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+ दुखों में अचलायमान >
आवश्यक नहीं है, केवल स्मृति काफी है।
प्यास सदा मौजूद रहती है। तो इसलिए कृष्ण या बुद्ध फिर वही शब्द दोहराते हैं, लेकिन फिर | अगर एक आदमी धन की तलाश में जाता है, तो बहुत ठीक से कुछ नया इशारा जोड़ते हैं। शायद उस नए इशारे से कुंजी पकड़ में समझें तो भी वह प्रभु की तलाश में ही जाता है, गलत दिशा में। आ जाए और अर्जुन का ताला खुल जाए। इसमें नया शब्द जोड़ते | क्योंकि धन से लगता है, प्रभुता मिल जाएगी। धन से लगता है, हैं, प्रभु का सतत चिंतन।
| प्रभुता मिल जाएगी। बहुत होगा धन, तो दीनता न रह जाएगी; प्रभु इसमें दो बातें समझने जैसी हैं। एक तो, प्रभु का।
हो जाएंगे; मालकियत हो जाएगी। जिसे हम नहीं जानते, उसका चिंतन कैसे करेंगे? जिसे हम एक आदमी पद की तलाश करता है कि राष्ट्रपति हो जाऊं; जानते ही नहीं, उसका हम चिंतन कैसे करेंगे? क्या करेंगे चिंतन ? | | राष्ट्रपति के सिंहासन पर बैठ जाऊं। गलत व्याख्या कर रहा है वह। दूसरी बात, चिंतन का अर्थ?
मन में तो परम पद पर पहुंचने की आकांक्षा है कि उस पद पर पहुंच चिंतन का अर्थ विचार नहीं है। क्योंकि विचार तो उसका ही होता जाऊं, जिसके ऊपर कोई पहुंचने की जगह न रह जाए। लेकिन वह है, जो ज्ञात है, नोन है। अज्ञात का कोई विचार नहीं होता। यहीं की छोटी-बड़ी कुर्सियां चढ़ रहा है! बड़ी से बड़ी कुर्सी पर _ चिंतन का कुछ और अर्थ है। वह समझ में आ जाए तो प्रभु का | खड़े होकर भी पाएगा, कहीं नहीं पहुंचा। सिर्फ एक जगह पहुंचा चिंतन खयाल में आ जाए। समझें, आपको प्यास लगी है। आप | है, जहां से अब कोई गिराएगा–सिर्फ एक जगह पहुंचा है। पच्चीस काम में लगे रहें, तो भी प्यास का चिंतन भीतर चलता | क्योंकि नीचे दूसरे चढ़ रहे हैं। वे टांगें खींच रहे हैं। रहेगा। विचार नहीं। विचार तो आप दूसरा कर रहे हैं। हो सकता उसको वे पालिटिक्स.कहते हैं; या और कुछ नाम दें। एक-दूसरे है, हिसाब लगा रहे हैं, खाता-बही कर रहे हैं, किसी से बात कर | की टांग को खींचने का नाम पालिटिक्स! और जितने ऊपर आप रहे हैं। लेकिन भीतर एक अनुधारा, एक अनुचिंतन, एक बारीक गए, उतने ज्यादा लोग आपकी टांग खींचेंगे। क्योंकि आप अकेले अंडर करेंट, भीतर प्यास की चलती रहेगी। कोई भीतर बार-बार | रह जाएंगे और चढ़ने वाले बहुत हो जाएंगे। कहता रहेगा, प्यास लगी है, प्यास लगी है, प्यास लगी है। __लाओत्से ने कहा है कि हमको कोई नीचे कभी न उतार पाया, ___ यह मैं आपसे कह रहा हूं, इसलिए शब्द का उपयोग कर रहा | क्योंकि हमने कहीं चढ़ने की कोशिश ही नहीं की। हूं। वह जो आपके भीतर है, वह शब्द का उपयोग नहीं करेगा। वह | अगर ऐसा करें, तो ठीक है। नहीं तो कोई न कोई खींचेगा। तो प्यास की ही चोट करता रहेगा कि प्यास लगी है। शब्द का लेकिन वह जो पद की आकांक्षा है, वह जो पावर की, शक्ति की उपयोग नहीं करेगा, वह यह नहीं कहेगा कि प्यास लगी है। प्यास आकांक्षा है, वह भी वस्तुतः प्रभुता की आकांक्षा है। ही लगती रहेगी। फर्क आप समझ रहे हैं?
नेपोलियन से कोई पूछ रहा था कि कानून की क्या व्याख्या है? . अगर आप कहें कि प्यास लगी है, प्यास लगी है, प्यास लगी व्हाट इज़ दि ला? तो नेपोलियन ने कहा, आई एम दि ला, मैं हूं
है, तो यह विचार हुआ। और अगर प्यास ही लगती रहे; सब काम कानून। जारी रहे, विचार जारी रहे और भीतर एक खटक, एक चोट, द्वार ___ अब ऐसा सिर्फ प्रभु कह सकता है, परमात्मा, कि मैं हूं कानून। पर कोई कुंडी खटखटाता रहे, शब्द में नहीं, अनुभव में; प्यास, | | नेपोलियन कह रहा है! और उसे पता नहीं कि हृदय की धड़कन प्यास भीतर उठती रहे, तो चिंतन हुआ।
अभी बंद हो जाए, तो आई एम दि ला कुछ काम न करे; मैं कानून प्रभु का विचार तो हम कर ही नहीं सकते। लेकिन प्रभु की प्यास हूं, कुछ काम न करे। और जिस दिन उसने यह बात कही, उसके हम सबके भीतर है। हालांकि हममें से बहुत कम लोगों ने पहचाना | | थोड़े ही दिन बाद वह हार गया। और बड़ी छोटी-सी चीज से हारा, है कि प्रभु की प्यास हमारे भीतर है। लेकिन हम सबके भीतर है। | बिल्लियों से! कोई आदमी प्रभु-प्यास के बिना पैदा ही नहीं होता, हो नहीं सकता। । नेपोलियन छोटा बच्चा था, तो एक छ: महीने का बच्चा था जब
हां, यह हो सकता है कि वह अपनी प्रभु-प्यास की व्याख्या कुछ | | नेपोलियन, तो एक बिलाव ने जंगली बिलाव ने उसकी छाती पर और कर ले। और वह प्रभु-प्यास की व्याख्या करके कुछ और पंजा मार दिया था। नौकरानी इधर-उधर हट गई थी, जैसा कि खोजने निकल जाए। मिस-इंटरप्रिटेशन हो सकता है; लेकिन | | नौकरानियां हट जाती हैं। बिल्ली ने पंजा मार दिया। भागी नौकरानी
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