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________________ < श्रद्धावान योगी श्रेष्ठ है - लेंगे, सत्य उसमें मिल जाएगा। सरल, शार्टकट; कोई चेष्टा नहीं, की महत्ता थी। कोई मेहनत नहीं। एक किताब खरीद लाते हैं। किताब को पढ़ लेते | लेकिन तपस्वियों ने योगियों की महत्ता को बुरी तरह नीचे हैं। भाषा ही जाननी काफी है। सत्य मिल जाएगा। तेरा मन तुझे | | गिराया, क्योंकि योग तो दिखाई नहीं पड़ता था। तपस्वियों ने कहना कहेगा, शास्त्र पढ़ लो, सत्य मिल जाएगा। कहां जाते हो योग की शुरू किया कि ये ब्राह्मण? ये कहते तो हैं कि हम गुरुकुल में रहते साधना को? पर तू सावधान रहना। शास्त्र से शब्द के अलावा कुछ | हैं, लेकिन इनके पास हजार-हजार गाएं हैं, दस-दस हजार गाएं भी न मिलेगा। असली शास्त्र तो तभी मिलेगा, जब सत्य तुझे मिल हैं। इनके पास दूध-घी की नदियां बहती हैं। इनके पास सम्राट चुका है। उसके पूर्व नहीं, उससे अन्यथा नहीं। और तेरा मन शायद चरणों में सिर रखते हैं, हीरे-जवाहरात भेंट करते हैं। यह कैसा करने लगे...। योग? यह तो भोग चल रहा है! जानकर अर्जुन से ऐसा कहा है। क्योंकि अर्जुन कह रहा है कि और बड़े आश्चर्य की बात है कि जिन गुरुकुलों में, जिन दूसरों को मैं क्यों मारूं? दूसरे मर जाएंगे, तो बहुत दुख होगा जगत | वानप्रस्थ आश्रमों में ब्राह्मणों के पास आती थी संपत्ति, निश्चित ही में। इससे बेहतर है, मैं अपने को ही क्यों न सता लूँ! छोड़ दूं राज्य, | आती थी, लेकिन उस संपत्ति के कारण उनका योग नहीं चल रहा भाग जाऊं जंगल, बैठ जाऊं झाड़ के नीचे। था, ऐसी कोई बात न थी। बल्कि सच तो यह है कि वह संपत्ति __ अर्जुन ऐसे सैडिस्ट है। क्षत्रिय जिसको भी होना हो, उसे दूसरे इसीलिए आती थी कि जिनको भी उनमें योग की गंध मिलती थी, को सताने की वृत्ति में निष्णात होना चाहिए, नहीं तो क्षत्रिय नहीं हो वे उनकी सेवा के लिए तत्पर हो जाते थे। लेकिन भीतर महायोग सकता। क्षत्रिय जिसे होना हो, उसे दूसरे को सताने की वृत्ति में चल रहा था। सामर्थ्य होनी चाहिए। तो क्षत्रिय तो दूसरे को सताएगा ही। पर अगर ___ पर तपस्वियों ने कहा, यह कोई योग है? ये कैसे ऋषि? नहीं; क्षत्रिय दूसरे को सताने से किसी कारण से भी बेचैन हो जाए, तो ये नहीं। धूप में खड़ा हुआ, योगी होगा। भूखा, उपवास करता, अपने को सताना शुरू कर देगा। योगी होगा। शरीर को गलाता, सताता, योगी होगा। रात-दिन इसलिए ध्यान रहे, ब्राह्मणों ने इतने तपस्वी पैदा नहीं किए, | अडिग खड़ा रहने वाला योगी होगा। जितने क्षत्रियों ने पैदा किए इस भारत में। तपस्वियों का असली वर्ग | क्षत्रिय ऐसा कर सकते थे; ब्राह्मण ऐसा कर भी न सकते थे। क्षत्रियों से आया, ब्राह्मणों से नहीं। और बड़े मजे की बात है कि ब्राह्मणों के पास बहुत डेलिकेट सिस्टम थी, उनके पास शरीर ब्राह्मण तो सदा दख में जीए. दीनता में, दरिद्रता में। लेकिन फिर तो बहत नाजक था। उनका कभी कोई शिक्षण तलवार चलाने का, भी ब्राह्मणों ने कभी भी स्वयं को दुख देने के बहुत आयोजन नहीं और युद्धों में लड़ने का, और घोड़ों पर चढ़कर दौड़ने का, उनका किए। क्षत्रियों ने किए स्वयं को दुख देने के आयोजन। बड़े से बड़े कोई शिक्षण न था। क्षत्रियों का था। तपश्चर्या में वे उतर सकते थे तपस्वी क्षत्रियों ने पैदा किए हैं। सरलता से। अगर उन्हें खड़े रहना है चौबीस घंटे, तो वे खड़े रह उसका कारण है। और वह कारण यह है कि क्षत्रिय की तो पूरी सकते थे। ब्राह्मण तो सुखासन बनाता है। वह तो ऐसा आसन की पूरी साधना ही होती है दूसरे को सताने की। अगर वह किसी। | खोजता है, जिसमें सुख से बैठ जाए। वह तो नीचे आसन बिछाता दिन दूसरे को सताने से ऊब गया, तो वह करेगा क्या? जिस है। वह तो ऐसी जगह खोजता है, जहां मच्छड़ न सताएं उसे। तलवार की धार आपकी तरफ थी, वह अपनी तरफ कर लेगा। | क्षत्रिय खड़ा हो सकता था अधिक मच्छड़ों के बीच में। क्योंकि अभ्यास उसका पुराना ही रहेगा। कल वह दूसरे को काटता, अब जिसका अभ्यास धनुष-बाणों को झेलने का हो, मच्छड़ उसको अपने को काटेगा। कल वह दूसरे को मारता, अब वह अपने को | | कुछ परेशान कर पाएंगे? और जिसको मच्छड़ परेशान कर दें, वह मारेगा। ब्राह्मण ने कभी भी स्वयं को सताने का बहुत बड़ा आयोजन युद्ध की भूमि पर धनुष-बाण, बाण छिदेंगे जब छाती में, तो झेल नहीं किया है। पाएगा? सारी अभ्यास की बात थी। इसलिए जब तक ब्राह्मण इस देश में बहुत प्रतिष्ठा में थे, तब ___ इसलिए जब क्षत्रियों ने धर्म की साधना में गति शुरू की, तो तक इस देश में तपस्वी नहीं थे, योगी थे। जब तक ब्राह्मण इस देश | उन्होंने तत्काल तपस्वी को प्रमुख कर दिया और योगी को पीछे कर में प्रतिष्ठा में थे, तो तपस्वियों की कोई बहुत महत्ता न थी, योगियों दिया। 1313
SR No.002406
Book TitleGita Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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