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ज्ञान विजय है
आएगा। उस बच्चे में समूहगत मन पैदा हो रहा है, और हम | | ही नहीं चलता, कब हम डोलने लगे। जब कोई आपकी प्रशंसा के सहयोग दे रहे हैं। हम भी घर में बैंड-बाजा बजाकर, फूल-मिठाई दो शब्द कहता है, तब आपको पता ही नहीं चलता कि मन सुनने बांट देंगे। हमने उसके सुख के साथ तादात्म्य होने की, जोड़ बांधने | | के साथ ही, बल्कि शायद सुनने के थोड़ी देर पहले ही डोल गया। की चेष्टा शुरू कर दी। हमने उसके मन को एक दिशा दे दी, जो | | उस आदमी का चेहरा देखा। लगा कि कुछ प्रशंसा में कहेगा, और उसे दुख में ले जाएगी।
भीतर कुछ डोल गया। यह भी जानकर डोल जाएगा कि प्रशंसा __हम सब बच्चों को अपनी शक्ल में ढाल देते हैं। हमारे मां-बाप | झूठी है, तो भी डोल जाएगा। क्योंकि आप भी जानते हैं कि आप हमें ढाल गए थे, उनके मां-बाप उन्हें ढाल गए थे! बीमारियां | भी दूसरों की झूठी प्रशंसाएं कर रहे हैं और उनको डुला रहे हैं! और बीमारियों को ढालती चली जाती हैं। रोग रोग को जन्म देते चले कोई आपकी भी प्रशंसा कर रहा है और आपको डोला रहा है! जाते हैं।
बिना आपको कंपित किए, आपका उपयोग नहीं किया जा उस बच्चे के भी अतीत के अनुभव हैं, उस बच्चे के भी पिछले सकता। आपको कंपाकर ही उपयोग किया जा सकता है। इसलिए जन्मों के अनुभव हैं। उनमें भी उसने इसी भूल को दोहराया था। | इतनी खुशामद दुनिया में चलती है। इतनी खुशामद चलती है, इस जन्म में फिर हम बचपन से उसके दिमाग को, उसके मस्तिष्क क्योंकि पहले आपको थोडा डांवाडोल किया जाए. तभी आपका को फिर कंडीशन करते हैं, फिर संस्कारित करते हैं। सुख में सुखी | | उपयोग किया जा सकता है। डांवाडोल होते ही आप कमजोर हो होने की तैयारी दिखलाते हैं। फिर दुख में वह दुखी होता है। | जाते हैं।
जन्म होता है, तो बैंड-बाजा बजाकर हम बड़ी खुशी मनाते हैं। । ध्यान रखें, जैसे ही आपकी चेतना कंपी कि आप कमजोर हो हमने कंडीशनिंग शुरू कर दी। आप कहेंगे, छोटे बच्चे को तो पता जाते हैं। फिर आपका कुछ भी उपयोग किया जा सकता है। जो भी नहीं चलेगा, पहले दिन के बच्चे को कि बैंड-बाजा खुशी में | | आपकी खुशामद कर रहा है, वह आपको कमजोर कर रहा है, वह बज रहा है।
आपको भीतर से तोड़ रहा है। लेकिन अभी जो लोग, जो वैज्ञानिक मनुष्य के शरीर की स्मृति |
।। इसलिए कृष्ण ने इसमें एक शब्द उपयोग किया है कि जो पर काम करते हैं, बाडी मेमोरी पर, उनका कहना है कि वे | सुख-दुख में अनडोल रह जाए, वही स्वाधीन है। इसमें एक शब्द बैंड-बाजे भी बच्चे के अचेतन मन में प्रवेश करते हैं। वे बैंड-बाजे | | उपयोग किया है कि वही स्वाधीन है, जो सुख और दुख में सम रह ही नहीं, मां के पेट में जब बच्चा होता है, तब भी जो घटनाएं घटती | जाए। उसे दुनिया में कोई पराधीन नहीं बना सकता। हैं, वे भी बच्चे की अचेतन स्मृति का हिस्सा हो जाती हैं; वे भी | - हमें तो कोई भी पराधीन बना सकता है, क्योंकि हमें कोई भी बच्चे को निर्मित करती हैं।
कंपा सकता है। और जैसे ही हम कंपे कि जमीन हमारे पैर के नीचे ये बैंड-बाजे, यह खुशी की लहर, यह चारों तरफ जो सुख के | की गई। कोई भी कंपा सकता है। कोई भी आपसे कह सकता है साथ एक होने की भावना प्रकट की जा रही है, इसकी तरंगें भी बच्चे | कि ऐसी सुंदर शक्ल कभी देखी नहीं, बहुत सुंदर चेहरा है आपका! में प्रवेश कर जाती हैं। फिर यही तरंगें मृत्यु के वक्त दुख लाएंगी। | कंप गए आप। अब आपका उपयोग किया जा सकता है। अब
अगर मृत्यु के वक्त दुख न लाना हो, तो जन्म के वक्त सुख के | आपसे गुलामी करवाई जा सकती है। साथ तादात्म्य पैदा करने की व्यवस्था को हटाएं। सुख जहां से शुरू ___ कोई भी आपसे कह देता है कि आपकी बुद्धिमत्ता का कोई होता है, वहां से तोड़ना शुरू करें।
मुकाबला नहीं; बेजोड़ हैं आप! कंप गए आप। और उस आदमी योग सख में जागने का नाम है। जागकर देखें कि मैं अलग हं। | ने आपको बुद्धिमान कहकर बुद्ध बना दिया! अब आपसे कम और फिर आप अपने दुख में भी जागकर देख सकेंगे कि अलग हैं; | बुद्धि का आदमी भी आपसे गुलामी करवा सकता है। कंप गए कोई अड़चन न आएगी, कोई कठिनाई न पड़ेगी। तटस्थ होते रहें। आप। कंपे कि कमजोर हो गए। कंपे कि पराधीन हुए।
समय लगेगा। समय लगने का आंतरिक कारण नहीं है; समय | | जो आदमी भीतर कंपित होता है सुख-दुख में, वह कभी भी लगने का कुल कारण इतना है कि हमारी आदतें मजबूत हैं और गुलाम हो जाएगा। उसकी पराधीनता सुनिश्चित है। वह पराधीन है पुरानी हैं। डोलने की आदत मजबूत है, बहुत पुरानी है। हमें पता ही। एक छोटा-सा शब्द, और उसको गुलाम बनाया जा सकता है।
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