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________________ गीता दर्शन भाग-3 लेकिन कितना अभागा है हमारा मन ! कि कृष्ण जब शब्द का उपयोग करते हैं, तब अर्जुन समझ नहीं पाता। और जब स्थिति का उपयोग करते हैं, सिचुएशन का, प्रकट कर देते हैं पूरा का पूरा, तब वह कहता है, बंद करो! बंद करो! रोको यह रूप । मन बहुत घबड़ाता है। मेरे प्राण बहुत कंपते हैं। इस विराट को वापस ले लो। यह अपनी आंख वापस लो ! न सुनकर हम समझ पाते हैं, न देखकर हम समझ पाते हैं। इसलिए कृष्ण जैसे व्यक्ति की करुणा अपरिसीम है। यह जानते हुए कि हम सुनकर भी नहीं समझ पाएंगे, हम देखकर भी नहीं समझ पाएंगे, फिर भी एक असंभव प्रयास कृष्ण जैसे लोग करते हैं। उनकी वजह से जिंदगी में थोड़ा नमक है, उनकी वजह से जिंदगी में थोड़ी रौनक है, जिन्होंने असंभव प्रयास किया। कहते हैं, सब कह दूंगा अर्जुन तुझे, सब ! पूरा का पूरा कह दूंगा। बस, तू सुनने को राजी हो । और वह बात बताना चाहता हूं, जिसे जान लेने से सब जान लिया जाता है। इसको भी थोड़ा-सा खयाल में ले लें। क्योंकि इस भारत में हमने सर्वाधिक जिसकी खोज की है, वह इसी एक छोटी-सी बात की, जिसको जान लेने से सब जान लिया जाता है— मास्टर - की। एक तो ऐसी कुंजी होती है कि एक ताले में लगती है। दूसरे ताले के लिए दूसरी कुंजी की जरूरत होती है। तीसरे ताले के लिए तीसरी कुंजी की जरूरत होती है। लेकिन एक मास्टर- जो सब तालों लगती है। एक कुंजी मिल गई, तो फिर किसी कुंजी की कोई जरूरत नहीं रहती। सब ताले खुल जाते हैं। इस मुल्क ने मास्टर की खोजने की कोशिश की है। पश्चिम भी कुंजियां खोजता है, लेकिन कुंजियां । हमने कुंजी खोजने की कोशिश की है। पश्चिम भी खोजता है । वह कहता है, यह ताला कैसे खुलेगा ! तो फिजिक्स का ताला किसी और कुंजी से खुलता केमिस्ट्री का किसी और कुंजी से खुलता है। साइकोलाजी का किसी और कुंजी से खुलता है। गणित का किसी और से । हजार कुंजियां खोज लीं उन्होंने। अब तो हालत यह हो गई है कि कौन-सी कुंजी कौन-सी है, इसका हिसाब रखना मुश्किल हुआ जा रहा है। फिर एक-एक कुंजी को खोजने के बाद और हजार ताले मिल जाते हैं, तो फिर उसमें और सब-ब्रांचेज कुंजी की खोजनी पड़ती हैं। तो केमिस्ट्री कभी केमिस्ट्री थी, अब केमिस्ट्री में बायो-केमिस्ट्री भी है, आर्गेनिक केमिस्ट्री भी है। अब अलग कुंजियां हैं। और कितनी देर तक आर्गेनिक केमिस्ट्री आर्गेनिक रहेगी; उसमें और कुंजियां निकली आती हैं! अभी पश्चिम में एक बहुत होशियार बुद्धिमान आदमी ने स्नो एक किताब लिखी, जिसमें उसने घोषणा की कि पश्चिम अपने ज्ञान के दबाव में मर सकता है। क्योंकि ज्ञान इतना हो गया, और | उसके बीच कोई तालमेल नहीं है। सब के पास कुंजियां हैं, सब के पासताले हैं। यह पता ही नहीं चलता कि कौन-सा ताला खोलें, कौन-सा न खोलें ! कौन-सा क्यों खोलें ! और सब तरफ से ताले खुल रहे हैं, और आदमी है कि बिलकुल बंद है, और उसका कुछ खुलता हुआ मालूम नहीं पड़ता । ज्ञान बहुत; अज्ञान अपनी जगह कायम | ज्ञान का भार भारी । आज जमीन पर जितना ज्ञान है, पृथ्वी पर कभी नहीं था । और अगर इसी मात्रा में ज्ञान बढ़ता है, तो जो लोग हिसाब-किताब लगाते हैं, वे कहते हैं, कुछ ही दिन में पृथ्वी के वजन से ज्यादा पुस्तकें हमारे पास हो जाएंगी। पृथ्वी क्या करेगी उस वक्त, यह अपने को अभी पता नहीं है। ऐसा होने देगी, यह भी पक्का पता नहीं है। लेकिन इसी रफ्तार से बढ़ता है। क्योंकि प्रति सप्ताह दस हजार नए ग्रंथ प्रकाशित हो जाते हैं। यह बोझ बढ़ता चला जाता है। इसलिए अब सारी दुनिया में जहां बड़ी लाइब्रेरीज हैं, वे लोग चिंतित हैं कि इतनी बड़ी लाइब्रेरीज को अब बेचाया नहीं जा | सकता। इनको कैसे बचाएंगे? लोगों के लिए रहने की जगह नहीं है; किताबों के लिए कैसे जगह होगी? तो किताबों को माइक्रो बुक्स, . छोटी किताबें करो। तो जितनी एक किताब की जगह में कम से कम एक लाख किताबें बन सकें, इतनी छोटी करो। फिर पर्दे पर उसको बड़ा करके पढ़ लो। छोटी-छोटी करो। क्योंकि इतनी किताबें अब नहीं रखी जा सकतीं। इतना ज्ञान, और आदमी के अज्ञान का कोई हिसाब नहीं है ! आदमी निपट अज्ञानी है। मास्टर की की तलाश नहीं हुई है। कृष्ण कहते हैं, मैं तुझे मास्टर - की दूंगा। मैं तुझे वह कुंजी दूंगा, जिसे पा लेने के बाद किसी कुंजी की कोई जरूरत नहीं। मैं तुझे वह | कुंजी दूंगा कि ताले खोलने नहीं पड़ते, कुंजी को देखते हैं कि खुल जाते हैं। मैं तुझे वह बता दूंगा, जिसे जान लेने से सब जान लिया | जाता है। वह एक तत्व मैं तुझे कह दूंगा। वह अनिर्वचनीय, वह एक परम, अल्टिमेट, वह आखिरी सत्य, वह बुनियाद का सत्य, वह अनादि, अनंत मैं तुझे कह दूंगा । उसे जान लेने पर फिर कुछ और जानने को शेष नहीं रह जाता। 330
SR No.002406
Book TitleGita Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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