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________________ <= आंतरिक संपदा - सनातन चलती हैं। गाली, मैं नहीं देखता, कोई नई गाली ईजाद होती | निष्काम की जिज्ञासा करने वाला भी, इन हवन और यज्ञ करने वाले हो। कभी-कभी कोई छोटी-मोटी ईजाद होती है; वह टिकती नहीं। | लोगों से पार चला जाता है। महावीर और बुद्ध ने तो बिलकुल पुरानी गाली टिकती है, स्थिर रहती है।। इनकार किया, और उन्होंने कहा कि वेद की बात ही मत चलाना। एक महिला भद्रवर्गीय पहुंच गई जान्सन के पास। खोला | वेद की बात चलाई, कि नर्क में पड़ोगे। इसलिए वेद के विरोध में शब्दकोश उसका और कहा कि आप जैसा भला आदमी और इस अवैदिक धर्म भारत में पैदा हुए, बुद्ध और महावीर के। तरह की गालियां लिखता है! अंडरलाइन करके लाई थी! जान्सन पर, मेरी समझ यह है कि वेद को ठीक से कभी भी नहीं समझा ने कहा, इतने बड़े शब्दकोश में तुझे इतनी गालियां ही देखने को गया, क्योंकि इतनी आल इनक्लूसिव किताब को ठीक से समझा मिलीं! तू खोज कैसे पाई? मैं तो सोचता था, कोई खोज नहीं | जाना कठिन है। क्योंकि आपके टाइप के विपरीत बातें भी उसमें पाएगा। तू खोज कैसे पाई? जान्सन ने कहा, मुझे गाली और पूजा | होंगी, क्योंकि आपका विपरीत टाइप भी दुनिया में है। इसलिए वेद और प्रार्थना से प्रयोजन नहीं है। आदमी जो-जो शब्दों का उपयोग | को पूरी तरह प्रेम करने वाला आदमी बहुत मुश्किल है। वह वही करता है, वे संगृहीत किए हैं। आदमी हो सकता है, जो परमात्मा जैसा आल इनक्लूसिव हो, नहीं वेद आल इनक्लूसिव है। इसलिए वेद में वह क्षुद्रतम आदमी भी तो बहुत मुश्किल है। उसको कोई न कोई खटकने वाली बात मिल मिल जाएगा, जो परमात्मा के पास न मालूम कौन-सी क्षुद्र जाएगी कि यह बात गड़बड़ है। वह आपके पक्ष की नहीं होगी, तो आकांक्षा लेकर गया है। वह श्रेष्ठतम आदमी भी मिल जाएगा, जो गड़बड़ हो जाएगी। परमात्मा के पास कोई आकांक्षा लेकर नहीं गया है। वेद में वह वेद में कुरान भी मिल जाएगा। वेद में बाइबिल भी मिल जाएगी। आदमी भी मिल जाएगा, जो परमात्मा के पास जाने की हर कोशिश वेद में धम्मपद भी मिल जाएगा। वेद में महावीर के वचन भी मिल करता है और नहीं पहुंच पाता। और वेद में वह आदमी भी मिल | जाएंगे। वेद इनसाइक्लोपीडिया है। वेद को प्रयोजन नहीं है। जाएगा, जो परमात्मा की तरफ जाता नहीं, परमात्मा खुद उसके पास इसलिए महावीर को कठिनाई पड़ेगी, क्योंकि महावीर के आता है। सब मिल जाएंगे। विपरीत टाइप का भी सब संग्रह वहां है। और वह विपरीत टाइप इसलिए वेद की निंदा भी करनी बहुत आसान है। कहीं भी पन्ना को भी कठिनाई पड़ेगी, क्योंकि महावीर वाला संग्रह भी वहां है। खोलिए वेद का, आपको उपद्रव की चीजें मिल जाएंगी। कहीं भी।। और अड़चन सभी को होगी। क्यों? क्योंकि निन्यानबे प्रतिशत आदमी तो उपद्रव है। और वेद | | इसलिए वेद के साथ कोई भी बिना अड़चन में नहीं रह पाता। इसलिए बहुत रिप्रेजेंटेटिव है, बहुत प्रतिनिधि है। ऐसी प्रतिनिधि और अड़चन मिटाने के जो उपाय हुए हैं, वे बड़े खतरनाक हैं। जैसे कोई किताब पृथ्वी पर नहीं है। सब किताबें क्लास रिप्रेजेंट करती । दयानंद ने एक उपाय किया अड़चन मिटाने का। वह अड़चन हैं, किसी वर्ग का। किसी एक वर्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं सब मिटाने का उपाय यह है कि वेद के सब शब्दों के अर्थ ही बदल किताबें। वेद प्रतिनिधि है मनुष्य का, किसी वर्ग का नहीं, सबका।। | डालो। और इस तरह के अर्थ निकालो उसमें से कि वेद विश्वकोश ऐसा आदमी खोजना मुश्किल है, जिसके अनुकूल वक्तव्य वेद में | न रह जाए, धर्मशास्त्र हो जाए; एक संगति आ जाए, बस। न मिल जाए। यह ज्यादती है लेकिन। वेद में संगति नहीं लाई जा सकती। वेद इसीलिए उसे वेद नाम दिया गया है। वेद का अर्थ है, नालेज। असंगत है। वेद जानकर असंगत है, क्योंकि वेद सबको स्वीकार वेद का अर्थ और कुछ नहीं होता। वेद शब्द का अर्थ है, ज्ञान, जस्ट | | करता है, असंगत होगा ही। नालेज। आदमी को जो-जो ज्ञान है, वह सब संगृहीत है। चुनाव | शब्दकोश संगत नहीं हो सकता। विश्वकोश, इनसाइक्लोपीडिया नहीं है। कौन आदमी को रखें, किसको छोड़ दें, वह नहीं है। संगत नहीं हो सकता। इनसाइक्लोपीडिया को अपने से विरोधी कृष्ण, बुद्ध, महावीर सबको इसमें अड़चन रही है। अड़चन के | वक्तव्यों को भी जगह देनी ही पड़ेगी। भी अपने-अपने रूप हैं। कृष्ण ने वेद को बिलकुल इनकार नहीं | लेकिन कभी ऐसा आदमी जरूर पैदा होगा एक दिन पृथ्वी पर, किया, लेकिन तरकीब से वेद के पार जाने वाली बात कही। कृष्ण | | जो समस्त को इतनी सहनशीलता से समझ सकेगा, सहनशीलता ने कहा कि ठीक है वेद भी; सकाम आदमी के लिए है। लेकिन | से, उस दिन वेद का पुन विर्भाव हो सकता है। उस दिन वेद में 1303
SR No.002406
Book TitleGita Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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