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* वासना, समय और दुख *
अगर वासना पूरी करनी है, तो समय के बिना पूरी नहीं हो समय की जरूरत इसलिए है कि वासना की दौड़ के लिए स्थान सकती। समय चाहिए। और अगर हर वासना दस वासनाओं को चाहिए। वासना दौड़ती है समय में। वासना स्थान में नहीं दौड़ती, जन्म दे जाती हो, तो हर वासना के बाद दस गुना समय चाहिए। स्पेस में नहीं दौड़ती, टाइम में दौड़ती है। अगर आपके शरीर को हर जीवन के बाद हमें दस और जीवन चाहिए, इतनी वासनाएं हम दौड़ाना है, तो स्थान की जरूरत पड़ेगी, स्पेस की। लेकिन अगर पैदा कर लेते हैं।
आपके मन को दौड़ाना है, तो स्थान की कोई भी जरूरत नहीं; और मजा यह है कि पूरे जीवन हम वासनाओं को पूरा करने की समय काफी है। इसलिए आप सपने में भी दौड़ सकते हैं। सपने में कोशिश करते हैं और आखिर में पाते हैं, कोई वासना पूरी नहीं हुई, | कोई स्पेस नहीं होती, लेकिन टाइम होता है, समय होता है। सपने मरते क्षण हम और भी वासनाओं को जिंदा कर लिए हैं। जन्म के | में भी दौड़ सकते हैं। आरामकुर्सी पर लेटकर आंख बंद करके भी समय जितनी वासनाएं हमारे पास होती हैं, मृत्यु के समय तक उनमें अनंत-अनंत यात्राएं कर सकते हैं। वे यात्राएं वासना की यात्राएं हैं से एक भी कम नहीं होती, यद्यपि बहुत बढ़ जाती हैं। तब मरते क्षण और समय में घटित होती हैं।
और जन्म की आकांक्षा पैदा होती है। क्योंकि वासना है, तो और महावीर से कोई पूछता है कि जब समाधि उपलब्ध हो जाती है, जीवन चाहिए। और जीवन पुनर्जन्म बन जाता है; और जीवन को | तो हमारे भीतर से कौन-सी चीज गिर जाती है? तो महावीर कहते पाने की इच्छा पुनर्जन्म बन जाती है।
हैं, समय, टाइम। समय गिर जाता है। क्योंकि जिस व्यक्ति के - और कृष्ण कहते हैं, पुनर्जन्म ही दुख का घर है।
भीतर समाधि फलित होती है, उस व्यक्ति के भीतर वासना की दौड़ पुनर्जन्म होता है जीवन की आकांक्षा से; जीवन की आकांक्षा होती नहीं रह जाती। और उस दौड़ का जो मार्ग है, वह गैर-अनिवार्य हो है, वासना को तृप्त करने के लिए समय की मांग से। तो अगर ठीक जाता है, वह गिर जाता है। से समझें, तो पुनर्जन्म का सूत्र या दुख का सूत्र, वासना है, तृष्णा है, । इसलिए समाधि की परिभाषा जगत में कहीं भी की गई हो, तो डिजायर है। अगर कोई भी वासना नहीं है, तो आप कहेंगे कि कल | एक बात उस परिभाषा में अनिवार्य रूप से है। किसी देश में, किसी की अब मुझे कोई जरूरत न रही, देन टाइम इज़ नाट नीडेड। काल में, किसी महाजन ने परिभाषा की हो, परिभाषा में और बातें
जीसस से कोई पूछता है कि तुम्हारे मोक्ष में सबसे खास बात अलग हों, लेकिन एक बात हमेशा अनिवार्यरूप से समान है और क्या होगी? शायद पूछने वाले ने सोचा होगा कि जीसस कहेंगे, | वह यह है कि समाधि समयातीत है, कालातीत है, बियांड टाइम है। प्रभु का दर्शनं होगा, परम आनंद होगा, मुक्ति होगी, शांति होगी। पुनर्जन्म हमारी मांग है। हम कहते हैं, और जीवन चाहिए; ऐसा कछ कहेंगे। लेकिन जीसस ने जो जवाब दिया है. वह बहत क्योंकि बहुत कुछ अधूरा रह गया है, अनफुलफिल्ड, उसे पूरा हैरानी का है। जीसस ने कहा, देयर शैल बी टाइम नो लांगर-वहां करना है। जो मकान बनाना चाहा था, उसकी मंजिलें पूरी नहीं हो समय नहीं होगा।
पाईं। और जो नाव चलाई थी किसी गंतव्य के लिए, उसने अभी शायद ही सुनने वाले की समझ में आया हो! आपने भी अगर | किनारा ही छोड़ा है, दूसरा किनारा नहीं मिला। जो-जो सोचा था, पूछा हो कि मोक्ष में क्या होगा, और अगर जीसस या कृष्ण जैसा कर लेंगे, वह सब अधूरा है, इनकंप्लीट है। व्यक्ति कहे, वहां समय नहीं होगा, तो आपकी भी समझ में नहीं इस संबंध में एक बात आपको खयाल दिलाऊं, तो आसानी पड़ेगा।
| होगी समझ लेना कि यह वासना समय की मांग कैसे बनती है, और समय नहीं होगा, इसका अर्थ यही है कि वहां कोई वासना नहीं | समय की मांग पुनर्जन्म कैसे बन जाता है, और पुनर्जन्म दुख का है, जिसके लिए समय की जरूरत पड़े। वासना नहीं होगी, समय घर क्यों है! नहीं होगा. तो वहां पनर्जन्म नहीं होगा। वहां कल होगा ही नहीं। वहां । दिनभर आप बहुत कुछ करते हैं; सांझ होते-होते सब कुछ सिर्फ आज ही होगा। शायद आज कहना भी ठीक नहीं है; अभी ही | | अधूरा ही होता है; कभी पूरा नहीं होता। अगर कोई आपसे इसी होगा; जस्ट दिस मोमेंट, बस यही क्षण होगा। और यह क्षण अनंत | समय पूछे कि मरने को तैयार हो? कोई काम करने की जरूरत तो होगा। इस क्षण का कोई ओर-छोर नहीं होगा। यह क्षण कहीं समाप्त | नहीं है? तो आप कहेंगे, थोड़ा रुको। बहुत से काम अधूरे हैं, जरा नहीं होगा, और कहीं प्रारंभ नहीं होगा। समय वहां नहीं होगा। | पूरे कर लूं। शायद ही वह आदमी मिले, जो कहे कि सब पूरा है,