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________________ अनन्य निष्ठा शेष हम कल बात करेंगे। लेकिन अभी उठेंगे नहीं। उस मास्टर-की का थोड़ा यहां प्रयोग करना है, इसलिए थोड़ा बैठेंगे। पांच मिनट कोई भी नहीं जाएगा। इतनी देर आप अपने मन से बैठे थे, पांच मिनट मेरे मन से। कोई उठेगा नहीं। पांच मिनट हमारे संन्यासी कीर्तन करेंगे। वह भी एक मास्टर-की है। और कोई अगर उसमें भीतर पूरा प्रवेश कर जाए, तो ताले बिना चाबी लगाए खुलते हैं। आप भी बैठे-बैठे थोड़ा खोलने की कोशिश करें। ताली भी बजाएं। गाएं भी। मस्त भी हों। आनंदित भी हों। पडोसी की फिक्र छोड दें। जिसको पडोसी की फिक्र है. उसको परमात्मा की फिक्र कभी नहीं होती। पड़ोसी की फिक्र छोड़ दें। परमात्मा की थोड़ी फिक्र करें। संन्यासी आनंदमग्न होंगे। आप भी पांच मिनट उनका प्रसाद लें। और फिर हम विदा होंगे। 331
SR No.002406
Book TitleGita Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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