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अंतर्यात्रा का विज्ञान
ऐसा न हो, इसलिए कृष्ण अर्जुन को ठीक प्राथमिक बातें कह | | ध्यान के ही माध्यम से खोजी गई थी कि सहयोगी हो सकती है। रहे हैं।
उसकी अपनी पूरी वैज्ञानिक प्रक्रिया है।
लुकमान के जीवन में उल्लेख है कि लुकमान पौधों के पास
जाता, उनके पास आंख बंद करके, ध्यान करके बैठ जाता और उन प्रश्नः भगवान श्री, इस श्लोक में दो और छोटी बातें || | पौधों से पूछता कि तुम किस काम में आ सकते हो, मुझे बता दो! साफ करें, तो अच्छा हो। पहली बात कुशा, मृगचर्म | | तुम किस काम में आ सकते हो? तुम्हारे पत्ते किस काम में आएंगे,
और वस्त्र, यह क्रम दिया है, उपरोपरि। और दूसरी | किस बीमारी के काम आएंगे? तुम्हारी जड़ किस काम में आएगी? बात, शुद्ध भूमि। इस पर कुछ कहें।
| तुम्हारी छाल किस काम में आएगी? ___ कहानी अजीब-सी मालूम पड़ती है, लेकिन लुकमान ने लाखों
पौधों के पत्ते, जड़ों और उन सबका विवरण दिया है कि वे किस क श का बहुत उपयोग ध्यान के लिए किया गया है, कई काम में आएंगे। पा कारणों से। एक तो. जिन दिनों ध्यान की प्रक्रिया असंभव मालम पडता है कि पौधे बता दें। लेकिन जबलकमान
विकसित हो रही थी इस पृथ्वी पर, जिन क्षणों में ध्यान | की किताब हाथ में लगी वैज्ञानिकों के, तो कठिनाई यह हुई कि का उदघाटन हो रहा था, आविष्कार हो रहा था, उन क्षणों से बहुत | दूसरी बात और भी असंभव है कि लुकमान के पास कोई संबंध कुश का है।
प्रयोगशाला रही हो, जिसमें लाखों पौधों की करोड़ों प्रकार की हमारे पास शब्द है उस समय का, कुशल। वह कुश से ही बना | | चीजों का वह पता लगा पाए। वह और भी असंभव है। क्योंकि हुआ शब्द है। आपने कभी सोचा न होगा कि हम एक आदमी को | | लेबोरेटरी मेथड्स तो अब विकसित हुए हैं; और केमिकल कहते हैं कि बहुत कुशल ड्राइवर है; कहते हैं, बहुत कुशल | | एनालिसिस तो अब विकसित हुई है, लुकमान के वक्त में तो थी अध्यापक है; लेकिन कुशल का मतलब आपको पता है। | ही नहीं। लेकिन आपकी केमिकल एनालिसिस, रासायनिक
कुशल का कुल मतलब इतना ही है, ठीक कुश को ढूंढ़ लेने प्रक्रिया से और रासायनिक विश्लेषण से आप जो पता लगा पाते वाला। सभी घास कुश नहीं है। तो जिन दिनों ध्यान इस पृथ्वी पर हैं, वह गरीब लुकमान बहुत पहले अपनी किताबों में लिख गया बड़ा व्यापक था, विशेषकर इस देश में, और जिस दिन ध्यान के है, सुश्रुत अपनी किताबों में लिख गया है, धनवंतरि ने उसकी बात प्राथमिक चरण हमने उदघाटित किए थे, उस दिन कुशल उस कर दी है। और इनके पास कोई प्रयोगशाला नहीं थी, कोई आदमी को कहते थे, जो हजारों तरह की घास में से उस घास को प्रयोगशाला की विधियां नहीं थीं। इनके पास जानने का जरूर कोई खोज लाए, जो ध्यान में सहयोगी होती है, उस कुश को खोज लाए। | और विधि, कोई और मेथड था, कोई और उपाय था।
एक विशेष तरह की घास अपने साथ एक विशेष तरह का वह ध्यान का उपाय है। ध्यान के गहरे क्षण में आप किसी भी वातावरण, एक विशेष तरह की ताजगी ले आती है।
वस्तु के साथ तादात्म्य स्थापित कर सकते हैं। हमें अनुभव होता है कई बार कि कुछ चीजों की मौजूदगी । मनोवैज्ञानिक उसे एक खास नाम देते हैं, पार्टिसिपेशन कैटेलिटिक का काम करती है—कुछ चीजों की मौजूदगी। आपने मिस्टीक। एक बहुत रहस्यमय ढंग से आप किसी के साथ एकात्म अपने चारों तरफ फूल रख लिए हैं, आपने अपने चारों तरफ एक हो सकते हैं। सुगंध छिड़क रखी है, आपने अपने चारों तरफ धूप जला रखी है, | | ध्यान के क्षण में, गहरी शांति और मौन के क्षण में, अगर आप तो आप एक विशेष मौजूदगी के भीतर घिर गए हैं। इस मौजूदगी | | गुलाब के फूल को सामने रख लें और इतने एकात्म हो जाएं कि में कुछ बातें सोचनी मुश्किल, कुछ बातें सोचनी आसान हो | | उस गुलाब से पूछ सकें कि बोल, तू किस काम में आ सकता है ? जाएंगी। जब चारों तरफ आपके सुगंध हो, तो दुर्गंध के खयाल | तो गलाब नहीं बोलेगा, लेकिन आपके प्राण ही. आपकी अंतर्प्रज्ञा आने मुश्किल हो जाएंगे।
ही कहेगी, इस काम में। कुछ विशेष प्रकार की घास, कुछ विशेष प्रकार की धूप, जो कि तो कुशल उस व्यक्ति को कहते थे, जो अनंत तरह की घासों के