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________________ 4 गीता दर्शन भाग-3> अनिवार्यता है। क्योंकि ऐसा मैकेनिज्म नहीं हो सकता, जो दोनों और वह तो बड़ा हो गया, और मन पीछे छूट गया। हमारी जिंदगी तरफ काम दे सके। क्योंकि संसार के लिए बिलकुल और तरह की | की अधिक तकलीफें यही हैं। जरूरत है। वहां सब बदल रहा है, इसलिए बदलने वाला सचेतन | पिछले महायुद्ध में अमेरिका में जिन सैनिकों को भर्ती किया चित्त चाहिए, जो पूरे समय बदलता रहे। गया, उनके आई क्यू, उनकी बुद्धि के माप की जांच की गई पहली और ध्यान रखें, जो चित्त जितनी गति से बदल सकता है संसार दफा बड़े पैमाने पर, तो बड़ी हैरानी हुई। किसी आदमी की बुद्धि में, संसार में उसका सरवाइवल उतना ही सुनिश्चित है; उसका | | तेरह साल से ज्यादा नहीं निकली। तेरह साल पर बुद्धि रुकी हुई अस्तित्व उतना ही सुरक्षित है। मालूम पड़ी। जमीन पर आदमी जीत गया, और पशु हार गए। उसका और औसत बुद्धि तेरह साल पर रुक जाती है। बड़ी घबड़ाहट की कोई कारण नहीं था। पशुओं के पास इतना चंचल मन नहीं है; और बात है। आदमी सत्तर साल का हो जाता है, लेकिन बुद्धि का अंक कोई कारण नहीं है। आदमी के पास चंचल मन है, वह जीत गया। उसका तेरह साल के पास ठहरा रहता है। इसी से सब दिक्कतें खड़ी इस पृथ्वी पर बड़े शक्तिशाली पशु नष्ट हो गए हैं, पूरी की पूरी होती हैं। जैसे बूढ़ा भी क्रोध में आ जाए, तो बच्चों की तरह पैर . जातियां नष्ट हो गईं। उनके पास शरीर महा शक्तिशाली था। आज पटकने लगता है। वह तेरह साल की बुद्धि भीतर काम करने लगती से कोई दस लाख साल पहले वैज्ञानिक कहते हैं-अब तो है। रिग्रेस करना आसान हो जाता है। अस्थिपंजर भी मिलते हैं-हाथी हमारा छोटा-सा जानवर है उस आपके घर में आग लग जाए, आप एकदम पैर पटककर छाती जमाने का, बहुत छोटा-सा; उस जमाने का बहुत मिनिएचर, पीटकर रोने लगते हैं, वैसे ही जैसे छोटा तीन साल का बच्चा, बहुत छोटा-सा प्रतीक। हाथी से दस-दस गुने, पंद्रह-पंद्रह गुने | | उसका खिलौना टूट जाए, तो रोता और छाती पीटता है। फर्क क्या बड़े जानवर इस पृथ्वी पर थे। लेकिन सबके सब नष्ट हो गए। है? फर्क इतना ही है कि साधारण हालतों में आप गंभीरता बनाए बात क्या है? | रखते हैं, असाधारण हालतों में आपका बचकानापन प्रकट हो जाता शरीर तो उनके पास बहुत बड़े थे, शक्ति उनके पास महान थी। है। वह जुवेनाइल भीतर जो छिपा है, वह असाधारण हालत में छोटे-मोटे पहाड़ी को धक्का दे दें, तो खिसक जाए, गिर जाए। प्रकट हो जाता है। साधारणतः अपने को सम्हाल-सम्हूलकर चलाते लेकिन उनके पास बहुत चंचल चित्त नहीं था, जो कि स्थितियों के रहते हैं। जरा-सी कोई विशेष घटना घट जाए, पता चल जाता है साथ बदल सके। स्थितियां बदलीं, उनका मन नहीं बदला। कि भीतर का बच्चा जाहिर हो गया। स्थितियां बदल गईं, मन नहीं बदला; मर गए। क्योंकि स्थिति के तेरह साल पर रुक जाती है बुद्धि! हां, जिसकी नहीं रुकती, वह साथ जिसका मन नहीं बदलेगा, वह मर जाएगा। | जीनियस है। लेकिन नहीं रुकने का मतलब है कि गति जारी रहे। स्थिति के साथ बदलने से ही एडजस्टमेंट होता है। नहीं तो आप बुद्धि इतनी गतिमान रहे कि कहीं ठहरे न; हर स्थिति के साथ मैलएडजस्टेड हो जाएंगे। आपकी उम्र तो ज्यादा हो गई, लेकिन बदलती चली जाए; हर नई स्थिति में नई हो जाए। पायजामा बचपन का पहने चले गए, वैसी मुसीबत हो जाएगी। तो मन को तो बदलना ही पड़ेगा। बदले मन, यही शुभ है। पायजामा बदलना पड़ेगा। जवानी आ गई और बुद्धि बचपन की लेकिन यह सामर्थ्य के भीतर हो कि हम जब चाहें, तब कहें, बस। रही आई, मन नहीं बदला, थिर मन हुआ आपके पास, तो आप और मन शांत होकर बैठ जाए। और हम उस दिशा में भी चेहरा फेर मुश्किल में पड़ जाएंगे। वही काम बच्चा करेगा, तो हम खुश होंगे।। पाएं, जहां अपरिवर्तनीय का वास है, जहां नित्य का निवास है। हम वही जवान करेगा, तो जेलखाने में डाल देंगे। क्यों? बच्चा कर रहा | उस मंदिर की तरफ भी आंखें उठा पाएं, जहां वह रहता है, जो कभी है, तो कोई परेशान नहीं हो रहा है! क्योंकि हम मानते हैं कि बच्चा | नहीं बदलता। अभी जिस परिस्थिति में है, उसके साथ उसका मन बिलकुल | __ और उसको देखते ही ऐसी अपूर्व शांति प्राणों को घेर लेती है। एडजस्टेड है। लेकिन आदमी जवान हो गया है और वही काम कर क्योंकि परिवर्तन के साथ शांति कभी नहीं हो सकती। परिवर्तन के रहा है, तो बर्दाश्त के बाहर हो जाएगा। उसका मतलब यह है कि साथ अशांति ही होगी। परिवर्तन के साथ तनाव और टेंशन ही होगा। उसका मन रिटार्डेड है। उसका मन बच्चा था. तभी वहीं रुक गया। परिवर्तन के साथ तो बेचैनी और चिंता ही होगी। अपरिवर्तनीय के 1184
SR No.002406
Book TitleGita Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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