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4 गीता दर्शन भाग-3>
पूर्व-तैयारी चाहिए। उसकी पूर्व-तैयारी के लिए यह सूत्र बहुत गिर जाता है। तो वह व्यक्ति चार बजे उठ आएगा बिलकुल ताजा। कीमती है। और इसीलिए कृष्ण कोई सीधे, डायरेक्ट सुझाव नहीं दे उसे दिनभर कोई अड़चन न होगी। किसी व्यक्ति का सुबह पांच रहे हैं। सिर्फ नियम बता रहे हैं। न अति भोजन, न अति अल्प और सात के बीच में तापमान गिरता है। तब वह अगर सात बजे भोजन। न अति निद्रा, न अति जागरण। न अति श्रम, न अति के पहले उठ आएगा, तो अड़चन में पड़ेगा। विश्राम। कोई सीधा नहीं कह रहे हैं, कितना। वह कितना आप पर पुरुषों और स्त्रियों के बीच अनेक प्रयोग के बाद दो घंटे का छोड़ दिया गया है। वह अर्जुन पर छोड़ दिया गया है। वह आपकी फासला खयाल में आया है। तो अधिक पुरुष पांच बजे उठ सकते जरूरत और आपकी बुद्धि खोजे। और प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन ।
| हैं, लेकिन अधिक स्त्रियां पांच बजे नहीं उठ सकती हैं। वे शरीर के का नियंता बन जाए। कोई किसी दूसरे से मर्यादा न ले, नहीं तो | फर्क हैं, वे बायोलाजिकल फर्क हैं। कठिनाई में पड़ेगा।
जैसे-जैसे समझ बढ़ती है, लेकिन एक बात साफ होती जाती है जैसे आमतौर से घरों में पति पहले उठ आते हैं। थोड़ा चाय-वाय | | कि शरीर की अपनी नियमावली है। और शरीर के नियम, सिर्फ बनाकर तैयार करते हैं। मगर बड़ा संकोच अनुभव करते हैं कि कोई आपके शरीर के नियम नहीं हैं, बल्कि बड़े कास्मास से जुड़े हुए देख न ले कि पत्नी अभी उठी नहीं है और वे चाय वगैरह बना रहे | | हैं। देखा है हमने, चांद के साथ समुद्र में अंतर पड़ते हैं। कभी हैं। लेकिन यह बिलकुल उचित है, वैज्ञानिक है।
आपने खयाल किया कि स्त्रियों का मासिक-धर्म भी चांद के साथ स्त्रियों के सोने की जितनी जांच-पड़ताल हुई है, वह पुरुषों से संबंधित है और जुड़ा हुआ है! अट्ठाइस दिन इसीलिए हैं, चांद के दो घंटा पीछे है-सारी जांच-पड़ताल से। आज अमेरिका में कोई चार सप्ताह। ठीक चांद के साथ जैसे समुद्र में अंतर पड़ता है, ऐसे दस स्लीप लेबोरेटरीज हैं, जो सिर्फ नींद पर काम करती हैं। वे स्त्री के शरीर में अंतर पड़ता है। कहती हैं कि पुरुषों और स्त्रियों के बीच नींद का दो घंटे का फासला लेकिन अभी जैसे-जैसे सभ्यता विकसित होती है, स्त्रियों का है। अगर पुरुष पांच बजे सुबह स्वस्थ उठ सकता है, तो स्त्री सात मासिक-धर्म अस्तव्यस्त होता चला जाता है सभ्यता के साथ। क्या बजे के पहले स्वस्थ नहीं उठ सकती है। लेकिन अगर स्त्री ने शास्त्र | हो गया? कहीं कोई संतुलन टूट रहा है। वह जो विराट के साथ पढे हैं. तो पति के पहले उठना चाहिए। पति अगर पांच बजे उठे. हमारे शरीर के तंत् जुड़े हैं, उनमें कहीं-कहीं विकृतियां हम अपने तो स्त्री को कम से कम साढ़े चार बजे तो उठ आना चाहिए। तब हाथ से पैदा कर रहे हैं। कहीं कोई गड़बड़ हो रही है। नुकसान होगा!
आज जमीन पर, मैं मानता हूं, करीब-करीब पचास प्रतिशत से निद्रा का जो अध्ययन हुआ है वैज्ञानिक, उससे पता चला है कि ज्यादा स्त्रियां मासिक-धर्म से अति परेशान हैं। अनेक तरह की रात में दो घंटे के लिए, चौबीस घंटे में, प्रत्येक व्यक्ति के शरीर का परेशानियां उनके मैंसेस से पैदा होती हैं। और वह मैंसेस इसलिए तापमान नीचे गिर जाता है। सुबह जो आपको ठंड लगती है, वह परेशानी में पड़ा है कि स्त्री के व्यक्तित्व में जो प्रकृति के साथ इसलिए नहीं लगती कि बाहर ठंडक है! उसका असली कारण अनुकूलता होनी चाहिए, जो संतुलन होना चाहिए, वह खो गया आपके शरीर के तापमान का दो डिग्री नीचे गिर जाना है। बाहर की है। वह कोई संबंध नहीं रह गया है। ठंडक असली कारण नहीं है।
हमने अपने ढंग से जीना शुरू कर दिया है, बिना इसकी फिक्र __ हर व्यक्ति का चौबीस घंटे में दो घंटे के लिए तापमान दो डिग्री किए कि हम बड़ी प्रकृति के एक हिस्से हैं। और हमें उस बड़ी प्रकृति नीचे गिर जाता है। वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि वे ही दो को समझकर उसके सहयोग में ही जीने के अतिरिक्त शांत होने का घंटे उस व्यक्ति के लिए गहरी निद्रा के घंटे हैं। अगर उन दो घंटों | कोई उपाय नहीं है। में वह व्यक्ति ठीक से सो ले, तो वह दिनभर ताजा रहेगा। और | लेकिन आदमी ने अपने को कुछ ज्यादा समझदार समझकर अगर उन दो घंटों में वह ठीक से न सो पाए, तो वह चाहे आठ घंटे | बहुत-सी नासमझियां कर ली हैं। ज्यादा समझदारी आदमी के सो लिया हो, तो भी ताजगी न मिलेगी।
| खयाल में आ गई है और वह सारे संतुलन भीतर से तोड़ता चला और वे दो घंटे प्रत्येक व्यक्ति के थोड़े-थोड़े अलग होते हैं। जा रहा है। किसी व्यक्ति का रात दो बजे और चार बजे के बीच में तापमान | - जब तक हमारे पास रोशनी नहीं थी, तब तक पृथ्वी पर नींद की
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