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________________ आंतरिक संपदा चांद का प्रतिबिंब कहां खो गया, कुछ पता न चला। और घड़े के कब मुझे होश आया, कोई आधी रात हो गई, और मैंने देखा कि फटते ही कोई चीज मेरे भीतर फट गई। और जैसे चांद का प्रतिबिंब | मैं दूसरा आदमी हूं। वह आदमी जा चुका जो कल तक था। वह खो गया, ऐसे ही मैं खो गई। घड़े के फूटते ही, कुछ मेरे भीतर भी संदेह करने वाला, वह अश्रद्धालु, वह अविश्वासी, वह नास्तिक फूट गया। और जैसे चांद का प्रतिबिंब खो गया पानी में, ऐसे ही नहीं है। कोई और ही मेरे भीतर आ गया है। वृक्ष के पत्ते-पत्ते में मैं खो गई। ऊपर देखा तो चांद था, भीतर देखा तो परमात्मा था। परमात्मा दिखाई पड़ रहा है। झींगुरों की आवाज ब्रह्मनाद हो गई। घड़े के बर्तन का प्रतिबिंब टूट गया, चांद नहीं टूट गया। और बक जीवनभर कहता रहा कि मेरी समझ के बाहर है कि उस हम परमात्मा के प्रतिबिंब से ज्यादा नहीं हैं। और हमारे अहंकार दिन क्या हुआ! अनायास! का घड़ा है, और राग का पानी है, उसमें सब प्रतिबिंब बनता है वहां। कृष्ण कहते हैं, पिछले जन्मों की यात्रा, अगर थोड़ी-बहुत दौड़ी हुई गुरु के पास पहुंची, और कहा, कभी सोचा भी न था। अधूरी रह गई हो, कहीं हम चूक गए हों, तो किसी दिन अनायास, कि घड़े के फूटने से ज्ञान होगा! गुरु ने कहा, घड़े के फूटने से ही किसी जन्म में अनायास बीज फूट जाता है; दीया जल जाता है; द्वार होता है। घड़ा कैसे फूटेगा, यही सवाल है। और तेरा घड़ा तो बहुत खुल जाता है। और कई बार ऐसा होता है कि इंचभर से ही हम चूक कमजोर था, फूटने को फूटने को ही था। कभी भी फूट सकता था। जाते हैं। और इंचभर से चूकने के लिए कभी-कभी जन्मों की यात्रा कोई ऐसे निमित्त की जरूरत थी, जिसमें कि वह जो तेरे भीतर करनी पड़ती है। आखिरी तिनका रखना है, वह पड़ जाए। वजन तो पूरा था, पलड़ा कोलेरेडो में अमेरिका में जब पहली दफा सोने की खदानें मिलीं, नीचे बैठने को था। बस, आखिरी तिनका, वह एक घड़े के फूटने | | तो एक बहुत अदभुत घटना घटी, मुझे प्रीतिकर रही है। जब पहली से हो गया। दफा सोना मिला अमेरिका के कोलेरेडो में और आज सबसे · बहुत लोगों के जीवन में अनायास घटना घटती है। ज्यादा सोना कोलेरेडो में है, सबसे ज्यादा सोने की खदानें हैं तो - एक बहुत अदभुत साधक और मिस्टिक, एडमंड बक ने एक किसानों को ऐसे ही खेत में काम करते हुए सोना मिलना शुरू हो किताब लिखी है, कास्मिक कांशसनेस। वह बड़ा हैरान है। न उसने गया। पहाड़ों पर लोग चढ़ते, और सोना मिल जाता। लोगों ने कभी कुछ साधा, न कभी कोई प्रार्थना की, न कभी कोई पूजा की, जमीनें खरीद ली और अरबपति हो गए। न प्रभु में विश्वास करता है। अचानक एक दिन रात, अंधेरी रात में एक आदमी ने सोचा कि छोटी-मोटी जमीन क्या खरीदनी है; जंगल से निकल रहा है। एकांत है, झींगुरों की आवाज के सिवाय एक पूरा पहाड़ खरीद लिया। सब जितना पैसा था, लगा दिया। कोई आवाज नहीं है। धीमी सी चांदनी है। हवा के झोंके वृक्षों में | कारखाने थे, बेच दिए। पूरा पहाड़ खरीद लिया। खरबपति हो जाने आवाज कर रहे हैं। की सुनिश्चित बात थी। जब छोटे-छोटे खेत में से खोदकर लोग __ अचानक, घड़ा भी नहीं फूटा-इस महिला के मामले में तो सोना निकाल रहे थे, उसने पूरा पहाड़ खरीद लिया। घड़ा फूटा, इसलिए घटना घटी-अचानक, बक ने लिखा है कि | लेकिन आश्चर्य, पहाड़ पर खुदाई के बड़े-बड़े यंत्र लगवाए, बस, न मालूम क्या हुआ। मेरी समझ में न पड़ा कि क्या हुआ, लेकिन सोने का कोई पता नहीं! वह पहाड़ जैसे सोने से बिलकुल लगा कि जैसे मैं मर रहा हूं। बैठ गया। एक क्षण को ऐसा लगा, खाली था। एक टुकड़ा भी सोने का नहीं मिला। कोई तीन करोड़ सिंकिंग, जैसे कोई पानी में डूब रहा हो, ऐसा डूबता जा रहा हूं। रुपया उसने लगाया था पहाड़ खरीदने में, बड़ी मशीनरी ऊपर ले बहत घबडाहट हई। चिल्लाने की कोशिश की। लेकिन जैसा जाने में। लोग कदालियों से खोदकर सोना निकाल रहे थे कोलेरेडो कभी-कभी सपने में हम सबको हो जाता है। चिल्लाने की कोशिश में। सारी दुनिया कोलेरेडो की तरफ भाग रही थी। और वह आदमी करते हैं, आवाज नहीं निकलती। हाथ उठाने की कोशिश करते हैं, | | बर्बाद हो गया कोलेरेडो में जाकर। उसकी हालत ऐसी हो गई कि हाथ नहीं उठता। तो बक ने लिखा है, न हाथ उठे, न चिल्लाने की | मशीनों को पहाड़ से उतारकर नीचे लाने के पैसे पास में न बचे कि आवाज निकले। फिर यह भी खयाल आया, कोई सुनने को भी मशीनें बेच सके। ठप्प हो गया। झींगुरों के अतिरिक्त वहां है नहीं। आवाज करने से भी क्या होगा? अखबारों में खबर दी उसने कि मैं पूरा पहाड़ मय मशीनरी के कब आंखें बंद हो गईं। कब मैं नीचे गिर पड़ा। लगा कि मर गया। बेचना चाहता हूं। उसके मित्रों ने कहा, कौन खरीदेगा! सारे 295
SR No.002406
Book TitleGita Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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