया; और हजारों जन्म हो चुके, करोड़ों बार संभोग भी कोई अस्सी साल का था। एक सुंदर कुमारी रास्ते से निकली, | किया; और अब तक कुछ पाया नहीं। अब फिर आज संभोग करना लिन्डसे खड़ा हो गया। नब्बे साल का बूढ़ा आदमी। उसने लड़की | | है? फिर आज संभोग में उतरना है? क्या फिर भी उतर पाएंगे? को गौर से देखा और अपने साथी से कहा, मन होता है, काश मैं | __ कुछ कहा नहीं जा सकता। कुछ कहा नहीं जा सकता। शायद फिर से सत्तर साल का हो सकता! कहा, काश मैं फिर से सत्तर मन कहे कि पता नहीं, अब तक न हुआ हो अनुभव आनंद का, साल का हो सकता।
एकाध बार और। कह सकता है मन कि क्या पता, अब तक न हुआ उसका मित्र थोड़ा हैरान हुआ। उसने कहा कि सत्तर साल के ? | | हो, एकाध बार और। लेकिन मुश्किल हो जाएगा कहना। अगर तो लिन्डसे ने कहा, सत्तर साल का जब तक मैं था. तब तक मेरे | इतना याद आ जाए, तो मुश्किल हो जाएगा। शरीर में वासना भलीभांति दौड़ रही थी। अब सब राख रह गई है। __जीवन पुनरुक्ति है। इसलिए पूरब ने जीवन को एक वर्तुल, चक्र
नब्बे साल का आदमी भी सत्तर साल का होना चाहता है! नब्बे | | की तरह पाया है। वह जो भारत के ध्वज पर अशोक चक्र है, वह साल के आदमी के लिए सत्तर साल भी जवानी ही मालूम पड़ेगी। | पता नहीं नेहरूजी ने चुन तो लिया, उन्हें पता भी था कि नहीं कि
यह जो हमारा चित्त है पुनरुक्ति की मांग करने वाला, यही चित्त | | वह संसार का चित्र है। संसार को हमने एक व्हील, एक गाड़ी के पुनर्जन्म को मांगता। और यही चित्त फिर पुनर्जन्म में फिर वही चक्के की तरह समझा है। और इसलिए समझा है कि गाड़ी के
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