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समालकियत की घोषणा →
क्योंकि दूसरे की सोचने में धोखा हो जाता है। आदमी सोचता है, अगर एक मित्र को संन्यास लेना है, तो वह पूछता है कि एक दूसरे को दुख मिलेगा या सुख! यह मत सोचना। पहले तो अपना साल और रुक जाऊं! उसको जुआ खेलना है, तो वह नहीं पूछता। ही सोच लेना कि इससे मुझे दुख मिलेगा या सुख! और अगर अगर उसे संन्यास लेना है, तो वह पूछता है कि एक साल रुक आपको पता चले कि दुख मिलेगा, और फिर भी आप गाली दो, जाएं, तो कोई हर्ज है? लेकिन उसे क्रोध करना होता है, तब वह तो फिर क्या कहा जाए, आप अपने को प्रेम करते हैं!
एक सेकेंड नहीं रुकता। बहत आश्चर्यजनक है। अच्छा काम करना नहीं, हम सोचने का मौका भी नहीं देते। नहीं तो डर यह है कि हो, तो आप पूछते हैं, थोड़ा स्थगित कर दें तो कोई हर्ज है? और कहीं ऐसा न हो कि गाली न दे पाएं।
बुरा काम करना हो तो! तो तत्काल कर लेते हैं। तत्काल। एक गुरजिएफ एक बहुत अदभुत फकीर हुआ। उसने अपने सेकेंड नहीं चूकते! क्यों? संस्मरणों में लिखा है कि मेरा बाप मरा, तो उसके पास मुझे देने को वह बुरा काम अगर एक सेकेंड चूके, किया नहीं जा सकेगा। कुछ भी न था। लेकिन वह मुझे इतनी बड़ी संपदा दे गया है जिसका | और उसे करना है, इसलिए एक सेकेंड स्थगित करना ठीक नहीं कोई हिसाब नहीं है। जब भी वह किसी से यह कहता, तो वह | है। और अच्छे काम को करना नहीं है, इसलिए जितना स्थगित कर चौंकता। क्योंकि वह पूछता कि तुम कहते हो, तुम्हारे बाप के पास | सकें, उतना अच्छा है। जितना टाल सकें, उतना अच्छा है। कछ भी न था. फिर वह क्या संपदा दे गया?
___ हम अच्छे कामों को टालते चले जाते हैं कल पर और बुरे काम तो गुरजिएफ कहता कि मैं ज्यादा से ज्यादा नौ-दस साल का था, करते चले जाते हैं आज। और एक दिन आता है कि मौत कल को जब मेरे बाप की मृत्यु हुई। मैं सबसे छोटा बेटा था। सभी को | छीन लेती है। बुरे कामों का ढेर लग जाता है; अच्छे काम का कोई बुलाकर मेरे बाप ने कान में कुछ कहा। मुझे भी बुलाया और मेरे | हाथ में हिसाब ही नहीं होता। कान में कहा कि तू अभी ज्यादा नहीं समझ सकता, लेकिन तू जो मैंने सुना है, एक आदमी मरा, एक बहुत करोड़पति। जैसी समझ सकता है, उतनी बात मैं तुझसे कह देता हूं। और ध्यान रख, | उसकी आदत थी, गवर्नर के घर में भी जाता था, तो संतरी उसको अगर इतनी बात तूने समझ ली, तो जिंदगी में और कुछ समझने की | रोक नहीं सकता था। प्रधानमंत्री के घर में जाता था, तो संतरी जरूरत न पड़ेगी। छोटी-सी बात, जो तेरी समझ में आ जाए, वह मैं हटकर खड़ा हो जाता था। उसने तो सोचा ही नहीं कि नर्क की तरफ तुझसे यह कहे जाता हूं। मरते हुए बाप का खयाल रखना, इतनी-सी जाने का कोई सवाल है। सीधा स्वर्ग के दरवाजे पर पहुंच गया। बात को मान लेना। मेरे पास देने को और कुछ भी नहीं है। जोर से जाकर दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खुला न देखकर
तो गुरजिएफ, उस छोटे-से बच्चे ने कहा कि आप कहें, भरसक नाराज हो गया। मैं चेष्टा करूंगा। उसके बाप ने कहा, बहुत कठिन काम तुझे नहीं द्वारपाल ने झांककर देखा और कहा कि महाशय, इतने जोर से दूंगा, क्योंकि तेरी उम्र ही कितनी है! इतना ही कहता हूं तुझसे कि दरवाजा मत खटखटाइए। पर उस आदमी ने कहा कि मुझे भीतर जब भी कोई ऐसा काम करने का खयाल आए, जिससे तुझे या आने दो। द्वारपाल उसे भीतर ले गया। पूछा द्वारपाल ने कि ऐसा कौन दूसरे को दुख होगा, तो चौबीस घंटे रुक जाना, फिर तू करना। उस सा काम किया है, जिसकी वजह से स्वर्ग में इतनी तेजी से आ रहे लड़के ने पूछा, फिर मैं कर सकता हूं? उसके बाप ने कहा कि तू | हैं! द्वारपाल ने जाकर दफ्तर में कहा कि जरा इन महाशय के नाम का पूरी ताकत से करना। और बाप हंसा और मर गया।
पता लगाएं, क्योंकि अभी तो हमें कोई खबर भी नहीं है कि इस तरह गुरजिएफ अपने संस्मरणों में लिखता है, मैं जिंदगी में कोई बुरा का आदमी स्वर्ग में आने को है! इनके हिसाब में कुछ है? काम नहीं कर पाया। मेरे बाप ने मुझे धोखा दे दिया। उसने कहा, बड़ा लंबा हिसाब था। पोथे के पोथे थे। दफ्तर का क्लर्क थक चौबीस घंटे बाद कर लेना। लेकिन चौबीस घंटा तो बहुत वक्त है, | गया उलट-उलटकर। पर उसने कहा कि कहीं कोई ऐसी चीज चौबीस सेकेंड भी कोई बुरा काम करते वक्त रुक जाए, तो नहीं कर | दिखाई नहीं पड़ती। हां, कई जगह इस आदमी ने अच्छे संकल्प सकता। चौबीस सेकेंड भी! क्योंकि उतने में ही होश आ जाएगा करने की योजना बनाई; लेकिन पीछे लिखा है, स्थगित, पोस्टपोंड! कि मैं अपनी दुश्मनी कर रहा हूं। इसलिए बुरा काम हम बहुत | यह कई दफे स्वर्ग मिलते-मिलते चूक गया। कई दफे इसने योजना शीघ्रता से करते हैं; देर नहीं लगाते।
| बनाई कि ऐसा कर दूं, फिर इसने स्थगित कर दिया।