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गीता दर्शन भाग-3
कारण। न उनके पास स्त्री है, न धन है, जहां तक जानकारी है। विधियां, मेथड्स। और आप जैसे हैं, वह भी किन्हीं विधियों के झगड़ा हो गया, तो जो पिच्छी वगैरह रखते हैं साथ में, उससे कारण हैं, अपने कारण नहीं। अगर आप गुजराती बोलते हैं, तो एक-दूसरे की खोपड़ी पर हमला बोल दिया। लोगों ने, गांव वालों सिर्फ इसलिए कि गुजराती का अभ्यास करवा दिया गया है। और ने आकर छुड़ाया। पुलिस भी आ गई। और तब बड़ी हैरानी हुई कि कोई कारण नहीं है। आप अंग्रेजी बोल सकेंगे, अगर अंग्रेजी का वह जो पिच्छी का डंडा था, उसमें सौ-सौ के नोट अंदर भरे हुए अभ्यास करवा दिया जा सके। कोई अड़चन नहीं है। थे। उसी पर झगड़ा हो गया था। वह बंटवारे में झगड़ा हो गया था। जो भी आप हैं, वह अभ्यास का फल है। लेकिन अभी जो गए थे शौच को जंगल में, लेकिन वह बंटवारे में झगड़ा हो गया! अभ्यास करवाया है, वह समाज ने करवाया है। और समाज बीमारों
पुलिस थाने ले गई। आस-पास के गांव के जैनी हाथ-पैर का समूह है। अभी जो अभ्यास करवाया है, वह भीड़ ने करवाया जोड़कर उनको छुड़वाए, कि हमारी इज्जत का खयाल करो। कोई है। और भीड़ मनुष्य की निम्नतम अवस्था है। इसलिए आप उस क्या कहेगा! दिगंबर मुनि हैं! चर्चा बंद करो। रिश्वत खिलाई-मुनि भीड़ के एक हिस्से हैं। अभी आप हैं नहीं। अभी आप जो भी हैं, को छुड़ाने के लिए।
वह भीड़ का ही हिस्सा हैं। और भीड़ ने जो करवा दिया है, वह बड़े आश्चर्य की बात है, एक आदमी नग्न खड़ा होने की हिम्मत आप हैं। जुटा पाया, तो पिच्छी में रुपए के बंडल रखे हुए है! कंडीशनिंग है। अभ्यास का अर्थ है, व्यक्तिगत चेष्टा उस दिशा में, जहां आप कंडीशनिंग भारी है। मगर यह एक रूप ही है। यह अनिवार्य नहीं नए हो सकें, जहां आप भिन्न हो सकें। है। ऐसे रूप आदमी के हैं, जहां उनको पता भी नहीं है। ___ यह मन की धारा, जो बहुत चंचल दिखाई पड़ती है, वह चंचल
अब यहां हम सोचते हैं। जिस ढंग से हम सोचते हैं, वह एक | | इसीलिए है कि पूरी व्यवस्था उसे चंचल कर रही है। विकल्प है। यह मैंने इसलिए उदाहरण के लिए आपको कहा कि हमारी हालत करीब-करीब ऐसी है कि मैंने सुना है, एक कुत्ते अन्य विकल्प सदा हैं।
के मन में खयाल आ गया कि वह दिल्ली चला जाए। सारी दुनिया अभ्यास का मूल आधार यह है कि आप जैसे हैं, उससे अन्यथा | दिल्ली जा रही थी। उसने सोचा कि कुत्ते क्यों पीछे रह जाएं। और हो सकते हैं। अभ्यास का अर्थ है, ऐसी विधि, जो आपको अन्यथा जब सभी दिल्ली पहुंच जाएंगे, तो कुत्तों के अधिकारों का क्या कर देगी। अब जैसे एक आदमी है, वह कहता है कि मेरे हाथ में | | होगा? फिर वह कुत्ता कोई छोटा-मोटा कुत्ता भी नहीं था, एक बहुत तकलीफ है, आपरेशन करवाना है। आपरेशन आप करिएगा, | एम.पी. का कुत्ता था। नेता का कुत्ता था। दिन-रात दिल्ली जाओ, तो मैं न करवा पाऊंगा, मैं हाथ को खींच लूंगा। इतनी तकलीफ | दिल्ली आओ की बात सुनाई पड़ती थी। दिल्ली जाने की विधियां होगी। हम कहते हैं, कोई फिक्र नहीं। हम तुम्हें अनस्थेसिया दे देंगे, और उपाय और सीढ़ियां ईजाद किए जाते थे; आदमियों के कंधों पहले बेहोशी की दवा दे देंगे, फिर आपरेशन कर लेंगे। फिर तुम्हें पर कैसे चढ़ो, लोगों की आंखों में धूल कैसे झोंको, सब उसने सुन तकलीफ न होगी।
लिया था। वह ठीक ट्रेंड हो गया था। अर्जुन कहता है, मन बड़ा चंचल है। कृष्ण कहते हैं, बिलकुल एक दिन उसने अपने गुरु को कहा-गुरु, मालिक जो उसका ठीक कहते हो। हम पहले अभ्यास करवा देंगे। फिर मन चंचल न | | एम.पी. था-कहा कि अब बहुत देर हुई जा रही है। अब मुझे रहेगा। हम पहले तुम्हें बदल देंगे। हम सारी स्थिति बदल देंगे। । आशीर्वाद दें, मैं भी दिल्ली जाऊं! उसने कहा कि तू क्या करेगा
अभ्यास का अर्थ है, सारी बाह्य और आंतरिक स्थिति की | दिल्ली जाकर? कुत्ता होकर और तेरी ऐसी हिम्मत? बदलाहट। अभ्यास का अर्थ है, वे जो संस्कार हैं, कंडीशनिंग है, समझ गया था। वह कुत्ता तो बहुत दिन से रहता था; वह सब वह जो हमारे भीतर पुराना जमा हुआ प्रवाह है, उसको जगह-जगह | राज समझ गया था। उसने कहा कि आप देखते नहीं कि आपका से तोड़कर नई दिशा दे देना।
वह जो विरोधी पहुंच गया है इस बार, वह कुत्तों से बेहतर है? और दूसरा शब्द कृष्ण उपयोग करते हैं, वैराग्य। उनका अर्थ तो बदतर है। नेता ने कहा कि बिलकुल ठीक। यह बात तो बिलकुल मैं सांझ आपसे कहूंगा। अभी मैं सिर्फ मूल आधार आपको कह दूं। ठीक है। तू जा। तू दिल्ली जा। उसने कहा, रास्ता कुछ बता दें। मैं
अभ्यास का अर्थ है, आप जैसे हैं, उससे अन्यथा करने की कैसे दिल्ली जाऊं!
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