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< तंत्र और योग >
है...। तंत्र के पंच मकार प्रसिद्ध हैं। वह कहता है, पांच म का जो बहुत कठिन है मामला। पर तंत्र ने इसके प्रयोग किए। पर सेवन करेगा-सेवन, त्याग नहीं—वही योग को उपलब्ध होगा। | इसोटेरिक थे, गुप्त थे। साधारणतः वे समूह में नहीं किए जा सकते मदिरा का त्याग नहीं, सेवन। मैथुन का त्याग नहीं, सेवन। मांस का | थे। पर धीरे-धीरे खबर तो फैलनी शुरू हुई। और उनको भी पता त्याग नहीं, सेवन। जो उसको भोगेगा, वही योग को उपलब्ध चल गया, जो शराब पीकर नालियों में पड़े रहते थे। उन्होंने सोचा होगा। यह बहुत ही छोटा-सा अल्पवर्ग है, जिसके लिए यह बात कि हम भी तंत्र की साधना क्यों न करें? यह तो बहुत ही उचित है। बिलकुल सही है।
फिर कोई यह भी नहीं कह सकता कि शराब पीना पाप है। फिर तो और ध्यान रहे, वह अल्पवर्ग अति कठिन मार्ग से गुजरता है। शराब पीना पुण्य हो गया। दिखता सरल पड़ता है कि शराब पीने से ज्यादा सरल और क्या हो तो नाली में शराब पीकर जो पड़ा था, उसने जब शराब पीकर सकता है! शराबी सड़कों पर पीकर रास्तों पर पड़े हैं। शराब पीने | तंत्र की साधना शुरू की, तो मंदिर में नहीं पहुंचा, वह और नाली से ज्यादा सरल क्या होगा? लेकिन तंत्र की प्रक्रिया बहुत कठिन है, में, और नाली में चला गया। और मैथुन तो सारा जगत कर रहा है। अति दूभर है।
तंत्र ने जब कहा कि मैथुन में ही उपलब्धि हो जाएगी परमात्मा की, तंत्र कहता है, शराब पीना, लेकिन बेहोश मत होना। यह साधना कहीं भागने की जरूरत नहीं, त्यागने की जरूरत नहीं। तो लोगों ने है। शराब पीए जाना और बेहोश होना मत। अगर बेहोश हो गए, कहा, फिर ठीक ही है। कहीं कुछ करने की जरूरत नहीं। मैथुन तो तो साधना का सूत्र टूट गया। तो शराब पीना और बेहोश मत होना, हम कर ही रहे हैं। लेकिन तंत्र की शर्त है। शराब पीना और होश को कायम रखना।
एक घटना मुझे याद आती है। एक तांत्रिक के पास एक त्यागी हम तो होश बिना शराब पीए कायम नहीं रख पाते। शराब | साधु गया। वहां बड़ी-बड़ी मटकियों में भरी हुई शराब रखी थी और पीकर कायम रख पाएंगे? बिना ही पीए पीए-सी हालत रहती है एक युवा तांत्रिक बैठकर ध्यान कर रहा था। साधु बहुत घबड़ाया। दिन-रात! जरा में होश खो जाता है। तंत्र कहता है, शराब पीना, शराब की बास चारों तरफ थी। उस साधु ने कहा कि मटके-मटके उसकी मनाही नहीं है। लेकिन होश कायम रखना। | भरकर शराब कौन.पीता है यहां? उस तांत्रिक गुरु ने कहा कि यह
तो तंत्र की अपनी विधि है, कि जब शराब पीयो, कितनी मात्रा | | जो युवक बैठा है, इसके लिए रखी है। एक मटका तो यह एक ही में पीयो, कहां रुक जाओ; होश को कायम रखो। फिर धीरे-धीरे | गटक में पी जाता है, एक सांस में। उस आदमी ने कहा कि मुझे मात्रा बढ़ाते जाओ। वर्षों की लंबी यात्रा में वह घड़ी आती है कि भरोसा नहीं आता। फिर इसकी हालत क्या होती है? उसके गरु ने कितनी ही शराब कोई पी जाए, होश कायम रहता है। फिर तो तंत्र कहा कि हालत वही रहती है, जो थी। शराब अछूती गुजर जाती है। को यहां तक करना पड़ा कि कोई शराब काम नहीं करती, तो सांप आर-पार निकल जाती है, बीच में नहीं पहुंचती है, केंद्र को नहीं पालने पड़ते थे। अभी भी आसाम में कुछ तांत्रिक सांप पालते हैं छूती है। उसने कहा, मैं मानूंगा नहीं, मैं देखना चाहूंगा। एक सांस
और जीभ पर सांप से कटाएंगे। और साधना की आखिरी कसौटी में पानी की एक मटकी पीना मुश्किल है, और शराब...! यह होगी कि सांप काट ले, और होश कायम रहे।
उस तांत्रिक गुरु ने युवक को कहा कि एक मटकी शराब पी जा। है प्रक्रिया अदभुत, पर बड़ी दूभर है। शराब छोड़ने को तंत्र नहीं उसने कहा कि एक मिनट का मुझे मौका दें, मैं अभी आया। गुरु कहता। तंत्र बहुत साहसियों का मार्ग है। वे कहते हैं, हम छोड़ेंगे थोड़ा हैरान हुआ कि एक मिनट का मौका उसने क्यों मांगा? एक नहीं। अगर कीचड़ में से कमल हो सकता है, तो हम शराब में से | | मिनट बाद वह आया और एक मटकी उठाकर पी गया। वह साधु होश पैदा करेंगे। और बेहोशी में अगर होश न रह सका. तो होश | | भी चकित हुआ। एक सांस में! की कीमत कितनी है! और अगर शराब पीकर सारी बुद्धि नष्ट हो । साधु के जाने पर गुरु ने उससे पूछा कि एक मिनट का समय तूने जाए, तो ऐसी बुद्धि को बचाने में भी कितना सार है! क्यों मांगा था? उसने कहा कि मैंने कभी एक दफे में पीया नहीं था,
तंत्र कहता है, मैथुन का हम त्याग न करेंगे; ब्रह्मचर्य हम न तो मैं अंदर जाकर अभ्यास करके आया, एक मटकी अंदर पीकर, साधेंगे। हम तो मैथुन में प्रवेश करेंगे, और वीर्य को अस्खलित | कि मैं पी पाऊंगा कि नहीं पी पाऊंगा। कभी मैंने एकदम से ऐसा रखेंगे।
| किया नहीं था, इसलिए जरा अभ्यास के लिए अंदर गया। एक
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