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<< चित्त वृत्ति निरोध -
था, लेकिन वृक्ष इतने हरे न मालूम पड़े थे। और फूल इतने ताजे न क्रोध को दबाया कि क्रोध और बड़ा होगा। क्रोध को दबाना ऐसे मालूम पड़े थे। और फूल इतने खिले न दिखाई पड़े थे। और पक्षियों | ही है, जैसे बीज को जमीन के भीतर दबाना। उससे तो जमीन के का गीत इस तरह सुनाईं नहीं पड़ा था, जैसा इमर्सन के साथ सुनाई | ऊपर ही रहता, तो बेहतर था। जमीन के भीतर बीज अब फूटेगा पड़ने लगा। .
और वृक्ष बनेगा। जड़ें फैलेंगी; आकाश को छू जाएगा। एक शांत आदमी पास है, तो वह दूसरे को भी शांत करने की करोड़-करोड़ बीज लगेंगे। क्रोध को दबाया, तो क्रोध के बीज को व्यवस्था जुटा देता है। दो दिन बाद वह क्षमा मांगकर लौटा। उसने | चित्त की अंतर्भूमि में डाल दिया। अब वह और बड़ा होगा। कहा, मेरे साठ साल तो बेकार चले गए। अब जो थोड़े-बहुत दिन | नहीं; दमन नहीं है निरोध। चित्त वृत्ति का निरोध, चित्त वृत्ति की बचे हैं, क्या मैं कुछ पा सकता हूं?
समझ है। जैसे ही कोई चित्त की किसी वृत्ति को समझता है, वह इमर्सन ने कहा कि अगर छः क्षण भी बचे हों, और तुम अपने | वृत्ति निरुद्ध हो जाती है। समझ निरोध है। साथ ईमानदार हो, तो उतना पा सकते हो, जितना तीन सौ साठ ___ अगर कोई क्रोध को समझ ले कि क्रोध क्या है, तो सिवाय दुख साल में मैंने पाया। लेकिन अपने साथ ईमानदार, टु बी आनेस्ट | और आग के पाएगा क्या? अगर कोई क्रोध को पूरा देख ले, तो विद वनसेल्फ।
| सिवाय जहर के और मिलेगा क्या? और अगर दिखाई पड़े कि जहर दूसरे के साथ ईमानदार होना बहुत कठिन नहीं है। क्यों? उसी | और आग, और अपने ही हाथ से अपने ऊपर, तो ऐसा पागल वजह से दूकानों पर लिखा हुआ है, आनेस्टी इज़ दि बेस्ट पालिसी।। | खोजना मुश्किल है, जो क्रोध की वृत्ति को सक्रिय रख सके। वृत्ति दूसरे के साथ ईमानदार होने में बहुत कठिनाई नहीं है। होशियार | | निरुद्ध हो जाएगी। जहर को जहर जानते ही जहर से छुटकारा हो आदमी दूसरे के साथ ईमानदार होते हैं, क्योंकि दैट इज़ दि बेस्ट | जाता है। पालिसी। वही सबसे अच्छी तरकीब है। लेकिन अपने साथ लेकिन हम सबको भ्रांति है कि हम सबको पता ही है कि क्रोध ईमानदार होना आईअस है, वह सिर्फ योगी ही हो पाता है। लेकिन बुरा है। फिर छुटकारा क्यों नहीं होता? हम सबको मालूम है कि मैं आपसे कहता हूं, जो अपने साथ ईमानदार हो सके, वह चित्त क्रोध बुरा है। ऐसा आदमी पा सकते हैं आप, जिसको मालूम न हो उपराम को पा सकता है।
कि क्रोध बुरा है? सबको मालूम है कि क्रोध बरा है। तो फिर मेरी बात तो बड़ी उलटी मालूम पड़ती है। सबको मालूम है, तो फिर
इतने लोग सुबह से सांझ तक क्रोध में जीए चले जाते हैं! प्रश्नः भगवान श्री, इस श्लोक में कहे गए चित्त वृत्ति | नहीं; मैं आपसे कहता हूं, आपको जरा भी मालूम नहीं है कि निरोध के बहुत-से अर्थ लोगों ने किए हैं। इसका | | क्रोध बुरा है। आपको भीतर से तो यही मालूम है कि क्रोध बहुत आप क्या अर्थ करते हैं? कृपया इसे भी स्पष्ट करें। अच्छा है। ऊपर से सुना हुआ है कि क्रोध बुरा है। यह आपका
| अनुभव, आपकी प्रतीति, आपका अपना साक्षात्कार नहीं है कि
क्रोध बुरा है। 'त वृत्ति निरोध। साधारणतः लोग चित्त वृत्ति निरोध का गुरजिएफ, अभी फ्रांस में एक फकीर था। शायद इस सदी में अर्थ करते रहे हैं, चित्त वृत्तियों का दमन। वह उसका | | थोड़े-से लोग थे, जिनकी इतनी गहरी समझ है। अगर उसके पास
अर्थ नहीं है। निरोध शब्द दमन का सूचक नहीं है। कोई जाता और कहता कि मैं क्रोध से बहुत परेशान हूं, क्रोध इतना अगर दमन ही कहना होता, तो कहते, चित्त वृत्ति विरोध। चित्त | बुरा है, फिर भी मैं छूट नहीं पाता, तो गुरजिएफ कहता कि रुको। वृत्ति विरोध!
पहली तो बात यह छोड़ दो कि क्रोध बुरा है। पहली बात यह छोड़ निरोध बहुत अदभुत शब्द है। चित्त वृत्ति निरोध का अर्थ है, चित्त | दो, क्योंकि यह बात तुम्हें कभी समझने न देगी। क्योंकि यह बात की इतनी गहरी समझ कि वृत्तियां निरोध को उपलब्ध हो जाएं। समझदारी का झूठा भ्रम पैदा करती है कि तुमको पता है। तुमको दमन नासमझी है और दमन सिवाय अज्ञानी के कोई भी करता नहीं। पता ही है कि क्रोध बुरा है! और दमन जिसने किया वृत्तियों का, वह मुश्किल में पड़ता है। तुम्हें बिलकुल पता नहीं है। पहले तुम यह छोड़ दो। क्रोध नहीं
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