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मन साधन बन जाए >
भी न रुक पाएंगे, अगर स्टैटिक फोर्स आपके भीतर न हो। ध्यान रहे, जैसा मैंने पहले सूत्र में समझाया, मन गति है। अगर
तम सिर्फ रोकने वाली शक्ति है। जैसे जमीन से आप एक पत्थर आपमें रज की शक्ति बहुत ज्यादा है, तो मन को आप रोक न फेंकें ऊपर की तरफ, थोड़ी देर में जमीन पर गिर जाएगा, क्योंकि पाएंगे। मन गति करता ही रहेगा। जमीन में एक कशिश है, जो रोकती है। नहीं तो फेंका गया पत्थर मैंने आपको कहा कि एक्सेलरेटर दबाना पड़े, तो गाड़ी चलती फिर कभी नहीं रुकेगा; अनंत काल तक चलता ही रहेगा, चलता है। लेकिन गाड़ी में पेट्रोल होना चाहिए। बिना पेट्रोल के ही रहेगा। फिर कहीं गिर नहीं सकता। कोई अवरोध शक्ति चाहिए। एक्सेलरेटर मत दबाते रहें, नहीं तो गाड़ी नहीं चलेगी। नहीं तो आप नहीं तो आप चल पड़े घर से, तो फिर घर दुबारा वापस न आ कहेंगे कि गलत बात कही। हम तो एक्सेलरेटर दबा रहे हैं, वह सकेंगे। हां, घर में कोई तमस भी बैठा है, जो वापस खींच लाएगा। | चलती नहीं! पेट्रोल भी चाहिए, वह ऊर्जा भी चाहिए, जो गति ले पत्नी है, बच्चे हैं, वह स्टैग्नेंसी फोर्स है।
सके। उस ऊर्जा का नाम रज है। रज कहें, मूवमेंट है। तम ठहराव जो लोग सभ्यता का अध्ययन करते हैं, वे कहते हैं, घर पुरुष ने | है, रेस्ट है। दोनों, आदमी को चलाने और ठहराने का कारण हैं। नहीं बनाया, स्त्री ने बनाया। इसीलिए उसको घरवाली कहते हैं। __ सत्व स्थिति है। वह न गति है, न ठहराव है; स्वभाव है। अगर आपको कोई घरवाला नहीं कहता। घर उसी का है। अगर स्त्री न | | आपके भीतर रज बहुत है, तो आप सत्व में ठहर न सकेंगे। आप हो, तो पुरुष जन्मजात खानाबदोश है। भटकता रहेगा; ठहर नहीं | | ठहर न सकेंगे सत्व में, रज दौड़ाता ही रहेगा। रज कम होना सकता। वह स्त्री की खूटी बन जाती है, फिर उसके आस-पास वह | चाहिए। लेकिन अगर रज बिलकुल शून्य हो जाए, तो आप सत्व रस्सी बांधकर घूमने लगता है कोल्हू के बैल की तरह। | में ठहर तो जाएंगे, लेकिन बेहोश हो जाएंगे होश में नहीं रहेंगे।
परुष को अगर हम ठीक से समझें तो वह रज है. गति है। स्त्री सषप्ति में ऐसा ही होता है। रज बिलकल शन्य हो जाता है. को ठीक से समझें तो वह तम है. अगति है। इसलिए इस जगत बिलकल नहीं रह जाता. गति बिलकल नहीं रह जाती. और ठहराव में जितनी चीजों को ठहरना है, उन्हें स्त्री का सहारा लेना पड़ता है। | की शक्ति पूरा आपको पकड़ लेती है। लेकिन तब आपमें इतनी भी और जिन चीजों को चलना है, उन्हें पुरुष का सहारा लेना पड़ता है। गति नहीं रह जाती कि आप जान सकें कि मैं कहां हूं। क्योंकि यह
बड़े मजे की बात है कि सब चीजों को चलाने वाले पुरुष होते | | जानना भी एक मूवमेंट है। नोइंग इज़ ए मूवमेंट, ज्ञान एक गति है। हैं और ठहराने वाली स्त्रियां होती हैं। दुनिया में इतने धर्म पैदा हुए, इसलिए सुषुप्ति में कुछ भी नहीं रह जाता, आप जड़वत हो जाते हैं। एक भी स्त्री ने पैदा नहीं किया; सब पुरुषों ने पैदा किए। लेकिन समाधि का अर्थ है, रज और तम उस स्थिति में आ जाएं कि दुनिया में जितने धर्म टिके हैं, स्त्रियों की वजह से; पुरुषों की वजह | | एक-दूसरे को संतुलित कर दें, एक-दूसरे को निगेट कर दें, काट से कोई भी नहीं।
| दें। रज और तम ऐसे संतुलन में आ जाएं कि एक-दूसरे को काट सब धर्म पुरुष पैदा करते हैं—चाहे जैन धर्म हो, चाहे हिंदू, चाहे दें। ऋण और धन बराबर शक्ति के हो जाएं, तो शून्य हो जाएंगे। बौद्ध, चाहे इस्लाम, चाहे ईसाई, चाहे जोरोस्ट्रियन, चाहे कोई उस शून्य में सत्व का उदभावन होता है। उस शून्य में सत्व का फूल भी-दुनिया के सब धर्म पुरुष पैदा करता है। मगर उसकी सुरक्षा | | खिलता है। उस शून्य में आप सत्व में ठहर भी जाते हैं और जान स्त्री करती है। मंदिर में जाकर देखें। पुरुष दिखाई नहीं पड़ता। हां, भी लेते हैं। इतना रज रहता है कि जान सकते हैं; इतना तम रहता कोई पुरुष अपनी स्त्री के पीछे चला गया हो, बात अलग है! कोई | | है कि ठहर सकते हैं। खड़े हो सकते हैं, जान सकते हैं। और सत्व दिखाई नहीं पड़ता। स्त्रियां दिखाई पड़ती हैं।
में स्थिति हो जाती है; स्वभाव हो जाता है। एक बार किसी चीज को गति मिल जाए, तो उसको ठहराने के | सब पाप रज की अधिकता से होते हैं। सब पाप रज की लिए जगह स्त्री में है, पुरुष के पास नहीं है। वह तो गति देकर दूसरी | अधिकता से होते हैं। रजाधिक्य पाप करवा देता है। और चीज को गति देने में लग जाएगा। वह रुकेगा नहीं।
कभी-कभी अकारण पाप भी करवा देता है। रोकने की शक्ति, मन के पास भी ऐसी ही शक्ति है एक, जो | सार्च की एक कथा है, जिसमें एक आदमी पर अदालत में रोकती है; और एक शक्ति है, जो दौड़ाती है। तमस अवरोध शक्ति | मुकदमा चलता है। क्योंकि उसने समुद्र के तट पर, किसी व्यक्ति है, रज गति शक्ति है।
को, जो धूप ले रहा था सुबह की, उसकी पीठ पर जाकर छुरा भोंक
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