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परमात्मा के स्वर
दी कि भरो रथों को धन-धान्य से! चलो कणाद के पास।। कार्नेगी ने कहा कि नाराज क्यों होऊंगा! बिलकुल स्वाभाविक है,
बहुत धन-धान्य को लेकर सम्राट पहुंचा। कणाद के चरणों में | | तू एण्डू कार्नेगी बनना चाहे। उसने कहा, माफ करें। मैं यह नहीं सिर रखा और कहा कि मैं बहुत धन-धान्य ले आया हूं। दुख होता | कह रहा। मैं यह कह रहा हूं कि मैं फिर सेक्रेटरी ही होना चाहूंगा। है कि मेरे राज्य में आप रहें और आप कण बीन-बीनकर खाएं! एण्डू कार्नेगी ने कहा, पागल! तू एण्ड्र कार्नेगी नहीं बनना चाहता? आप जैसा महर्षि और कण बीने खेतों में, तो मेरा अपमान होता है। | उसने कहा, बिलकुल भूलकर नहीं। आपको जब तक नहीं जानता
तो कणाद ने कहा, क्षमा करें! खबर भेज देते; इतना कष्ट क्यों | था, तब तक तो कभी भगवान से प्रार्थना भी कर सकता था; अब किया? मैं तुम्हारा राज्य छोड़कर चला जाऊंगा। सम्राट ने कहा, | कभी नहीं कर सकता। उसने कहा, कारण क्या है? तो उसने कहा आप क्या करते हैं। कैसी बात कहते हैं? आप मेरी बात नहीं समझे! | कि मैंने अपनी डायरी में कारण नोट किया हुआ है। कणाद तो उठकर खड़े हो गए! ज्यादा तो कुछ था नहीं; जो दो-चार उसने अपनी डायरी में लिख छोड़ा था कि हे परमात्मा, भूलकर किताबें थीं, बांधने लगे।
| मुझे कभी एण्डू कार्नेगी मत बनाना। क्योंकि एण्डू कार्नेगी अपने सम्राट ने कहा, आप यह क्या करते हैं? कणाद ने कहा, तेरे दफ्तर में सुबह नौ बजे आता। चपरासी दस बजे आते। क्लर्क साढ़े राज्य की सीमा कहां है, वह बता। मैं सीमा छोड़ बाहर चला जाऊं। दस बजे आते। मैनेजर ग्यारह बजे आता। डायरेक्टर्स एक बजे क्योंकि मेरे कारण तू दुखी हो, तो बड़ा बुरा है। सम्राट ने कहा, यह आते। डायरेक्टर्स तीन बजे चले जाते। चार बजे मैनेजर चला जाता। मेरा मतलब नहीं है। मैं तो सिर्फ यह निवेदन करने आया कि बहुत फिर क्लर्क चले जाते। फिर चपरासी चले जाते। एण्डु कार्नेगी साढ़े धन-धान्य लाया हूं, वह स्वीकार कर लें।
| सात बजे शाम को जाता। मुझे कभी एण्ड कार्नेगी मत बनाना। कणाद ने कहा, उसे तू वापस ले जा! उसे तू वापस ले जा, __ अब यह एण्ड कार्नेगी दस अरब रुपए छोड़कर मरा है। लेकिन क्योंकि उस धन-धान्य की व्यवस्था और सुरक्षा और सुविधा कौन | मालिक नहीं था। मैनेजर भी नहीं था। चपरासी भी नहीं था। चपरासी करेगा? उसकी देख-रेख कौन करेगा? हमें फुर्सत नहीं है; हम | भी दस बजे आता; चपरासी भी साढ़े चार बजे चला जाता। एण्ड्र अपने काम में लगे हैं। थोड़ी-सी फुर्सत मिलती है; सुबह घूमने | कार्नेगी चपरासी से पहले मौजूद है; चपरासी के बाद दफ्तर छोड़ रहे निकलते हैं; उसी में खेत से कुछ दाने बीन लाते हैं, उससे काम | हैं! आखिर यह आदमी मैनेज कर रहा है, किसके लिए? चल जाता है। कोई झंझट हमें है नहीं। तू अपना यह सब वापस ले नहीं, लेकिन इसका भी अपना टाइप है। वह तीसरा टाइप है। जा। इसकी फिक्र कौन करेगा? और हम इसकी फिक्र करेंगे कि हम | वह धन, वैश्य का टाइप है। इसे प्रयोजन नहीं है, न ज्ञान से, न अपनी फिक्र करेंगे, जिस खोज में हम लगे हैं। तू जल्दी कर और | शक्ति से। इसे महाराज्यों से प्रयोजन नहीं है। इसे ब्रह्म से कोई वापस ले जा; और दोबारा इस तरफ मत आना। और अगर आना | | वास्ता नहीं है। इसे ब्रह्मांड से कुछ लेना-देना नहीं है। दूर के तारों हो, तो खबर कर देना। हम राज्य छोड़कर चले जाएंगे। हम कण | | से मतलब नहीं है। पास के रुपए काफी हैं। यह तिजोरी बड़ी करता कहीं भी बीन लेंगे; सभी जगह मिल जाएंगे।
जाए, भरता चला जाए। यह भी इसका टाइप है। यह वैश्य का अब यह जो आदमी है, इसे कण बीनने में सुविधा मालूम पड़ती | टाइप है। धन इसकी आकांक्षा है। है, क्योंकि कोई व्यवस्था नहीं करनी पड़ती है; कोई मैनेजमेंट में चौथा एक शूद्र का टाइप है; श्रम उसकी आकांक्षा है। ऐसा नहीं नाहक समय जाया नहीं करना पड़ता है। नहीं तो बहुत-से मालिक | है, जैसा हम साधारणतः समझाए जाते हैं कि कुछ लोगों को हम घूम-फिरकर मैनेजर ही रह जाते हैं। लगते हैं कि मालिक हैं, होते | मजबूर कर देते हैं श्रम के लिए; ऐसा नहीं है। अगर कुछ लोगों को कुल-जमा मैनेजर हैं।
| श्रम न मिले, तो उनके लिए जीना मुश्किल हो जाए। खाली सभी एण्ड कार्नेगी, अमेरिका का अरबपति मरा, तो उसने अपने लोग नहीं रह सकते। सेक्रेटरी से पूछा-ऐसे ही मजाक में—कि अगर दोबारा जिंदगी | अभी अमेरिका में कठिनाई आनी शुरू हुई है। क्योंकि श्रम का फिर से हम दोनों को मिले, तो तू मेरा फिर से सेक्रेटरी होना चाहेगा| | काम समाप्त होने के करीब है, मशीनें करने लगी हैं। और अमेरिका कि तू एण्डू कार्नेगी होना चाहेगा और मुझको सेक्रेटरी बनाना | | के सब बड़े विचारशील लोग–चाहे जेकस ईलूल हो, और चाहे चाहेगा? उस सेक्रेटरी ने कहा, आप नाराज तो न होंगे? एण्डू कोई और हों—वे सब इस चिंता में पड़े हैं कि दस-पंद्रह साल में
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