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* वासना, समय और दुख.
सिनेमागृह में बैठता है, चायघर में बैठता है, काफी हाउस में बैठता करूंगा, तो आपको पुनर्जन्म लेना ही पड़ेगा। और अगर एक जन्म है, ताश खेलता है-हजार उपाय करता है। समय को हम इस | | में नहीं कर पाए, तो आने वाले जन्म में भी क्या करिएगा? उसी को भांति नष्ट करते हैं, और मरते वक्त फिर वही मांग कि हमें फिर | | फिर पुनरुक्त करिएगा-वही बचपन, वही जवानी, वही बुढ़ापा, समय चाहिए।
वे ही बीमारियां, वे ही रोग-वही सब होगा। और अनंत है परमात्मा का विस्तार। हम जितना मांगते हैं, हमें ___ मुल्ला नसरुद्दीन बूढ़ा हो गया है। कोई मित्र उसके घर ठहरा है मिलता चला जाता है। और हर जीवन में हम वही पुनरुक्त करते और पूछता है नसरुद्दीन से कि नसरुद्दीन, अगर तुम्हें फिर से जन्म हैं, जो हमने पीछे किया था।
मिले, या ऐसा समझो कि तुम्हारी उम्र कोई जादूगर फिर से कम कर कृष्ण इसे दुख क्यों कहते हैं? दुख यही है कि जो हम पाना | | दे और तुम्हें बच्चा बना दे, तो क्या तुम वे ही भूलें फिर से करोगे चाहते हैं, वह मिलता नहीं और मेहनत बहुत होती है। दुख नहीं जो तुमने इस जन्म में की, इस जीवन में की? होगा, तो क्या होगा! दुख का एक ही अर्थ है, जो मैं पाना चाहता | नसरुद्दीन ने कहा, वही करूंगा। लेकिन थोड़ा जल्दी शुरू था, वह नहीं मिला; और जो मैं नहीं पाना चाहता था, वह मिल | करूंगा; अनुभव के कारण। वे ही भूलें करूंगा, लेकिन थोड़े जल्दी गया है। दुख का और कोई अर्थ नहीं है।
शरू करूंगा। क्योंकि इस बार बडी देर हो गई। कछ भी परा नहीं बुद्ध कहते थे, दुख का अर्थ है, जिसे हम खोजते थे, उसे खोज | हो पाया। जरा जल्दी शुरू करूंगा, तो शायद पूरा हो जाए। न पाए; और जिसे बचाना चाहते थे, वह खो गया। जिसके लिए । आपको हंसी आ सकती है नसरुद्दीन पर, लेकिन वही आदमी हम चले थे, वह मिला नहीं; और जो साथ लेकर हाथ में चले थे, आपके भीतर बैठा हुआ है। अगर आपको भी अभी कोई कहे कि वह भी उलटा खो गया! वासनाएं कोई पूरी नहीं होती हैं और जीवन | | लौटा देते हैं वापस, तो आप समझते हैं, आप क्या करेंगे? आप पूरा चुक जाता है। हाथ में जो अवसर लेकर चले थे समय का, वह | | फिर यही करेंगे। फिर-फिर यही हम करते ही रहे हैं। शायद अनुभव रिक्त हो जाता है; और जिसे पाने चले थे, उसकी कोई गंध भी नहीं। के कारण थोड़ा जल्दी शुरू करें, ताकि अंत में पूरा हो जाए, समय मिलती कि वह कहां है। मृत्यु में यही दुख गहन हो जाता है। काफी मिल जाए। और कोई ज्यादा अंतर नहीं पड़ेगा। दुख बहुत आयामी है।
नसरुद्दीन मर रहा है। फांसी पर लटकाने के पहले ही पुरोहित एक आयाम तो यह है, जो मैंने कहा। दूसरा आयाम यह है, सब उससे कहता है, माफी मांग ले परमात्मा से, पश्चात्ताप कर ले। करते, सब पाते, चलते-दौड़ते वासनाओं के पीछे, हारते-जीतते, | | रिपेंट! नसरुद्दीन कहता है, पश्चात्ताप जरूर मेरे मन में बहुत है, भीतर कहीं भी ऐसा नहीं लगता, कहीं भी ऐसा नहीं लगता कि शांति | लेकिन मेरे और आपके विचार में जरा-सा भेद है। शायद आप का एक क्षण, विश्राम का एक पल, आनंद की एक छोटी-सी | सोच रहे हैं, मैं उन पापों के लिए पश्चात्ताप करूं, जो मैंने किए। किरण भी कहीं अंकुरित होती हो भीतर। कहीं ऐसा नहीं लगता। | | और मैं उन पापों का पश्चात्ताप कर रहा हूं, जो मैं नहीं कर पाया।
सदा ऐसा लगता है कि कल मिलेगा आनंद। आज तो दुख है, | | पश्चात्ताप मेरे मन में भी है। लेकिन बड़ा दुख हो रहा है कि जब कल मिलेगा आनंद। यह कल बहुत खतरनाक है, यह सिर्फ आज | | फांसी ही लगनी थी, तो वे पाप भी और कर लेता, जो छोड़े। और को भुलाने का उपाय है। आज इतना दुख से भरा है कि कल की | | जब इतने पापों के लिए जो कुछ होगा, थोड़ा और दंड मिलता, और आशा में ही हम उसे भुला सकते हैं। और मजा यह है कि कल, | क्या होने वाला था! फांसी से ज्यादा और क्या हो सकता है? बीते कल मैं भी हमने ऐसा ही किया था। और जिसे हम आज कह | ऐसा ही है मन। मरते क्षण में भी आप उन पापों के लिए पछताते रहे हैं, वह बीते कल में कल था। और कल भी हमने यही कहा था | रहेंगे, जो आप नहीं कर पाए। फिर पुनर्जन्म की यात्रा शुरू होगी। कि आने वाले कल में आनंद मिलेगा, और आज भी वही कह रहे | | क्योंकि आप ही मांग रहे हैं। और ध्यान रहे, परमात्मा वही दे देता हैं, और आने वाले कल में भी हम वही कहेंगे। और हर जन्म में | है, जो आप मांगते हैं। हमने यही कहा, अगले जन्म में, अगले जन्म में, आगे। ___ सदा ही हम वही नहीं मांगते, जो हमारे हित में है। अक्सर तो
जो भी व्यक्ति आज को पोस्टपोन कर रहा है कल के लिए, वह हम वही मांगते हैं, जो हमारे हित में नहीं है। क्योंकि हम जो भी अगले जन्म की तैयारी कर रहा है। अगर आप कहते हैं, कल सोचते-विचारते हैं, वह आत्मघाती है, सुसाइडल है।