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गीता दर्शन भाग-28
सारा आटोमेटिक इंतजाम हो जाएगा। सब मशीनें काम कर देंगी। बाद आदमी इतना थक जाता है कि सात दिन के विश्राम की जरूरत तो अब सवाल यह है कि लोग काम मांगेंगे, तो हम काम कहां से || | पड़ती है। तो छुट्टी में विश्राम किया आपने? देंगे? और लोग काम मांगेंगे, क्योंकि लोग बिना काम रह नहीं नहीं, छुट्टी में लोग सैकड़ों-हजारों मील कार चलाए, बीच पर सकते। कुछ लोग तो रह ही नहीं सकते बिना काम। | पहुंचे। एक नहीं पहुंचा; नैक टु नैक कारें, एक-दूसरे से फंसी रहीं।
एक दिन मैं ट्रेन में सफर कर रहा था। थका था। किसी गांव से, I लाखों कारें पहुंच गईं। पूरी बस्ती समुद्र के तट पर पहुंच गई। जिस भीड़-भाड़ से लौट रहा था, तो मैंने सोचा कि अब चौबीस घंटे सोए बस्ती से भागे थे, लेकिन पूरी बस्ती भाग रही है, वह पूरी बस्ती ही रहना है। पर एक सज्जन और मेरे कंपार्टमेंट में थे। मैं जैसे ही वहां मौजूद हो गई। इससे तो अच्छा घर रह जाते, तो अब घर में कमरे में आया, मैंने उनकी तरफ देखा नहीं, क्योंकि देखा कि खतरा थोड़ा सन्नाटा रहता। क्योंकि सारी बस्ती बीच पर आ गई। अब सारी शरू हो जाए। वे कछ बातचीत शरू कर दें। मैंने जल्दी से आंख बस्ती बीच पर रही। फिर बीच से भागे। बंद की और मैं सोने लगा। उन्होंने कहा, क्या आप इतनी जल्दी | सारे अमेरिका में छुट्टी के दिन सर्वाधिक दुर्घटनाएं हो रही हैं। सोने लगे? मैंने कहा कि आप समझिए, मैं सो ही गया। मैं तो चादर क्योंकि छुट्टी के दिन लोग बिलकुल शैतानी के काम में लग जाते ओढ़कर सो रहा। घंटा भर, डेढ़ घंटे बाद मैं उठा, तो देखा कि वही हैं। क्या करें? फुर्सत खतरनाक है! जब तक मिली नहीं, तब तक अखबार वे पढ़ रहे थे, जब मैं सोया था। फिर उसको ही पढ़ रहे | आपको पता नहीं। अगर परी फर्सत मिल जाए, तो खतरनाक है। थे, फिर से पहले पेज से शुरू कर दिया था। मुझे देखा, तो उन्होंने | तब आपको पता चलेगा कि श्रम करने वाला भी एक टाइप है, जो जल्दी से अखबार बंद किया। मैंने कहा, आप पढ़िए, मैं तो फिर | बिना श्रम किए नहीं रह सकता। वापस सो जाने वाला हूं।
कृष्ण कहते हैं, ये चार गुण से विभाजित लोग हैं। शायद इन सुबह जब उठा, तब वे फिर कल वाला ही अखबार पढ़ रहे थे! चारों की जरूरत भी है। क्योंकि सारे लोग ज्ञान खोजें, तो जगत न मालूम कितनी बार पढ़ चुके थे! जब मुझे देखा, तो जरा संकोच अस्तित्व में नहीं रह जाए। और सारे लोग शक्ति खोजें, तो सिवाय में उन्होंने अखबार बंद करके रख दिया। मैं करवट लिए पड़ा रहा। | युद्धों के कुछ भी न हो। और सारे लोग धन खोजें, तो आदमी मर कभी वे खिडकी खोलते. कभी सटकेस खोलते, कभी यह चीज जाएं और तिजोरियां बचें। और सारे लोग श्रम करें, तो कोई इधर रखते, कभी वह चीज उधर रखते।
संस्कृति, कोई सभ्यता, कोई कला, कोई विज्ञान, कोई दर्शन, कोई दोपहर होते-होते मैंने देखा कि वे बिलकुल पागल हुए जा रहे हैं। धर्म-कुछ भी न हो। ये चारों कांप्लिमेंट्री हैं। इन चारों के बिना दोपहर को जब मैं खाना खाकर फिर सोने लगा, उन्होंने कहा, क्या | जगत नहीं हो सकता। आप गजब कर रहे हैं। फिर सोइएगा? कछ बातचीत नहीं करिएगा? इसलिए कृष्ण कहते हैं, ये चार, गुण से और कर्म से। मैंने कहा कि आप अपना काम जारी रखिए। मुझे कोई एतराज नहीं । ___ भीतर तो गुण हैं, उन गुणों से जुड़े हुए संयुक्त कर्म हैं। गुण ही है। आप बार-बार खिड़की खोलिए, बंद करिए! सूटकेस दबाइए, बाहर प्रगट होकर कर्म बन जाते हैं। भीतर जिनका नाम गुण है, उठाइए। जो आपको करना है। आप उसी अखबार को हजार दफे बाहर उनका नाम कर्म है। जब बीज में होते हैं, तो उनका नाम गुण पढ़िए, मुझे कोई एतराज नहीं है। आप मुझे भूलिए। मैं नहीं हूं। वे है; और जब प्रकट होकर संबंधित होते हैं, तो उनका नाम कर्म हो बोले, आपने खयाल कर लिया क्या? मैं डर रहा था कि आप क्या | जाता है सोचेंगे कि यह आदमी क्यों बार-बार खिड़की खोलता बंद करता है! गुण-कर्म से मैंने चार में बांटा, कृष्ण कहते हैं। लेकिन मैं क्या करूं, मैं खाली बहुत मुसीबत में हूं।
यह चार का विभाजन, कृष्ण की दृष्टि में ऊंचे-नीचे का विभाजन अब यह भी एक टाइप है, जो बिना काम के जी नहीं सकता। नहीं है। कृष्ण की दृष्टि में इसमें कोई हायरेरकी नहीं है। इसमें कोई
आज अमेरिका में दो दिन की छुट्टी हो गई है सप्ताह में, तो आप ऊपर और कोई नीचे नहीं है। ये चार जीवन के, शरीर के, चार अंग जानकर हैरान होंगे कि अमेरिका में एक कहावत है कि दो दिन की हैं, समान मूल्य के। एक के भी बिना तीन नहीं हो सकते। छुट्टी के बाद आदमी इतना थक जाता है कि एक सप्ताह विश्राम की विकृति उस दिन आनी शुरू हुई, जिस दिन हमने हायरेरकी जरूरत पड़ती है। यह बड़ी मुश्किल बात है! दो दिन की छुट्टी के बनाई। जिस दिन हमने कहा कि नहीं कोई ऊपर, और कोई नीचे।