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________________ मन का रूपांतरण > लेकिन अब वह कितना ही कहे कि दौड़ नहीं सकता, लेकिन रूप है, गर्मी के साथ ही समाप्त हो जाएगी। वह दूसरा पोल है। वह खाट से मकान के बाहर आया है। फिर नहीं उठ सका वह अगर आप सोचते हों कि हम सब पुरुषों को समाप्त कर दें, तो आदमी। पर क्या हुआ क्या? इस बीच आ कैसे गया? दुनिया में स्त्रियां ही स्त्रियां रह जाएंगी, तो आप गलत सोचते हैं। वह जो एक कंडीशनिंग थी, एक खयाल था कि मैं उठ नहीं अगर सब पुरुषों को समाप्त कर दें, स्त्रियां तत्काल समाप्त हो सकता, चल नहीं सकता, आग के सदमे में भूल गया। बस, इतना जाएंगी। या सब स्त्रियों को समाप्त कर दें, तो पुरुष तत्काल समाप्त ही हुआ। एक शाक। ओर वह भूल गया परानी आदत। दौड़ पड़ा। | हो जाएंगे। वे पोलर हैं। वे एक-दूसरे के छोर हैं। एक ही साथ हो सौ में से नब्बे पक्षाघात के बीमार मानसिक आदत से बीमार हैं।। सकते हैं, अन्यथा नहीं हो सकते। सौ में से नब्बे! शरीर में कहीं कोई खराबी नहीं है। सौ में से नब्बे, क्या आप सोचते हैं, इस दुनिया में हम शत्रुता समाप्त कर दें, मैं कह रहा है। लेकिन एक आदत है। तो मित्रता ही बचेगी? तो आप गलत सोचते हैं। हालांकि बहुत और मन के मामले में तो सौ में से सौ दौड़ने के बीमार हैं। लोग इसी तरह सोचते हैं कि दुनिया से शत्रुता समाप्त कर दो, तो पक्षाघात से उलटा। इतने जन्मों से मन को दौड़ा रहे हैं कि अब यह मित्रता ही मित्रता बच जाएगी! उन्हें कोई पता नहीं है अस्तित्व के सोच में भी नहीं आता कि मन खड़ा हो सकता है ? नहीं हो सकता। नियमों का। जिस दिन दुनिया से शत्रुता समाप्त होगी, उसी दिन कौन कहता है, नहीं हो सकता? यह मन ही कह रहा है। मित्रता समाप्त हो जाएगी। मित्रता जीती है शत्रुता के साथ। - तो अर्जुन जो सवाल पूछ रहा है, वह अगर ठीक से हम समझें, | दुनियाभर के शांतिवादी हैं, वे कहते हैं कि दुनिया से युद्ध बंद तो अर्जुन नहीं पूछ रहा है। अर्जुन अभी है भी नहीं, पूछेगा कैसे! । कर दो, तो शांति ही शांति हो जाएगी। वे गलत कहते हैं। उन्हें मन ही पूछ रहा है। मन ही कह रहा है कि मैं कभी खड़ा नहीं हो जीवन के नियम का कोई पता नहीं है। अगर आप युद्ध समाप्त करते सकता। मैं कभी खड़ा हुआ ही नहीं। मैं सदा चलता ही रहा। दौड़ना | | हैं, उसी दिन शांति भी समाप्त हो जाएगी। पोलर है। अस्तित्व मेरी प्रकृति है। चंचलता मेरा स्वभाव है। मैं चंचलता ही हूं; मैं खड़ा एक-दूसरे से बंधा है, विपरीत से बंधा है। नहीं हो सकता। ऊपर से सोचने में ऐसा लगता है कि ठीक है, पुरुष को समाप्त लेकिन ध्यान रहे, इस जगत में प्रत्येक शक्ति अपनी विपरीत करने से...हम सब पुरुषों की छाती में छुरा भोंक दें। तो स्त्रियों की शक्ति से जुड़ी होती है। जो जीएगा, वह मरेगा। जीने के साथ मरना छाती में तो छुरा भोंक ही नहीं रहे, तो वे तो बचेंगी ही! पर आपको जुड़ा रहता है। यहां कोई भी शक्ति अकेली पैदा नहीं होती, | पता ही नहीं है। वे तत्काल विनष्ट हो जाएंगी। इधर पुरुष समाप्त पोलेरिटी में पैदा होती है। अस्तित्व पोलर है, ध्रुवीय है। यहां हर होंगे, उधर स्त्रियां कुम्हलाएंगी, सूखेंगी और विदा हो जाएंगी। जिस चीज अपने विपरीत से जुड़ी है, विपरीत के बिना अस्तित्व में नहीं | दिन आखिरी पुरुष समाप्त होगा, उस दिन आखिरी स्त्री मर जाएगी। हो सकती। . अस्तित्व पोलर है, ध्रुवीय है। हर चीज अपने विपरीत के साथ __ अगर हम दुनिया से प्रकाश समाप्त कर दें, तो आप सोचते होंगे, जुड़ी है। अंधेरा ही अंधेरा रह जाएगा। आप गलत सोचते हैं। अगर हम इसलिए अर्जुन का यह कहना कि मन चंचल है, इसलिए ठहर दुनिया से प्रकाश समाप्त कर दें, अंधेरा तत्काल समाप्त हो जाएगा। | नहीं सकता, गलत है। चंचल है, इसीलिए ठहर सकता है। चंचल आप कहेंगे, फिर क्या होगा? कुछ भी हो, अंधेरा नहीं हो सकता। | है, इसीलिए ठहर सकता है। अगर जीवन के नियम का बोध हो, हां, बात असल यह है कि प्रकाश आप समाप्त न कर पाएंगे। | तो कहना था ऐसा कि मन का स्वभाव चूंकि चंचल है, हे मधुसूदन, इसलिए पता करना मुश्किल है। प्रकाश और अंधेरा संयुक्त | इसलिए मेरी बात समझ में आ गई। मन ठहर सकता है। अस्तित्व हैं। यह ठीक नियमयुक्त बात होती, लेकिन बड़ी एब्सर्ड। अगर और आसान होगा समझना, अगर दुनिया से हम गर्मी समाप्त | अर्जुन ऐसा कहता कि मन चंचल है, इसलिए मैं समझ गया कि कर दें, तो क्या आप सोचते हैं, सर्दी बच रहेगी? ऊपर से तो ऐसे | ठहर सकता है, तो हमें भी बड़ी दिक्कत पड़ती गीता समझने में। ही दिखाई पड़ता है कि गर्मी बिलकुल समाप्त हो जाएगी, तो हम कहते, यह अर्जुन कैसा पागल है! जब मन चंचल है, तो एकदम ठंडक हो जाएगी दुनिया में। लेकिन ठंडक गर्मी का एक ठहरेगा कैसे? 241
SR No.002406
Book TitleGita Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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